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जन आंदोलन के बिना नहीं बच सकेगी यमुना
Posted on 19 Aug, 2010 09:21 AM

प्रबुद्ध नागरिकों से मुहिम में जुड़ने की अपील, गोष्ठी के जरिए लाएंगे जागरुकता


अब दिल्ली नागरिक परिषद ने यमुना बचाने के लिए दिल्ली के नागरिकों का जनांदोलन खड़ा करने का फैसला किया है। परिषद के अध्यक्ष वीरेश प्रताप चौधरी कहते हैं कि यमुना की दुर्दशा खुद नहीं हुई है। अगर इसके नैसर्गिक बहाव को रोका नहीं जाता तो यमुना दिल्ली के साथ कई शहरों की प्यास बुझाती। साथ ही लाखों एकड़ खेतों और जंगलों को आबाद करती। यमुना की यह दशा सरकारों के नाकारापन और स्वार्थ के कारण हुई है। इसलिए केवल सरकारों से यमुना को बचाने की उम्मीद करना गलत होगा। अभी इस अभियान में प्रबुद्ध नागरिकों को जोड़ने के लिए अनेक गोष्ठी आयोजित की जा रही है। इस कड़ी में पिछले महीने एक गोष्ठी हुई और अगले महीने 11 सितंबर को बीपी हाउस में पूरे दिन की गोष्ठी होने वाली है।

यमुना बचाओ अभियान के नाम से एक अपील
सोलर सूनामी का पहला ज्वार
Posted on 19 Aug, 2010 08:21 AM एक और दो अगस्त को सूरज से उठकर सीधे अपनी तरफ बढ़े दो तूफानों का झटका धरती पिछले दो-तीन दिनों में झेल चुकी है। एक वैज्ञानिक के शब्दों में कहें तो इस वक्त भी यह उनके असर से झनझना रही है। सूरज की सतह पर होने वाले विस्फोटों से निकली सामग्री का सीधे धरती की तरफ आना एक विरल घटना है। लेकिन इस बार तो लगातार दो विस्फोटों से निकले आवेशित कण हजारों मील प्रति सेकंड की रफ्तार से इसी तरफ दौड़ पड़े थे। बताते हैं कि ऐसे एक भी विस्फोट से निकली ऊर्जा को अगर किसी तरह काबू में कर लिया जाए तो इससे धरती की सारी ऊर्जा जरूरतें दसियों लाख साल तक पूरी की जा सकती हैं। इतनी ज्यादा ऊर्जा अचानक अपने ग्रह की तरफ आ जाना कोई मामूली बात तो थी नहीं।

एक के पीछे एक चले आ रहे इन दोनों सौर तूफानों
ग्लोबल वॉर्मिंग की बंद गली, और एक रास्ता
Posted on 19 Aug, 2010 08:09 AM ग्लोबल वॉर्मिंग के बारे में आम लोगों का रवैया संशयवादी हो सकता है लेकिन साइंटिस्टों में इस समस्या को लेकर कोई दुविधा नहीं है। वे हमेशा मानते रहे हैं कि इंसान की पैदा की हुई यह समस्या वास्तविक है और अगर इसकी अनदेखी की गई तो इससे इंसान के वजूद को ही खतरा हो सकता है।

