Posted on 02 Aug, 2014 10:38 PMभारत में नदियों की पूजा भले की जाती हो, पर उनकी स्वच्छता की चिन्ता नहीं किए जाने से आज देश के 60 हजार गांव प्यासे हैं, और यदि पानी मिलता है तो बीमारियों के साथ। अंधाधुंध विकास की चाहत में भूजल स्तर जिस रफ्तार से कम हो रहा है, उससे भविष्य में पानी के लिये युद्ध होने की आशंकाएं भी कम नहीं हैं। जरूरत है कि हम नदियों से छेड़छाड़ रोककर उनके प्राकृतिक बहाव को महत्त्व दें, नहीं तो हमारी सभ्यता कभी भी तबाह हो सकती है। पेश है भविष्य के संकटों को परखती रिपोर्ट।
राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में गंगा की सफाई की योजना पर बड़े शोर-शराबे के साथ काम शुरू हुआ था। गंगा एक्शन प्लान बना। अब तक लगभग बीस हजार करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद गंगा का पानी जगह-जगह पर प्रदूषित और जहरीला बना हुआ है।केंद्र की नई सरकार ने गंगा नदी से जुड़ी समस्याओं पर काम करने का फैसला किया है। तीन-तीन मंत्रालय इस पर सक्रिय हुए हैं। एक बार पहले भी राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में गंगा की सफाई की योजना पर बड़े शोर-शराबे के साथ काम शुरू हुआ था। गंगा एक्शन प्लान बना। मनमोहन सिंह सरकार ने तो गंगा को राष्ट्रीय नदी ही घोषित कर दिया। मानो पहले यह राष्ट्रीय नदी नहीं रही हो। अब तक लगभग बीस हजार करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद गंगा का पानी जगह-जगह पर प्रदूषित और जहरीला बना हुआ है। गंगा का सवाल ऊपर से जितना आसान दिखता है, वैसा है नहीं। यह बहुत जटिल प्रश्न है। गहराई में विचार करने पर पता चलता है कि गंगा को निर्मल रखने के लिए देश की कृषि, उद्योग, शहरी विकास तथा पर्यावरण संबंधी नीतियों में मूलभूत परिवर्तन लाने की जरूरत पड़ेगी। यह बहुत आसान नहीं होगा।
Posted on 02 Aug, 2014 04:33 PMकिसी नदी का तल कितना गहरा अथवा उथला होगा, यह तय करने का काम उसके उद्गम और समुद्र से उसके संगम स्थल की ऊंचाई के बीच के अंतर का काम है। इसी तरह नदी मार्ग में घुमाव, संगम या अवरोध उत्पन्न करने का काम प्रकृति का है। अतः इस बाबत् श्री अनुपम मिश्र जी के नदी जोड़ संबधी बयान से प्रेरणा लेते हुए कहा जाना चाहिए कि श्रीमान नितिन गडकरी जी गंगाजी को गहरा करने व नए बैराज
Posted on 02 Aug, 2014 03:29 PMएंटीबॉयोटिक दवाओं को लेकर अर्से से जताई जा रही चिंता ने अब गंभीर रूप ले लिया है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में एंटीबॉयोटिक दवाओं के विरुद्ध पैदा हो रही प्रतिरोधात्मक क्षमता को मानव स्वास्थ के लिए एक वैश्विक खतरे की संज्ञा दी है। चिंता की बात यह है कि जिन महामारियों का दुनिया से समाप्त होने का दावा किया गया था,वे फिर आक्रामक हो रही ह
Posted on 02 Aug, 2014 01:19 PMग्रामीणों क्षेत्र के लोगों को उनकी आजीविका के साधनों को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित की जाती हैं। इन योजनाओं पर अनुदान का भी प्रावधान रखा गया है। किसान व आम ग्रामीण अनुदान प्राप्त कर आजीविका के साधनों को बेहतर बना सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि अनुदान की प्रक्रियाओं को जानें। पंचायतनामा के इस अंक में हम दूध उत्पादन करने वाले लोगों को योजनाओं और अनुदा
Posted on 01 Aug, 2014 01:53 PMविष्णुपद से निकल चली करती कलकल गान एक अनूठे तप का फल हूँ भू पर स्वर्ग सोपान मेरी लहरों में बसते थे शुचिता और उल्लास काल पटल में सिमट रहा हैं मेरा मधुमय हास मैं सुर सरि युग युग से मनुज का करती हूँ उद्धार कलुष हरण कर होती जाती मैं कलुषित लाचार मैं माँ हूँ दुखियारी भी हूँ किसको अपनी व्यथा सुनाऊँ घुटती जाती मन ही मन