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सूरीनाम की गंगा
Posted on 28 Jul, 2012 10:14 AM लाखों-करोड़ों लोगों को अपने जल से सिंचित और मोक्ष प्रदान करने वाली गंगा भारत में ही नहीं अपितु भारत के बाहर भी आस्था की प्रतीक बनी हुई। ऐसा ही एक देश है सूरीनाम। भौगोलिक रूप से 16000 किलोमीटर दूर इस छोटे से देश में लोग गंगा माता मंदिर और वहीं के स्थानीय नदी के पास गंगा घाट बनाकर मां गंगा की पूजा अर्चना करते हैं। उनका मानना है कि गंगा समुद्र में मिलती है और समुद्र एक दूसरे से मिलते हैं इस तरह गं
पर्यावरण ऋण को नकारते विकसित राष्ट्र
Posted on 20 Jul, 2012 04:10 PM

वर्ष 2009 में 29 प्रमुख वैज्ञानिकों ने नौ ‘ग्रहीय सीमाओं’ की पहचान की थी। इनमें से तीन जलवायु, वैश्विक नाईट्रोजन

पानी और बाजार
Posted on 19 Jul, 2012 06:12 PM ‘जल ही जीवन है’ ऐसा कहा गया है। पहले हमारे पूर्वज राह चलते पथिक को पानी पिलाने में बहुत सुकून पाते थे। जगह-जगह पर प्याऊ लगाकर लोगों का प्यास बुझाया जाता था लेकिन वही पानी अब बोतलों में बंद करके बाजार में बेचा जा रहा है। पानी, बाजार की वस्तु हो गई है। जिसे कंपनियां अपने बोतलों में भरकर बाजार में 12 से 15 रुपए तथा कैन में भरकर बेच रही हैं। पानी के व्यवसायीकरण ने पानी को मंहगा बना दिया है। पानी क
पानी की कमी और आम जनजीवन
Posted on 06 Jul, 2012 12:30 PM जहां हमारे पूर्वज पानी को सहेजने के लिए तालाब, कुआं, बावड़ी और पोखर आदि बनवाते थे और इन्हें बचाने के लिए अनेक प्रकार की तकनीक अपनाते थे वहीं आज नये-नये मशीनीकरण और औद्योगिकीकरण की वजह से तालाबों पर अवैध कब्जा किया जा रहा है। नदियों में कारखानों तथा घरों का कचरा डालकर मारा जा रहा है। जहां पानी का खजाना हुआ करता था वहां अब सुखाड़ ही सुखाड़ है। मध्यप्रदेश का गांव पाठखोरी अरावली पहाड़ की गोद में ब
रियो सम्मेलन ने दुनिया को निराश किया
Posted on 05 Jul, 2012 10:08 AM

रियो सम्मेलन ने 1992 में वहां आयोजित पृथ्वी सम्मेलन का ही एक तरह से अनुसरण किया है। पृथ्वी सम्मेलन एक प्रकार से

नदियों को मारकर,गंदे नालों के साथ जीने की लत
Posted on 02 Jul, 2012 12:52 PM भारत नदियों का देश रहा है। इस देश में गंगा, यमुना, सरस्वती आदि प्रसिद्ध नदियां बहती हैं। इन नदियों को मां कहा जाता है। सुबह-शाम इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। नदियों के किनारे ही हमारे संस्कृति का विकास हुआ है। लेकिन अब नदियां कचरा ढोने वाली मालगाड़ी बन गई हैं। अब नदियों में साफ पानी से ज्यादा सीवेज का कचरा मिलेगा। क्योंकि हम नदियों से पानी लेते तो हैं लेकिन उसके बदले नदियों को अपने शहर की गंदगी
रियो+20 के नतीजों से महिला संगठन निराश
Posted on 02 Jul, 2012 11:29 AM

दुनियाभर में महिलाओं में गुस्सा है कि सरकारें महिलाओं के रिप्रोडक्टिव राइट्स को जेंडर समानता और टिकाऊ विकास के ल

रियो+20 दस्तावेज: थोथा चना बाजे घना!
Posted on 29 Jun, 2012 05:01 PM

दस्तावेज में इस बात को स्वीकार किया गया है कि 1992 में पृथ्वी सम्मेलन के बाद से दुनिया में प्रगति का पथ डांवांडोल वाला रहा है इसलिये पूर्व में की गयी प्रतिबद्धताओं को पूरा करना जरूरी है। यहां यह कहना भी जरूरी है कि आज भी धरती पर हर पांचवां व्यक्ति या एक अरब की आबादी घनघोर गरीबी में जीने को बाध्य है और हर सातवां व्यक्ति या 14 फीसद आबादी कुपोषण की शिकार है। जलवायु परिवर्तन के कारण तमाम देशों और खासकर गरीब मुल्कों पर बुरा प्रभाव पड़ा है और टिकाऊ विकास के लक्ष्यों तक पहुंचना कठिन रहा है।

ब्राजील में क्रिस्तो रिदेंतोर (क्राइस्ट द रिडीमर) के शहर रियो द जनीरो में संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ विकास या पृथ्वी सम्मेलन (13 से 19 जून तक आरम्भिक और 20 से 22 जून तक फाइनल) के दौरान घाना के एक प्रतिनिधि से बातचीत में हमने चुटकी ली कि राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों के इस सम्मेलन में क्या चल रहा है तो उन्होंने जवाब दिया: ‘टॉक, टॉक, टॉक ...’ हिंदी में कहें तो ‘थोथा चना बाजे घना’ वाली कहावत चरितार्थ हो रही थी, अर्थात बातें तो बहुत पर सार्थक कुछ नहीं। भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित अनेक देशों के राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों ने 283 बिंदुओं वाले जिस दस्तावेज को अंगीकार किया है उसमें टिकाऊ विकास तथा आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय स्तरों पर प्रतिबद्धता जताने की बात कही गयी है पर टिकाऊ विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिये गरीबी उन्मूलन की सबसे बड़ी चुनौती से निपटने की कारगर विधि नहीं बताई गयी है।
तन-मन ठीक रखने के लिए हरियाली के पास रहें
Posted on 29 Jun, 2012 01:04 PM हमारे शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए प्रकृति ने हमें सदियों से काफी कुछ दिया और अब भी दे रहा है, देता रहेगा। दरअसल प्रकृति ने जो हमें हरियाली दिया है उससे अलग होकर हम रह ही नहीं सकते। हमें स्वस्थ्य रहने के लिए रहने के लिए स्वच्छ ऑक्सिजन की जरूरत होती है,जो हमें प्रकृति की इन हरियाली से मिलता है। क्योंकि ये ऑक्सिजन हरियाली के बीच टहलने पर रक्त में घुली ग्लूकोज की मात्रा मांसपेशियों को ऊर्जा देती ह
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