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डिपेंडेंस वाया वर्ल्ड वाटर लीग-इण्डिया 2020
Posted on 13 Aug, 2015 01:25 PM आओ इण्डि! दिवस-देवस खेलते हैं। देवस समझती हो न?
drinking water
यहं सूखा, वहं बाढ़
Posted on 13 Aug, 2015 11:52 AM वर्ष-2015, भारत के लिये सूखा वर्ष है या बाढ़ वर्ष?

बाढ़ और सुखाड़ के दुष्प्रभावों के बढ़ाने में इंसानी हाथ को लेकर एक पहलू और है। घोषणा चाहे बाढ़ की हो या सुखाड़ की, तद्नुसार अपनी फसलों और किस्मों में बदलाव की सावधानी अभी ज्यादातर भारतीय किसानों की आदत नहीं बनी है। सुखद है कि पंजाब ने धान की एक तरफा रोपाई की जगह विविध फसल बोने का निर्णय लिया है। किन्तु कम वर्षा की घोषणा बावजूद, उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों ने इस वर्ष की धान की रोपाई में कोई कमी नहीं की। इस प्रश्न का कोई एक उत्तर नहीं हो सकता। अब तक हुई बारिश और आई बाढ़ के आधार पर एक भारतीय इसे ‘सूखा वर्ष’ कह रहा है, तो दूसरा ‘बाढ़ वर्ष’? एक जून, 2015 से 10 अगस्त, 2015 तक के आँकड़ों के मुताबिक देश के 355 जिलों में सामान्य से अधिक और 258 में सामान्य से कम बारिश हुई है। इस आधार पर वर्ष 2015 भारत के लिये अधिक वर्षा वर्ष है। एक जून से अगस्त प्रथम सप्ताह तक का राष्ट्रीय औसत देखें, तो वर्षा दीर्घावधि औसत से छह फीसदी कम रही। तय मानकों के मुताबिक, इसे आप सामान्य वर्षा की श्रेणी रख सकते हैं। इस आधार पर यह सामान्य वर्षा वर्ष है।

ग़ौरतलब है कि 1951-2000 का दीर्घावधि औसत 89 सेंटीमीटर है। किसी भी मानसून काल में यदि औसत, दीर्घावधि औसत का 96 से 104 फीसदी हो, तो सामान्य माना जाता है। यदि यह 90 से 96 फीसदी हो, तो सामान्य से कम और 90 फीसदी से कम हो, तो सूखे की स्थिति मानी जाती है और यदि यह 104 से 110 फीसदी हो, तो सामान्य से अधिक वर्षा मानी जाती है। 110 फीसदी से अधिक होने पर इसे अत्यधिक वर्षा की श्रेणी में माना जाता है।
drought
आखिर अब कैसे बचेंगे हाथी
Posted on 11 Aug, 2015 12:38 PM

विश्व हाथी दिवस पर विशेष

elephant
पूर्वी गौला पारः भाबर म्वाव
Posted on 11 Aug, 2015 11:30 AM नैनी क्षेत्र का हल्द्वानी विकासखण्ड के अन्तर्गत एक भाग गौलापार उर्फ भाबर उर्फ म्वाव है, जो काठगोदाम शहर के पास ही गौला बैराज से शुरू होकर गौला नदी से पूर्व दिशा में फैला है। यह भाग भीमताल व ओखलकाण्डा विकास खण्ड की अन्तिम सीमा बनाता हुआ, चोरगलिया क्षेत्र की सीमा तक फैला है। सम्पूर्ण क्षेत्र की उत्तर से दक्षिण तक लम्बाई 25 किमी.
हरियाली जरूरी है
Posted on 11 Aug, 2015 11:17 AM
हमारी जीवन पद्धति व सरकारी नीतियाँ केन्द्रित व्यवस्था को ही बढ़ावा दे रही हैं। जिसके कारण हम आत्मकेन्द्रित होते जा रहे हैं। नतीजा है कि हम अपने से ज्यादा कुछ ना सोच पा रहे हैं ना ही धरती के पर्यावरण के लिये जो कुछ बहुत आसानी से भी किया जा सकता है वो भी नहीं कर पा रहे हैं।
सरकारी समारोहों में अतिथियों को भेंट किए जाएँगे पौधे
Posted on 10 Aug, 2015 04:04 PM वनों के प्रदेश की अ​हमियत कायम रखने की जिम्मेदारी अवामी है। इसे एक
Planting
वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी
Posted on 10 Aug, 2015 03:51 PM भारतीय परम्परा के अनुसार मूलतः छह ऋतुएँ होती हैं, पर मुख्यतः तीन
नदी पुनीत पुरान बखानी
Posted on 09 Aug, 2015 12:45 PM मानस में जल की यह 35 वीं शृंखला अयोध्या कांड के 118 वें दोहे से ली गई है। राम वनवास में ग्रामों से गुजरते तब वहाँ के ग्राम वासी उन्हें बिदा करते समय आँखों में जल भर कर सुगम मार्ग बतलाते हैं। विधाता को कोसते है।

निपट निरंकुस निठुर निसंकू।
जेहि ससि कीन्ह सरूज सकलंकू।।
रूख कलपतरू सागर खारा।
तेहि पठए बन राजकुमारा।।

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