दिल्ली

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बाढ़-कुछ त्रिपदियां
Posted on 26 Jul, 2014 07:24 AM एक कई नदियों ने मिल-जुलकर
फिर से रच डाला है एक समन्दर
आदमी नहीं है पर जलचर।

दो
नदियां देन हैं प्रकृति की
बाढ़ नहीं, इसे तो रचा गया है
आपकी व्यूढ़ हिंसा इच्छाओं द्वारा।

तीन
पानी के साथ हमें जीना
आता था, यह तो आपने कर
दियाहै जीना मुहाल पानी का।
चार
किसने रोकी है किसकी राह
नदियों ने हमारी या हमने नदियों
अपनी वसीयत नर्मदा को
Posted on 25 Jul, 2014 04:49 PM मैंने वसीयत में लिख दिया
राष्ट्र के नाम
अपना राष्ट्र गीत राष्ट्र ध्वज
राष्ट्र भाषा
और संविधान अपना

लिख दिया विश्व के नाम
चांद सूरज तारे
हवा पानी प्रकाश
पर्यावरण

और अंत में सबके लिए
सृजन के संकल्प
और प्रार्थनाएं अनन्त

नहीं लिखा
विनाश का कोई भी शब्द
किसी के लिए कहीं

मैंने सौंप दी
नर्मदा की सहायक अजनाल के बारे में
Posted on 25 Jul, 2014 04:43 PM नर्मदा से मिलने वाली सहायक
हरदा की अजनाल नदी के बारे में
बार-बार पूछते फोन पर
इन्दौर से कृष्णकान्त बिलों से
और हर बार उसांसें छोड़ते
बताना पड़ता उन्हें
कि अजनाल अब जीवित नदी नहीं है यहां
और जो जीवित थी उसे तो तुम
हरदा छोड़ते वक्त अपने साथ ले गये
थेअपनी यादों की झोली में तभी

वैसे कुछ लोग हैं
जो तुम्हारे वक्त की अजनाल में तैरने
झारी भर नर्मदा
Posted on 25 Jul, 2014 04:40 PM वर्षों पूर्व जुहू के समन्दर में
नहाया था पहली बार
तब नमकीन हथेलियों से
पल्लर पल्लर सहलाते हुए
पूछा था सागर ने कि-
मुझमें नहाने के पहले कहां
सेनहा कर आया हूं मैं

तब मैंने अपनी नर्मदा में
डुबकियां लगाकर बम्बई आने
काबताया था उसे
जिसे सुनते ही
रेत तक मेरा बदन पोंछता
ले आया जुहू का सागर प्यार से बाहर

और बोला-
जब भी याद करता नर्मदा को
Posted on 25 Jul, 2014 04:37 PM मैंने तो
मकर संक्रान्ति की शीत लहर में
ठंड से कांपती नर्मदा को
कुनकुनी रेत के अलाव पर
बदन सेंकते देखा है घाट-घाट
बांटते देखा है सदाबरत और
गुड़-बिल्ली का परसाद
हंस-हंसकर दिनभर

रोते भी देखा उस वक्त
जब सावन की मूसलाधार झरी में
गांव के गांव बहे थे गोद में उसकी

रखवाली करते तो-
पिछली गरमी में ही देखा उसे
जब नहाते वक्त
आनन्द का हिमालय या कूड़ालय
Posted on 25 Jul, 2014 01:40 PM बच्चों को लेकर हमारा समाज और हमारा राज्य किस कदर उदासीन हो गया है
पानी-पानी
Posted on 25 Jul, 2014 01:37 PM पानी पानी
बच्चा बच्चा
हिन्दुस्तानी
मांग रहा है
पानी पानी

जिसको पानी नहीं मिला है
वह धरती आजाद नहीं
उस पर हिन्दुस्तानी बसते हैं
पर वह आबाद नहीं

पानी पानी बच्चा बच्चा
मांग रहा है
हिन्दुस्तानी

जो पानी के मालिक हैं
भारत पर उनका कब्जा है
जहां न दें पानी वहां सूखा
जहां दें वहां सब्जा है
पानी पर युद्ध के खतरे का आकलन
Posted on 25 Jul, 2014 01:02 PM संयुक्त राष्ट्र के महासचिव रहे बुतरस घाली ने तो लगभग तीन दशक पहले
गरमाती धरती पर ठंडा मीडिया
Posted on 23 Jul, 2014 04:46 PM वैसे तो ग्लोबल वार्मिग से प्रकृति तथा पर्यावरण को होने वाले नुकसान और परिणामों को लेकर पूरा विश्व चिन्तित है, मगर ये चिंता इस हद तक नहीं पहुंच पाई है कि लोग इसकी गम्भीरता को समझकर समाधान के लिय युद्ध स्तर पर प्रयासरत हो जाएं। इस संकट से निपटने में हमारी भूमिका और कार्ययोजना को लेकर एक बड़ी दुविधा भी हर स्तर पर मौजूद है। अमेरिका जैसे बड़े देश तीसरी दुनिया पर दोषारोपण करके अपनी जिम्मेदारियों से मुकर
जलवायु परिवर्तन : अभी भी वक्त है
Posted on 23 Jul, 2014 03:45 PM पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन की धमक एक लंबे समय से सुनाई पड़ती रही है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण भारत को युद्ध जैसी विभीषिका का सामना भी करना पड़ सकता है, ऐसी एक गम्भीर चेतावनी पहली बार हमारे सामने आयी है और वह भी किसी साधारण अथवा सनसनी फैलानेवाले स्रोत से नहीं, बल्कि संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन से जुड़े अन्तरराष्ट्रीय पैनल की रिपोर्ट के माध्यम से। यह हमारे लिए सिर्फ चिंता की ही बात न होकर
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