Posted on 27 Apr, 2015 11:56 AMकाठमाण्डू (भाषा)। नेपाल में भीषण भूकम्प में बचने वालों ने प्रकृति के उस खौफनाक मंजर की दास्तान बयाँ की जिसने घरों, मन्दिरों और ऐतिहासिक स्मारकों को पल भर में मलबे में बदलकर रख दिया। 2,000 से ज्यादा लोगों की जान लील लेने वाले भूकम्प से बचे लोगों के सामने अब आश्रय, भोजन और साफ स्वच्छता की बुनियादी जरूरतों को पूरा किए जाने की चुनौती है। हिमालय की गोद में बसे इस
Posted on 24 Feb, 2015 12:56 AMजब हम कश्मीर घाटी में कृषि के बारे में बात करते हैं तब इसका मतलब श्रीनगर सहित अनन्तनाग, बारामूला, बडगाम, कुपवारा और पुलवामा जिलों में कृषि के क्षेत्र में हुई प्रगति और बढ़ती क्षमता से होता है। जैसा कि सर्वविदित है कि जम्मू-कश्मीर क्षेत्र तीन प्राकृतिक क्षेत्रों में विभाजित है — जम्मू, कश्मीर घाटी और कारगिल व लेह। इन तीनों क्षेत्रों की जलवायु क्रमशः ऊष्ण, शीत
Posted on 07 Jul, 2013 03:10 PM पानी में रहने वाले जीवों के लिए हम कैसी दुनिया बना रहे हैं। अपना कचरा उनको भोजन के रूप में परोश रहे हैं। हमारे फेंके गए प्लास्टिक मछलियों का भोजन बन रहा है। बिस्फेनोल-ए, पीसीबी जैसे केमिकल और सिंथेटिक रंगों से बनी प्लास्टिक का सेवन करके मछली ज़हरीली हो जाती है। ऐसी मछली के सेवन से कैंसर या शरीर के मुख्य अंगों का रास्ता बाधित हो जाने खतरा रहता है। देश की जानी-मानी राजनीतिज्ञ और पर्यावरणविद् मेनका गाँधी बता रही हैं कि मछलियों के शरीर में गया प्लास्टिक अंत में मानव शरीर का ही हिस्सा बनता जाता है।मछली खाने पर आपको क्या मिलता है? केमिकल! इंसानी मल! प्लास्टिक! सबसे पहले बात करते हैं प्लास्टिक की। ब्रिटेन के प्लाइमाउथ विश्वविद्यालय के मरीन पॉल्यूशन बोर्ड ने हाल ही में एक अध्ययन में पाया कि इंग्लैंड के तट पर पाई जाने वाली एक तिहाई मछलियों के पेट में प्लास्टिक है। उत्तर सागर, अटलांटिक महासागर और ब्रिटेन के आसपास के पानी में बड़ी मात्रा में प्लास्टिक मछलियों के पेट में जा रहा है।
Posted on 31 Dec, 2012 03:41 PM जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये अफ्रीका ने सेनेगल से लेकर जिबॉटी तक पेड़ों की 14 किलोमीटर चौड़ी और 6400 किलोमीटर लम्बी हरित दीवार बनाना तय किया है। बढ़ते हुए रेगिस्तानीकरण को रोकने के लिये बनी इस विवादास्पद परियोजना को अब सेनेगल में आकार मिलना शुरू हो गया है। यहां पहले ही 50,000 एकड़ जमीन पर पेड़ लगा दिये गये हैं। अटलांटिक महासागर की गोद में बसा एक छोटा सा प्रायद्वीप है-सेनेगल। राजधानी है डकार। जो विशाल देश चीन की तरह एक दीवार बना रहा है। पर यह दीवार पत्थरों की नहीं, पेड़ों की हैं जो हजारों मील दूर दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान सहारा से उठने वाली रेतीली आंधियों के आक्रमण से मुकाबला करने के लिए है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि कम वर्षा इस इलाके में पेड़ों की यह दीवार रेत की आंधी को रोक सकेगी। और इलाके में समृद्धि भी ला सकेगी। इस पुनीत काम के लिए विश्व बैंक सहित अनेक दानदाता संस्थाएं भी आगे आई हैं। डकार ने इस साल कई रेतीले तूफान झेले हैं। यहां रेतीली धूल इस कदर आती है कि उसके गुबार से ऊची इमारतें तक ढंक जाती है, इस तूफान ने यहां के निवासियों को झकझोर दिया है। उष्ण कटिबंधीय सेनेगल में मानसून का मौसम जुलाई-अगस्त में शुरू होता था पर मौसम के बदलाव के चलते यह मानसून अब सितम्बर में खिसक चला है।
Posted on 08 Dec, 2012 03:11 PMहिमयुग हमारी सृष्टि की एक महत्वपूर्ण घटना है जो घटती है अर्थात यह एक चक्रीय प्रक्रिया है। जैसे गर्मी के बाद ठंड का मौसम आता है और ठंड के बाद गर्मी का मौसम। इसी तरह ग्लोबल वार्मिंग के बाद हिमयुग आता है।