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टॉयलेट, एक प्रेम कथा - Toilet, Ek Prem Katha
Posted on 12 Aug, 2017 10:39 AM

शौच और सोच के बीच एक व्यंग्यकथा


डायरेक्टर :श्री नारायण सिंह
लेखक: सिद्धार्थ-गरिमा
कलाकार : अक्षय कुमार, भूमि पेडणेकर, सुधीर पांडेय और अनुपम खेर
मूवी टाइप : ड्रामा
अवधि : 2 घंटा 35 मिनट

.आज भी खुले में शौच बड़ा मुद्दा है, अभी भी देश में साठ फीसदी से ज्यादा लोग खुले में शौच के आदी हैं। ‘खुले में शौच’ एक आदत है, साथ ही एक सोच है, जिसने भारत को गंदगी का नाबदान बना रखा है। फिल्म खेतों और खुले में शौच करने की आदत पर करारा व्यंग्य है।

कहानी की शुरुआत


मथुरा का नंदगाँव अभी पूरी तरह नींद की आगोश में है। रात का अंतिम पहर खत्म होने में कुछेक घंटे बाकी हैं। महिलाएँ हाथों में लोटा और लालटेन लेकर निकल पड़ी हैं। रास्ते में वे एक-दूसरे से खूब हँसी-मजाक करती हैं। यह वक्त उनके लिये आजादी का वक्त है।

नए ग्रिड मॉडल से सार्क देशों में दूर हो सकती है बिजली की किल्लत (New grid model can solve electricity crisis in saarc region)
Posted on 11 Aug, 2017 04:41 PM

भारत में पवन ऊर्जा की गुणवत्ता बेहतर नहीं है और परमाणु ऊर्जा के उपयोग से कचरे का निपटारा

अल-नीनो और ला-नीना क्या हैं (El-nino and La-nina in Hindi)
Posted on 11 Aug, 2017 03:58 PM
वे मौसमी कारक, जो मानसून की चाल पर असर डालते हैं, कुछ कम विलेन नहीं माने जाते हैं। इन्हीं में से एक है अल-नीनो (एल निन्यो)। मानसून की एक कमान अल-नीनो के हाथ रहती है।
मानसून की बारिश : कुछ रोचक बातें (Interesting facts on monsoon season)
Posted on 11 Aug, 2017 03:51 PM
हमारे देश के लिये मानसून एक जादुई घटना है। जादुई इसलिये क्योंकि मानसून के संग आने वाला बारिश का मौसम भले ही सिर्फ एक ऋतु के रूप में गिना जाता है, पर असल में यह हमारे देश की 6 ऋतुओं (वसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त, शिशिर अर्थात पतझड़) को प्रभावित करने की हैसियत रखता है। वैसे तो वसन्त को ऋतुराज कहा जाता है परन्तु असलियत में मानसून यानी वर्षा इस ऋतु-चक्र की धुरी है। गर्मी से त्रस्त धर
सातवीं इंडिया इण्टरनेशनल वाटर समिट Water for all (सबके लिये पानी)
Posted on 11 Aug, 2017 10:36 AM
तिथि : 22 अगस्त, 2017
समय : सायं 03 बजे
स्थान : इंडिया हैबीटाट सेन्टर, नई दिल्ली

.“पानी की एक बूँद भी अगर बेकार होती है तो हमें उसके दर्द का एहसास होना चाहिए, आइये हम अपने आप से वादा करें कि इस जून, जुलाई, अगस्त और सितम्बर के महीने में हम पानी की एक बूँद भी बेकार नहीं जाने देंगे… यही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, ताकि इस साल जब हम दिवाली मनाएँ तो हमें यह सोचकर आनन्द की अनुभूति होनी चाहिए कि हमने कितना पानी बचाया है।” - भारत के प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी की मन की बात से लिया गया कथन।

आजादी के बाद से ही भारत ने जलस्रोतों में काफी विकास किया है और देश की जनता की पानी की विभिन्न माँगों को एक हद तक सफलतापूर्वक पूरा भी किया है। फिर भी समय के साथ-साथ बढ़ते हुए शहरीकरण जनसंख्या और औद्योगिक विकास के चलते कहीं-न-कहीं इन जलस्रोतों पर दबाव पड़ा है और आज हम पानी की कमी महसूस कर रहे हैं।

भूजल स्तर में गिरावट के लिये जिम्मेदार है बिजली सब्सिडी
Posted on 10 Aug, 2017 07:49 PM

भूमिगत जल स्तर कम होने से विभिन्न आकार की जोत वाले किसानों के कृषि अर्थतंत्र पर असर पड़त

महात्मा से पर्यावरणविद (Gandhi: A human ecologist)
Posted on 10 Aug, 2017 01:52 PM

क्या महात्मा गांधी को 21वीं सदी का समसामयिक पर्यावरणविद कहा जा सकता है?

उन्नत बागवानी (Advanced gardening)
Posted on 09 Aug, 2017 03:31 PM
बागवानी यानि हार्टिकल्चर फसलोत्पादन में हमारे देश का समूचे विश्व में विशेष योगदान है फल तथा सब्जी दोनों के उत्पादन में हमारे देश का दूसरा स्थान है। इसी प्रकार अन्य बागवानी फसलों के उत्पादन में हम किसी से कम नहीं। परन्तु अन्तरराष्ट्रीय बाजार में हमारे बागवानी उत्पादों की कीमत अन्य देशों की तुलना में कम आंकी जाती है, यही नहीं कुछ उत्पादों के निर्यात पर
पानी की समस्या (Water Problem in Hindi)
Posted on 09 Aug, 2017 03:12 PM


लम्बे समय से अनेक विद्वान और चिंतक आम जनता को सचेत करते आए हैं कि आने वाले समय में बढ़ती आबादी और औद्योगिकरण के कारण पानी की विकराल समस्या खड़ी होगी। यह भी कह दिया गया है कि अगला विश्वयुद्ध शायद पानी की समस्या को लेकर होगा। वैसे तो पूरे विश्व में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है पर भारत में यह ज्यादा तीव्रगति से बढ़ रही है। भारत में पानी के दो प्रमुख स्रोत हैं:

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