Posted on 25 Jan, 2013 12:32 PMहर समाज को यह समझना होगा कि उसके द्वारा छोड़े जा रहे कचरे का प्रबंधन उसे कैसे करना है। इससे हमें कई अहम चीजों और विषयों के बारे में सीखने को मिलता है। कचरा प्रबंधन की शिक्षा मुझे संयोग से ही मिली थी। चंद वर्षों पहले जिस कमेटी के साथ मैं काम कर रही थी उसे सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि वह नदियों में गंदगी छोड़कर उन्हें नारकीय हालात में पहुंचाने वाले शहर के नालों की सफाई इंतजामों पर राज्य सरकारों की कोशिशों की निगरानी करे। सरकार ने एक कार्ययोजना पेश की। इसमें उन्हें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों को बनाने, मौजूदा प्लांट बेहतर करने, आवासीय कॉलोनियों में नाले-नालियों का निर्माण और कचरे को सीवेज प्लांट तक पहुंचाने वाली व्यवस्था की मरम्मत का काम करना था।
Posted on 25 Jan, 2013 10:59 AMभारत की जनसंख्या बढ़ रही है, उद्योगों में बढ़ोत्तरी है और कृषि उत्पादन बढ़ रहा है। परिणामस्वरूप ग्रामीण और शहरी, दोनों ही इलाकों में पानी की मांग भी बढ़ रही है। जो नहीं बढ़ रही है, वह है पानी की प्राकृतिक आपूर्ति। मौसम में हो रहे परिवर्तनों से भविष्य में पानी और भी कम हो जायेगा, इसलिए यही समय है कि कोई कारगर नीति बनायी जाए। अभी तक की सरकारी योजनाओं से बहुत ही कम मदद हो पायी है। इसकी एक वजह है कि ह
Posted on 25 Jan, 2013 10:17 AMइसे भारत की कुछ अनजानी विडंबनाओं में से एक कह सकते हैं। पिछले कुछ सालों में भारतीय राज्य ने सार्वजनिक सिंचाई एजेंसियों के माध्यम से सतही जल प्रणाली का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया है। इसने सिंचाई प्रणालियों-बांध, तालाब, नहर आदि क
Posted on 24 Jan, 2013 11:12 AMयमुना के तट पर बसे दिल्ली शहर ने यमुना को अपने कचरे से एक काले गंदे नाले में बदल दिया है। यमुना की वर्तमान सफाई-रणनीति तो धराशायी हो चुकी है; आज इस नदी में पहले की अपेक्षा कहीं ज्यादा गंदगी है। समय आ गया है कि इसकी अंतहीन दुर्दशा की रोना रोने के बजाय हम एक ऐसी कार्यनीति की रचना करें जो यमुना को साफ करवाने में कारगर सिद्ध हो।
Posted on 18 Jan, 2013 12:21 PMतिथि : --- मार्च 2013, शुक्रवार स्थान : सीरीफोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
गंगा समग्र एक विस्तृत गैर राजनीतिक और देश भक्तों का ऐसा मंच है जो गंगा को निर्मल और अविरल बनाकर उसकी रक्षा करने के लिए तत्पर हैं। हम भारत की सभी नदियों को साफ-सुथरा देखना और करना चाहते हैं। हमारा विश्वास है कि यह मिशन तभी सफल हो सकता है जब सरकारों राजनीतिक दलों, चयनित प्रतिनिधियों, धार्मिक संस्थाओं और उनके वरिष्ठ नेता, किसान, कामगार, छात्र, युवा, महिलाएं, सामाजिक सांस्कृतिक संगठन, पर्यावरणीय समूह, वैज्ञानिक, व्यवसायी और मीडिया आदि सभी इस मुहिम में बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।
गंगा को बचाने की इस मुहिम में अपनी भागीदीरी सुनिश्चित करने के लिए मार्च 0---, 2013 को आप सभी सीरीफोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली में सेमिनार के लिए आमंत्रित हैं :