लीसा मार्गोनली

लीसा मार्गोनली
पानी और बाजार
Posted on 19 Jul, 2012 06:12 PM
‘जल ही जीवन है’ ऐसा कहा गया है। पहले हमारे पूर्वज राह चलते पथिक को पानी पिलाने में बहुत सुकून पाते थे। जगह-जगह पर प्याऊ लगाकर लोगों का प्यास बुझाया जाता था लेकिन वही पानी अब बोतलों में बंद करके बाजार में बेचा जा रहा है। पानी, बाजार की वस्तु हो गई है। जिसे कंपनियां अपने बोतलों में भरकर बाजार में 12 से 15 रुपए तथा कैन में भरकर बेच रही हैं। पानी के व्यवसायीकरण ने पानी को मंहगा बना दिया है। पानी क
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