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पानी बने कैसे शुद्ध पानी
Posted on 09 Aug, 2015 10:09 AM सेहत के जानकार मानते हैं कि यदि पेयजल शुद्ध होगा तो बीमारियाँ पास भी नहीं फटकेंगी। हम आपको पेयजल शुद्ध करने के उन तरीकों के बारे में बताते हैं जो वैज्ञानिकों द्वारा प्रमाणित हैं और असरदायक भी।

(1) उबालना - पानी को उबालकर शुद्ध करने की विधि बहुत पुरानी है, लेकिन यह सबसे किफायती और सुरक्षित विधि है, जिससे पानी में मौजूद कीटाणु पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं।
हमारे शहर के पर्यावरण कैसे बनेंगे स्मार्ट
Posted on 08 Aug, 2015 01:32 PM देश के पचास शहरों को पर्यावरणीय लिहाज से स्मार्ट बनाने, वायु प्रदू
पर्यावरण समस्याओं के समाधान हेतु सभी अपना-अपना योगदान दें!
Posted on 08 Aug, 2015 12:06 PM

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संघ की चेतावनी

दक्षिण गंगा कावेरी
Posted on 08 Aug, 2015 09:51 AM

सह्याद्रि की पश्चिमी पर्वत शृंखला में एक ‘ब्रह्मगिरि या ब्रह्मकपाल’ नामक ऊँची पहाड़ी है।

जल बचत से जल संकट का समाधान होगा
Posted on 07 Aug, 2015 02:11 PM

विकसित देशों में जल राजस्व का रिसाव दो से आठ प्रतिशत तक है जबकि भारत में जल राजस्व का रिसाव दस

नमामि गंगे मिशन अधर में, सरकार ने माना गंगा मैली
Posted on 07 Aug, 2015 12:02 PM 528 करोड़ प्रावधान रखा गया था पिछले साल के बजट में
91.75 लाख रुपए ही खर्च किये जा सके गंगा की सफाई पर

पर्यावरण, पारिस्थितिकी और पर्यटन
Posted on 07 Aug, 2015 11:36 AM

सामान्यतः मनुष्य की हर गतिविधि पर्यावरण पर कुछ-न-कुछ प्रभाव जरूर छोड़ता है और पर्यटन भी इससे अछ

नदियों से हमारे सम्बन्ध
Posted on 07 Aug, 2015 09:42 AM

गंगा की सफाई के लिए वर्तमान सरकार ने अलग से मन्त्रालय बनाया है और नमामी गंगा योजना शुरु की गई ह

polluted river
आर्सेनिक : खामोश कातिल (Arsenic : Silent Killer)
Posted on 06 Aug, 2015 03:33 PM

समस्या


वर्ष 2000 से पहले आर्सेनिक के मामले बांग्लादेश, भारत और चीन से ही सामने आते थे। मगर पिछले दशक के शुरुआती सालों में आर्सेनिक प्रदूषण का फैलाव दूसरे एशियाई मुल्कों जैसे मंगोलिया, नेपाल, कम्बोडिया, म्यांमार, अफगानिस्तान, कोरिया, पाकिस्तान आदि में भी दिखने लगा है। साथ ही बांग्लादेश, भारत और चीन में भी आर्सेनिक की अधिक मात्रा के मामले कई और नए इलाकों में भी सामने आने लगे हैं। महज कुछ दशक पहले तक आर्सेनिक का जिक्र पानी के मुद्दों में अमूमन नहीं होता था। लेकिन पिछले कुछ दशकों से आर्सेनिक प्रदूषण के मामले चर्चा के केन्द्र में आ गए हैं। दुनिया भर में 20 से भी ज्यादा मुल्कों के भूजल में आर्सेनिक होने के मामले सामने आये हैं (बोरडोलोई, 2012)। खासतौर पर हमारे दक्षिण एशियाई देशों में लगातार पेयजल में आर्सेनिक के मामले प्रकाश में आ रहे हैं और बड़ी संख्या में लोगों के इससे पीड़ित होने का पता चल रहा है और अब इसे वृहद जनस्वास्थ्य समस्या के रूप में देखा जाने लगा है।

हालांकि भूजल में आर्सेनिक की उपस्थिति भूगर्भ में होने की वजह से होता है। पर कई और वजहें भी हैं भूजल में आर्सेनिक की सान्द्रता बढ़ने की। इनमें से कुछ प्राकृतिक वजहें हैं, जैसे, आर्सेनिक चट्टानों के टूटने और सेडिमेंटरी डिपोजीशन (रेजा एट एल., 2010), मानवजनित वजहें जैसे धात्विक खनन, खेती में आर्सेनिकयुक्त उर्वरकों का इस्तेमाल (स्मेडली एट एल., 1996), फर्नीचर आदि के आर्सेनिकयुक्त प्रीजरवेटिव्स और कीटनाशकों के इस्तेमाल (एफएक्यू, 2011)
पेयजल योजनाओं की सुस्ती पर केन्द्र की चेतावनी
Posted on 06 Aug, 2015 11:53 AM मौजूदा वित्त वर्ष में उपलब्ध 4774.85 करोड़ की केन्द्रीय सहायता में से तीन माह में महज 101.40 करोड़ ही खर्च
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