दिल्ली

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जल संरक्षण में जन भागीदारी
Posted on 29 Apr, 2014 11:23 AM
हमारी पृथ्वी के सतह का 70 प्रतिशत भाग जलमग्न है। इस जल का 2.5
सत्ता के कुचक्र से जूझते जन आंदोलन
Posted on 29 Apr, 2014 10:51 AM देश के कई हिस्सों में जल, जंगल और जमीन के अधिग्रहण के विरोध में आंदोलनकारी सक्रिय हैं। लेकिन सत्ता में बैठे लोग उन आवाजों की निरंतर अनसुनी कर रहे हैं। ऐसे में करोड़ों लोगों के विस्थापित और बेरोजगार होने का खतरा बढ़ गया है। जायजा ले रहे हैं प्रसून लतांत..
विडंबना है कि देश के प्राकृतिक संसाधनों को लूटने वाले लोग एकजुट हैं और सत्ता में बैठे लोगों से उनकी गलबहियां है। ऐसे में वंचित वर्ग के लोगों को सरकार से अब कोई उम्मीद नहीं रह गई है। उनके सामने अब अपने हक के लिए आंदोलन के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। आजादी के बाद पिछले छह दशकों में देश के गरीब किसान, मजदूर, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और घुमंतू जनजाति के लोगों के सामने रोजी-रोटी की समस्या विकराल हो गई है। अब वे अपने वजूद बचाने के लिए आंदोलन पर उतर आए हैं। पूरी दुनिया में जमीन और पानी को लेकर संघर्ष जारी है। एक तरफ बड़े-बड़े उद्योगपति-पूंजीपति हैं जो सारे साधनों-संसाधनों पर कुंडली मार कर बैठ जाना चाहते हैं। दूसरी तरफ छोटे किसान, भूमिहीन और वंचित समाज के लोग हैं, जो चाहते हैं कि भूमि पर उनको भी थोड़ा अधिकार मिले। जिससे वे देश, परिवार और समाज के लिए अन्न पैदा कर सकें। विडंबना है कि देश के प्राकृतिक संसाधनों को लूटने वाले लोग एकजुट हैं और सत्ता में बैठे लोगों से उनकी गलबहियां है।

ऐसे में वंचित वर्ग के लोगों को सरकार से अब कोई उम्मीद नहीं रह गई है। उनके सामने अब अपने हक के लिए आंदोलन के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। आजादी के बाद पिछले छह दशकों में देश के गरीब किसान, मजदूर, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और घुमंतू जनजाति के लोगों के सामने रोजी-रोटी की समस्या विकराल हो गई है। अब वे अपने वजूद बचाने के लिए आंदोलन पर उतर आए हैं। मीडिया और राजनीतिक दलों की निष्ठा भी अब गरीबों और वंचितों के हक को दिलाने में नहीं रह गई है।
जल जीवन है...
Posted on 29 Apr, 2014 08:19 AM जल जीवन है इस धरती का,
जल बिन है सब सूना,
जल बिन फट जाता है,
अपनी धरती मां का सीना,
जल बिन तड़पें नभचर ,
जलचर, थलचर, सारे प्राणी,
जल है अमृत, जल है शक्ति,
बिन जल कृषि सुखानी,
जल बिन ना कल चले,
चले ना धर्म, ना कोई ज्ञान ,
जल नहीं है अनंत काल तक,
जल का रख लो मान !

कमजोर मानसून भी बुरा नहीं
Posted on 28 Apr, 2014 11:27 AM मौसम विभाग सही रहा तो भी 0.1 से 0.2% ही कृषि विकास गिरेगा
सामान्य से पांच प्रतिशत कम मानसून की संभावना जताई गई है इस साल। लेकिन अब ये चिंता की पहले जैसी बड़ी वजह नहीं रही। खाद्यान्न की बड़े पैमाने पर आपूर्ति करने वाले राज्यों ने मानसून पर निर्भरता कम करने के कई इंतजाम किए हैं। नहरों, बांधों से पानी का अच्छा मैनेजमेंट स्थित नहीं बिगड़ने देगा। खाद्यान्नों का स्टॉक भी काफी है।
कैसे करें ऊसर सुधार
Posted on 28 Apr, 2014 09:28 AM समाधान हमेशा समस्या के मूल में छिपा होता है। इन्हें अंजाम देने की श
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खतरे की चेतावनी
Posted on 27 Apr, 2014 01:00 PM आज हमारे सामने विकास बनाम पर्यावरण का मुद्दा है और दोनों में से किसी को भी त्यागना संभव नहीं इसलिए समन्वित दृष्टिकोण के साथ वैश्विक हितों को साझा किया जाना चाहिए। यह ठीक है कि विकासशील देश चाहते थे कि उनको वह पूंजी और तकनीकी मिले ताकि वे पर्यावरण बचाने के साथ साथ अपने विकास को भी बनाए रख सकें। क्योंकि पर्यावरण की चिंताओं के बीच भी वे विकास को पर्यावरण के आगे क़ुर्बान करने के लिए तैयार नहीं थे और न होंगे। हाल में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की अंतर-सरकारी समिति ने भारी-भरकम रिपोर्ट जारी करते हुए यह आगाह किया है कि अगर दुनिया के देश गर्म होने वाली गैसों के प्रदूषण में कमी नहीं लाते तो ग्लोबल वार्मिंग से होने वाला नुकसान बेकाबू हो सकता है। ग्लोबल वार्मिंग से सिर्फ ग्लेशियर ही नहीं पिघल रहे, बल्कि इससे लोगों की खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और रहन-सहन भी प्रभावित होने लगा है।

रिपोर्ट में आहार सुरक्षा की तरफ विशेष ध्यान दिया गया है। पर्यावरण परिवर्तन के अंतर-सरकारी समिति (आईपीसीसी) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार अत्यधिक तापमान के कारण आने वाले समय में धान और मक्के की फसलों की बर्बादी का अंदेशा है। मछलियां बहुत बड़ी आबादी का आहार हैं। उन्हें भी क्षति होगी। बड़ी चुनौती है कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कैसे कम किया जाए।
पर्यावरण प्रदूषण : प्रकार, नियंत्रण एवं उपाय
Posted on 27 Apr, 2014 12:45 PM जैसे-जैसे विकास की रफ्तार बढ़ रही है, जीवनयापन भी कठिन होता जा रहा
सूखे का डर
Posted on 27 Apr, 2014 10:27 AM

औद्योगिक इकाइयां ढेर सारा पानी इस्तेमाल करती हैं और फिर उसे विषैला बना कर छोड़ देती हैं। कीटनाश

सुनिश्चित करें कि आपका आरओ प्युरिफायर विश्व स्तरीय हो
Posted on 27 Apr, 2014 10:03 AM भारत के बाजार में वाटर प्युरिफायर्स, फिल्टर्स कई तरह के प्रचलन में है। जल गुणवत्ता की कमी की वजह से प्युरिफायर्स घरों में एक जरूरी चीज बनते जा रहे हैं। प्युरिफायर्स का प्रमाणीकरण अब एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। आरओ प्युरिफायर के प्रमाणन के संदर्भ में केंट आरओ सिस्टम लिमिटेड के चेयरमैन श्री महेश गुप्ता की बातचीत।

आरओ प्युरिफायर्स के लिए प्रमाणपत्र क्यों जरूरी हैं?
नदी जोड़ो एक अहंकारी योजना
Posted on 27 Apr, 2014 09:19 AM जिस प्रकार से हम नदियों के संसाधन को व्यापार के क्षेत्र में उतार चु
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