Posted on 02 Sep, 2014 04:23 PMगंगा के सफाई अभियान को लेकर लंबे समय से कोशिश हो रही है। लेकिन सरकारों की इच्छाशक्ति की कमी और भ्रष्टाचार की वजह से इस दिशा में कोई खास सफलता नहीं मिली। प्रदूषण के बढ़ते खतरे और अभियान की नाकामियों का जायजा ले रहे हैं सुभाष शर्मा।
गंगा भारतीय जन-मानस, संस्कृति और सभ्यता में कई रूपों में सदियों से विद्यमान रही हैं। मुख्य रूप से आस्था का प्रतीक है गंगा, क्योंकि एक हिंदू मिथक के अनुसार राजा भगीरथ अपने पुरखों का तर्पण करने के लिए सुदीर्घ तपस्या करके गंगा को भारत भूमि पर लाए थे। तब से भारतीय उन्हें ‘देवी’ के रूप में पूजते रहे हैं; उन्हें ‘मां’ का संबोधन देते रहे हैं और उनके जल को ‘पवित्र गंगा जल’ के रूप में सभी धार्मिक, वैवाहिक और पर्व-त्योहार के अवसरों पर उपयोग में लाते रहे हैं।
यह गंगा जल मानव जीवन की तीन महत्वपूर्ण अवस्थाओं यथा जन्म, विवाह और मृत्यु के दौरान उपयोग में लाया जाता है।