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एक्‍वाकल्‍चर के जरिये गंदे पानी की सफाई
Posted on 21 Feb, 2010 09:22 AM

हाल के वर्षों में देश में बढ़ती जनसंख्‍या के साथ औद्योगिक कचरे और ठोस व्‍यर्थ पदार्थों से अलग गंदे पानी की मात्रा भी उसके प्रबंधन की क्षमता से कहीं अधिक बढ़ी है। प्राकृतिक जल स्रोतों तक उन्‍हें पहुँचाने के लिए घरेलू सीवर के जरिए तेज प्रयास किए जा रहे हैं।
 

भूमि, जल, वन और हमारा  पर्यावरण 
Posted on 17 Feb, 2010 02:09 PM






देश की माटी, देश का जल
हवा देश की, देश के फल
सरस बनें, प्रभु सरस बनें!

देश के घर और देश के घाट
देश के वन और देश के बाट
सरल बनें, प्रभु सरल बनें !

देश के तन और देश के मन
देश के घर के भाई-बहन
विमल बनें प्रभु विमल बनें!


भूमि, जल. वन और हमारा  पर्यावरण
गैर कानूनी तरीके से निकाला जा रहा है यमुना का पानी
Posted on 17 Feb, 2010 09:15 AM

कैसी विडंबना है कि जनता को पानी का महत्व समझाने वाली दिल्ली सरकार के अनेक सरकारी और अर्ध सरकारी संगठन ही पानी के नियमों की धज्जिया उड़ा रहे हैं। यह संगठन पानी संरक्षण के सभी नियमों को ताक पर रख गैरकानूनी तरीके से यमुना के खादर से पानी निकाल रहे हैं। सरकार इन संगठनों पर लगाम लगाने की बजाय सरकार इन्हीं पर मेहरबान दिख रही है।

यमुना के खादर से बड़ी मात्रा में गैर कानूनी तरीकों से जल का दोहन
वर्षा जल संचयन और इसके लाभ | Rainwater Harvesting Essay in Hindi
जानिए कैसे वर्षा जल संचयन आपके जीवन और पर्यावरण को कैसे बेहतर बना सकता है और इसके लाभों को समझें | Get information about rain harvesting in hindi. Posted on 13 Feb, 2010 10:52 AM
वर्षा जलसंग्रहण क्‍या है ?

वर्षा के पानी का बाद में उत्‍पादक कामों में इस्‍तेमाल के लिए इकट्ठा करने को वर्षा जल संग्रहण कहा जाता है। आपकी छत पर गिर रहे बारिश के पानी को सामान्‍य तरीके से इकट्ठा कर

वर्षा जल संचयन और इसके लाभ
जल
Posted on 09 Feb, 2010 12:11 PM जल संपदा के मामले में कुछेक संपन्नतम देशों में गिने जाने के बाद भी हमारे यहां जल संकट बढ़ता जा रहा है। आज गांवों की बात तो छोड़िए, बड़े शहर और राज्यों की राजधानियां तक इससे जूझ रही हैं। अब यह संकट केवल गर्मी के दिनों तक सीमित नहीं है। पानी की कमी अब ठंड में भी सिर उठा लेती है। दिसंबर 86 में जोधपुर शहर में रेलगाड़ी से पानी पहुंचाया गया है।

देश की भूमिगत जल संपदा प्रति वर्ष होने वाली वर्षा से दस गुना ज्यादा है। लेकिन सन् 70 से हर वर्ष करीब एक लाख 70 हजार पंप लगते जाने से कई इलाकों में जल स्तर घटता जा रहा है।

बाईबिल में जल का महत्व
Posted on 08 Feb, 2010 01:02 PM जल स्वयं में देवता, देवताओं का अर्पण और पितरों का तर्पण। जिन्दा को जल, जलने पर जल, मरने पर जल, कितना महत्वपूर्ण है जल। तभी तो आज भी प्रथम अनिवार्य आवश्यकता जल ही जीवन है। इस तथ्य को दुनिया की सभी सरकारें एवं सामाजिक संस्थाएँ आत्मसात् किये हुए हैं। आज के उपभोक्तावादी युग में जल का प्रबंधन एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में स्वीकृत हो रहा है। पुरातन युग में विशेष जल का प्रबंध धार्मिक अनुष्ठानों को सफल और
वैदिक वाङ्मय में नदी-भौतिक रूप या प्रतीकात्मक
Posted on 08 Feb, 2010 12:38 PM ऋग्वेद और अथर्ववेद में अनेक नदियों का उल्लेख है। दोनों में ‘सप्त सिंधवः’ अर्थात साथ नदियों का अनेक बार उल्लेख है। अथर्ववेद में तो कहा गया है कि सात नदियाँ हिमालय से निकलती हैं और सिंधु में मिलती है। इन्हें सिंधु की पत्नी और सिंधु की रानी भी कहा गया है। इन सात नदियों में पाँच तो पंजाब की ही है- शुतुद्री, विपाशा, इरावती, चन्द्रभागा तथा बितस्ता, जिन्हें आज क्रमशः सतलज, व्यास, रावी, चिनाब और झेलम कहा
भूमि
Posted on 05 Feb, 2010 01:09 PM कवि जिस माटी के गुण गाते थकते नहीं थे, आज वह माटी ही थक चली है। सुजला, सुफला, शस्य श्यामला धरती बंजर बनती जा रही है।
यमुना की सफाई पर बहा पैसा
Posted on 31 Jan, 2010 08:31 PM
यमुना एक्शन प्लान -1 (1993-2003)

कुल खर्च - 680 करोड़ रुपये

यमुना एक्शन प्लान -2 (2004 के बाद)

तय राशि - 624 करोड़ रुपये

जल बोर्ड का खर्च (कैग रिपोर्ट)
v1998-99 में 285 करोड़ रुपये

1999-2004 में 439 करोड़ रुपये
यमुना की सफाई पर डीएसआईडीसी ने किया खर्च -147 करोड़ रुपये

चारागाहों की खस्ता हालत
Posted on 30 Jan, 2010 02:40 PM

चारे के उत्पादन अथवा चारागाहों की सुरक्षा की ओर बहुत कम ध्यान दिया गया है। अधिकांश चारागाह आज पूर्णतया उपेक्षित बंजर भूमि के क्षेत्र बनकर रह गए हैं।

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