लेकिन, यदि इस समस्या से निपटना है तो जरूरी सवाल यह है कि हम इस बारे में करें तो क्या करें। इस बारे में सबसे आम सुझाव यह है कि दुनिया को हर दिन वातावरण में झोंकी जाने वाली ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में भारी-भरकम कटौती करनी चाहिए। कहा जा रहा है कि इस सदी के मध्य तक कार्बन-डाइ-ऑक्साइड के ग्लोबल इमिशन में 50 फीसदी की कमी लानी चाहिए। लेकिन, इस मत के समर्थक भी मानते हैं कि यह टारगेट हासिल कर पाना आसान नहीं है, और इस मामले में वे सही हैं। बल्कि असल में वे
बोल मेरी धरती कितना पानी..
Posted on 18 Aug, 2010 12:47 PM पानी की समस्या हमारे देश के लिए ही नहीं, समूचे विश्व के लिए दिनोंदिन गंभीर हो रही है। जीवन के लिए जरूरी जल का संकट ही आने वाले समय की सबसे बड़ी चुनौती है, जिस पर गौर करना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। आने वाले दिनों की संभावित स्थिति पर गौर करें तो इसका मुकाबला कर पाने की सामर्थ्य जुटा पाना बेहद मुश्किल जरूर होगा। ऐसे में तमाम संभावित जल-प्रबंधन के उपायों पर ध्यान दिया जाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए
जल तत्व
Posted on 18 Aug, 2010 12:28 PM गर्मी में जब धरती तपने लगती है तब हमें जल का महत्त्व समझ में आने लगता है। आयुर्वेद की भाषा में इसे समझें तो जल श्रम की थकान दूर करने वाला, बेहोशी और प्यास मिटाने वाला, खेद नाशक, बेवक्त आने वाली नींद को मिटाने वाला, आलस्य को भगाने वाला, तृप्तिकारक, हृदय का मित्र, शीतल हल्का और अमृत के समान जीवन का सबसे बड़ा सहायक तत्व है।
‘वाटर एंड वेस्ट वाटर’ संग्रहालय का विकास
Posted on 18 Aug, 2010 12:10 PM दिल्ली जल बोर्ड ने ‘वाटर एंड वेस्ट वाटर’ संग्रहालय के विकास के लिए राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र, दिल्ली के साथ एक आपसी सहमति के ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए । 200 वर्ग मीटर में फैले इस संग्रहालय को प्रगति मैदान स्थित राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र के परिसर में स्थापित किया जाएगा, जहां साल भर में साढ़े चार लाख दर्शक आते हैं। दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रमेश नेगी ने बताया कि इसका मकसद दिल्ली जल बो
पानी की कहानी में विज्ञान के कुछ सच
Posted on 18 Aug, 2010 11:33 AM धरती पर पाए जाने वाले पदार्थों में पानी सबसे साधारण है, लेकिन गुणों में असाधारण एवं विशिष्ट है। इसके इन्हीं गुणों के कारण जीवन न केवल इस धरती पर अस्तित्व में आया और विकसित हुआ। हम पानी के आश्चर्यजनक गुणों को प्राय: गंभीरता से नहीं लेते। वास्तव में यह एक उत्कृष्ट विलायक है और काफी अधिक तापमान तक द्रव्य अवस्था में बना रहता है। इसे गर्म करने तथा उबालने के लिए काफी ऊष्मा की जरूरत होती है।
पानी की कल-कल और आपकी वाटिका
Posted on 18 Aug, 2010 11:13 AM
जल न केवल प्राणदायी है, बल्कि अपनी शीतलता और कल-कल ध्वनि से तन-मन को ऊर्जावान बना देता है। कैसा लगेगा, अगर आपके यहां भी एक छोटा सा जलीय उद्यान हो। कैसे बनाएं जलीय उद्यान, बता रही हैं प्रतिभा आर्य।
जल को जीवन देने वाली कुछ विधियां
Posted on 18 Aug, 2010 10:33 AM विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में भूजल स्तर नीचे जा रहा है। इसकी प्रमुख वजह मानवीय गतिविधियां, शहरीकरण और औद्योगिक इकाइयों से रासायनिक निकासी मानी गई है। जलवायु परिवर्तन भी इसकी बड़ी वजह है। दुनिया भर में जल गुणवत्ता मापन डाटा और मॉनीटरिंग की कमी के साथ इस दिशा में जन-साधारण के अज्ञान का भी पर्यावरण और जल गुणवत्ता पर असर पड़ता है। जल स्त्रोतों के संरक्षण के
मनरेगा के बाकी अर्थ
Posted on 18 Aug, 2010 08:48 AM
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) रोजगारपरक होने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और धरोहर सहेजने का प्रतीक भी बन सकती है। दुनिया की सबसे बड़ी सर्वसमावेशी विकास वाली इस महत्वाकांक्षी परियोजना को सहेजने और इसके विस्तार की जरूरत है, ताकि दूर-दराज के इलाकों का भी समग्र विकास किया जा सके। पर तसवीर तभी बदलेगी, जब केंद्र सरकार इसकी निगरानी के लिए मुकम्मल नीति बनाए। यह योजना ह
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