Posted on 09 Aug, 2010 01:45 PM नई दिल्ली, झांसी में कहीं कुल जनसंख्या के हिसाब से पानी कम है तो कानपुर के एक हिस्से में पानी को क्रोमियम दूषित कर रहा है। उन्नाव का एक इलाका फ्लोराइड के जहर से जूझ रहा है तो गाजियाबाद में पानी को कीटनाशक प्रदूषित कर रहे हैं।
Posted on 06 Aug, 2010 01:13 PMएक बार जीन बाहर आ जाए तो इसे रोकने का कोई रास्ता नहीं है।
इसका लंबे समय से डर था। सामाजिक कार्यकर्ता और सजग वैज्ञानिक इसकी चेतावनी दे चुके थे, किंतु सरकार ने आंखें मूंदे रखीं। अब डर सच साबित हो चुका है। इसने पर्यावरण प्रदूषण के एक और विनाशकारी रूप-जीन प्रदूषण पर चिंता बढ़ा दी है।
Posted on 01 Aug, 2010 10:04 PM आस्था का सार्वजनिक प्रदर्शन पर्यावरण पर किस कदर कहर बरपाता है, इसे समझने के लिए आनेवाले दो-तीन महीने अहम होंगे। क्योंकि थोड़े दिनों बाद पूरे देश में जोर-शोर से गणेशोत्सव मनाया जाएगा, और फिर उसके बाद दुर्गापूजा का आयोजन होगा। एक मोटे अनुमान के मुताबिक,हर साल लगभग दस लाख मूर्तियां पानी के हवाले की जाती हैं और उन पर लगे वस्त्र, आभूषण भी पानी में चले जाते हैं। चूंकि ज्यादातर मूर्तियां पानी में न
Posted on 31 Jul, 2010 10:47 AMकौटिल्य के अर्थशास्त्र में दर्ज सूचनाओं की पुष्टि शिलालेखों और पुरातात्विक अवशेषों से होती है। चाणक्य के नाम से विख्यात कौटिल्य भारत के प्रथम सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य (321-297 ई.पू.) के मंत्री और गुरु थे। राजनीति और प्रशासन पर प्रामाणिक ग्रंथ माने गए अर्थशास्त्र की तुलना सदियों बाद के मेकियावली
Posted on 24 Jul, 2010 02:30 PM नई दिल्ली।। चाहे ऊंची कीमत चुकानी पड़े, घर में पीने का पानी प्योर होना चाहिए - यह सोचकर दिल्ली में बड़ी तादाद में लोग आरओ (रिवर्स ऑसमोसिस) सिस्टम लगवा रहे हैं। आरओ आम तौर पर महंगा है, तो आम आदमी को लगता है कि यह खास प्योरिफायर होगा और किसी भी हद तक की गंदगी या खारेपन को खत्म कर देगा। हकीकत यह है कि दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में इसकी जरूरत नहीं है। यहां बता दें कि पानी की जांच कराए बिन
Posted on 24 Jul, 2010 01:54 PMग्रीन आजकल फैशन में है। इस साल इन्वायरनमेंट डे पर मीडिया में जितनी कवरेज दिखी, वह बेमिसाल थी। हालांकि ग्लोबल वॉर्मिंग पर दुनिया के देश किसी समझौते पर नहीं पहुंच पाए और न ही ऐसी उम्मीद है कि धरती को इस सबसे बड़े खतरे से उबारने का तरीका जल्द ही खोजा जा सकेगा, लेकिन इन्वायरनमेंट को लेकर इस दौरान मचे शोर ने जागरूकता कई गुना बढ़ा दी है। लोग अपने लेवल पर धरती को बचाने की जुगत करने लगे हैं, सरकारी
Posted on 19 Jul, 2010 07:15 PM सदियां गुजर गईं, पर अपने देश में सिर पर मैला ढोने की कुप्रथा आज भी चलती जा रही है। आजादी के 62 सालों के बाद भी यह मध्ययुगीन सामंती चलन हमारे कई छोटे-बड़े शहरों और कस्बों से पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। राजगढ़, भिंड, टीकमगढ़, उज्जैन, पन्ना, रीवा, मंदसौर, नीमच, रतलाम, महू, खंडवा, खरगौन, झाबुआ, छतरपुर, नौगांव, निवाड़ी, सिहोर, होशंगाबाद, हरदा, ग्वालियर, सागर, जबलपुर जैसे मध्य प्रदेश के अनेक शहरों
Posted on 17 Jul, 2010 12:49 PMतेजी से बिगड़ता पर्यावरण पूरी दुनिया के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। यह जलवायु परिवर्तन को लेकर बढ़ती चिंता ही है कि दुनिया के 193 देशों के बड़े नेता कोपेनहेगन में इस मसले पर बातचीत करने के लिए एकत्रित हुए थे। हालांकि, इस सम्मेलन में कोई ऐसा फैसला तो नहीं लिया गया जो यहां आने वाले सभी देशों को मान्य हो लेकिन कुछ प्रमुख देशों ने एक आपसी समझौता अवश्य किया है।
Posted on 16 Jul, 2010 03:31 PM प्रकृति ने पौधों की सुरक्षा व वृद्धि के लिए जमीन में नाना प्रकार के सूक्ष्म जीवों को दिया है। ये सूक्ष्म जीव जमीन की उर्वराशक्ति के द्योतक हैं। जमीन की उपरी सतह (लगभग 1.5 फुट तक की गहराई) में जड़ों के आस-पास के क्षेत्र में ये सक्रिय रहते हैं और पौधे की सुरक्षा व वृद्धि में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।