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मनरेगा में बदलाव की कहानी
Posted on 01 Mar, 2016 03:12 PM

मनरेगा जिन्दा रखना है : नौरति



नौरति बाई मनरेगा के लिये संघर्ष में अग्रणी रही थीं। वह सूचना का अधिकार, काम के अधिकार और अन्य तमाम जनान्दोलनों का हिस्सा भी रहीं। उन्होंने 1983 में न्यूनतम मजदूरी के लिये सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया था। कम्प्यूटर सीखा। अब दूसरों को पढ़ाती हैं। वह हरमदा पंचायत की पूर्व सरपंच हैं।
जल संकट : घरों में बोतलबन्द पानी से धोए जा रहे बर्तन
Posted on 01 Mar, 2016 12:55 PM
दिल्ली के लगभग हर इलाके में शनिवार को पानी की स्थिति रही खराब, यमुना में अमोनिया की मात्रा बढ़ने से एक बार फिर हुई पानी की किल्लत

कृषि क्षेत्र पर अधिक ध्यान जरूरी
Posted on 01 Mar, 2016 11:48 AM किसानों को अपेक्षा है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली कृषि एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में नई जान फूँकने के लिये बजट में अपनी मुट्ठी अवश्य खोलेंगे

कहीं हम सब फँस तो नहीं रहे ‘जल युद्ध’ के चक्रव्यूह में
Posted on 01 Mar, 2016 11:09 AM

पानी की किल्लत बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनने जा रहा है। गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा, काव

कर्ज में डूबे किसानों को उबार पाएँगे जेटली
Posted on 01 Mar, 2016 11:03 AM
सरकार से देश के किसानों की उम्मीदों की बात करें तो दो साल से
जमुना जी को दरद न जाने कोय
Posted on 29 Feb, 2016 04:18 PM


ताज्जुब है कि प्रेम और शान्ति के सन्देश के नाम पर श्री श्री रविशंकर और उनके अनुयायी उस धारा को ही भूलने को तैयार हैं, जो शान्ति की निर्मल यमुनोत्री से निकलकर, प्रेम का प्रतीक बने ताजमहल को आज भी सींचती है! बांकेबिहारी को पूजने वाले भी भला कैसे भूल सकते हैं कि कालियादेह पर नन्हें कान्हा का मंथन-नृतन कृष्ण की कृष्णा को विषमुक्त कराने की ही क्रिया थी?

आज है कोई जो कान्हा बन कालियादेह को सबक सिखाए? पुरानी दिल्ली वालों को भी भूलने का हक नहीं कि तुगलकाबाद के किले से लाकर कश्मीरी गेट से अजमेरी गेट के बीच देल्ही को बसाने वाली यमुना ही थी। जिस लालकिले की प्राचीर से उगते हुए आजादी का सूरज कभी सारी दुनिया ने देखा था, उसकी पिछली दीवार से जिसने इश्क किया, वे लहरें भी इसी यमुना की थी। भला कोई भारतीय यह कैसे भूल सकता है!

वर्ल्ड कल्चर फेस्ट से यमुना को होगा नुकसान : एनजीटी की एक्सपर्ट कमेटी
Posted on 29 Feb, 2016 10:10 AM


आर्ट ऑफ लिविंग के आयोजन से यमुना और उसके पर्यावास को होने वाले सम्भावित नुकसान के मद्देनजर 100 करोड़ रुपए से अधिक के जुर्माने की अनुशंसा एनजीटी की एक्सपर्ट कमेटी ने की है। और एक्सपर्ट कमेटी ने यह भी कहा कि एनजीटी के पूर्व के आदेशों के उल्लंघन के लिए डीडीए के खिलाफ भी सख्त कार्यवाही की जाये।


.आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर का दिल्ली में यमुना किनारे होने वाला ‘वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल’ अब गम्भीर संकट में फँस गया है। यह आयोजन दिल्ली में यमुना नदी के उस तटीय इलाके में होना है, जो बाढ़ आने के दिनों में डूब जाता है अन्यथा खाली रहता है। इसे यमुना का फ्लड प्लेन कहा जाता है। राष्ट्रीय हरित पंचाट (एनजीटी) ने यह आशंका जताई है कि इस आयोजन के चलते यमुना नदी के क्षेत्र को गम्भीर क्षति पहुँच सकती है।

जल संकट का स्थायी समाधान निकाले दिल्ली सरकार
Posted on 28 Feb, 2016 01:38 PM
यमुना के खाले में जल संग्रह की योजना को अमली जामा पहनाना होग
यमुना के लिये अनुरोध पत्र
Posted on 28 Feb, 2016 12:09 PM 28.02.2016
प्रतिष्ठा में

श्री श्री रविशंकर जी
आर्ट ऑफ लिविंग भारत
सन्दर्भ : विश्व सांस्कृतिक उत्सव आयोजन (11-13 मार्च,2016)
स्थल : यमुना खादर
विषय : स्थान परिवर्तन हेतु अनुरोध


श्रद्धेय गुरूदेव,
प्रणाम।



माननीय, नदी जीवन्तता के सिद्धान्तों के आधार पर न्यूजीलैंड और इक्वाडोर जैसे आधुनिक मान्यता वाले देशों ने हाल के वर्षों में नदी को ‘नैचुरल पर्सन’ का संवैधानिक दर्जा दिया है, किन्तु भारत, तो बहुत पहले नदियों को माँ (नैचुरल मदर) मानने वाला देश हैं। विश्व सांस्कृतिक उत्सव में हमें 155 देशों से लोगों केे आने की सूचना है। दुनिया के तमाम ऐसे देश जो नदियों को माँ नहीं कहते, किन्तु वे भी आज नदियों के साथ शुचिता का व्यवहार सुनिश्चित करने में लग गए हैं। उन्हें क्या सन्देश देंगे हम? यमुना जी की जीवन्तता के घटकों के साथ दुर्व्यवहार कर, क्या आप भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक सोच का उचित प्रतिबिम्ब, दुनिया के सामने पेश करेंगे? हमने आपको हमेशा शान्ति और प्रेम के मार्ग पर चलने और चलाने वाले आध्यात्मिक पुरुष के रूप में जाना है। जहाँ अशान्ति हुई, वहाँ शान्तिदूत के रूप में आपको अपनी भूमिका निभाते देखा है। आपकी पहल पर आयोजित विश्व सांस्कृतिक उत्सव को लेकर अशान्ति का माहौल बनता देख हम चिन्तित हैं।

चिन्ता इसलिये भी है कि कई वर्ष पूर्व आपने स्वयं यमुना निर्मलीकरण में सहयोगी दिल्ली आयोजन का नेतृत्व किया था और आज आप स्वयं यमुना नदी की अविरलता-निर्मलता के सिद्धान्तों को भूलते अथवा जानबूझकर नजरअन्दाज करने की मुद्रा में दिखाई दे रहे हैं।
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