सुभाष गाताडे
सुभाष गाताडे
मनरेगा की अहमियत
Posted on 07 Nov, 2016 10:43 AMदेश की वित्तीय राजधानी कही जाने वाली मुम्बई से बमुश्किल सौ किलोमीटर दूर आदिवासी बहुल पालघर जिले में कुपोषण से हुई छह सौ से अधिक बच्चों की मौत बहस का मुद्दा नहीं बन सकी। महाराष्ट्र में आदिवासी विकास मन्त्री विष्णु सवारा के मतदाता संघ में हुई इन मौतों को लेकर मीडिया में काफी कुछ छुपा, अलबत्ता राज्य सरकार किसी भी किस्म की कार्रवाई से आँखें मूँद रही और न ही केन्द्र सरकार ने उसे कुछ करने के निर्द
आस्थाजनित प्रदूषण से कैसे मिले मुक्ति
Posted on 18 Dec, 2012 02:08 PMपहले गणेशोत्सव, फिर विश्वकर्मा पूजा और फिर नवरात्र के समय जगह-जगह स्थापित की गई मूर्तियों का सार्वजनिक तालाबों, झीलों और नदियों में विसर्जन और अब आसन्न दीपावली के वक्त पर्यावरणपूरक मूर्ति-विसर्जन पर विचार किया जाना बेहद जरूरी है।कानून से असहमति का अर्थ उसका अपमान नहीं
Posted on 10 Sep, 2011 11:38 AM(नागरिक अवज्ञा आंदोलन पर अमेरिकी पर्यावरण कार्यकर्ता टिम डेक्रिस्टोफर का वक्तव्य)
(वेस्ट वर्जिनिया के रहने वाले टिम डेक्रिस्टोफर पर्यावरण न्याय के लिए सक्रिय संगठन 'पीसफुल अपरायजिंग' से जुड़े हैं। पर्यावरण न्याय का मतलब है नदियां, पहाड़, जंगल आदि के साथ होने वाले गैरकानूनी व्यवहार को रोकना। नदियों को गंदा करना, जंगल को काटना या वहां अवैध खनन उनके साथ अन्याय है। अनेक पर्यावरणवादी यह अन्याय बंद कराने के लिए संघर्षरत हैं। जैसे हरिद्वार के निगमानंद ने गंगा के इलाके में अवैध खनन के खिलाफ आमरण अनशन करते हुए अपनी जान दे दी। टिम डेक्रिस्टोफर ने देखा कि वेस्ट वर्जिनिया में पहाड़ों व जंगलों को तेजी के साथ कार्पोरेट सेक्टर के हवाले किया जा रहा है।
आस्था का डंका, गटर ही गंगा
Posted on 01 Aug, 2011 09:37 AMगंगा नदी में जारी अवैध खनन को रोकने के लिए आमरण अनशन पर बैठे स्वामी निगमानंद की मौत के बाद स्व
अंधी आस्था से मरती नदियां
Posted on 01 Aug, 2010 10:04 PMआस्था का सार्वजनिक प्रदर्शन पर्यावरण पर किस कदर कहर बरपाता है, इसे समझने के लिए आनेवाले दो-तीन महीने अहम होंगे। क्योंकि थोड़े दिनों बाद पूरे देश में जोर-शोर से गणेशोत्सव मनाया जाएगा, और फिर उसके बाद दुर्गापूजा का आयोजन होगा। एक मोटे अनुमान के मुताबिक,हर साल लगभग दस लाख मूर्तियां पानी के हवाले की जाती हैं और उन पर लगे वस्त्र, आभूषण भी पानी में चले जाते हैं। चूंकि ज्यादातर मूर्तियां पानी में न