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स्वच्छता के लिये जरूरी है मनोवृत्ति में बदलाव
Posted on 13 Mar, 2016 03:48 PM


स्वच्छता ,स्वास्थ्य और देश का विकास एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। हमारे देश में स्वच्छता गम्भीर चुनौती है क्योंकि संसार में सबसे अधिक लगभग 60 प्रतिशत लोग खुले में शौच करते हैं। अस्वच्छता से अतिसार, बच्चों में कुपोषण और शारीरिक विकास में कमी व अन्य खतरनाक बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं जिनसे मनुष्य के जीवन को बहुत बड़ा खतरा है।

मेरे जीवन का सबसे कमजोर क्षण और सबसे बड़ी गलती : स्वामी सानंद
Posted on 13 Mar, 2016 01:40 PM


स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद -नौवाँ कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है :

.गंगाप्रेमी भिक्षु न बोलते हैं, न सही नाम बताते हैं और जन्म स्थान। पैर में भी कुछ गड़बड़ है। 70 की आयु होगी। उन्होंने भी संकल्प लिया था। वह हरिद्वार भी गए। हरिद्वार में उन्होंने भी अन्न छोड़ने की बात कही। फल-सब्जी भी उन्हें जबरदस्ती ही दिये जाते थे। बनारस में भी वह साथ में अस्पताल साथ गए।

 

सरकार के दूत थे डॉ. राजीव शर्मा


कोई तय नहीं था, लेकिन खुद पहल कर सन्यासी के हिसाब से हमने सोच लिया था कि पहले कौन जाएगा। पहले मैं, फिर भिक्षु, फिर कृष्णप्रियम और फिर बाकी। इस बीच क्या हुआ कि डिवीजनल हॉस्पीटल के डॉ. राजीव शर्मा आये।

जरूरत है पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता
Posted on 13 Mar, 2016 12:22 PM

इन दिनों अमेरिका के कई राज्यों मे पतझड़ शुरू हो गया है। नियम है कि हर पेड़ से गिरने वाली प्रत्येक पत्ती और यहाँ तक कि सींक को भी उसी पेड़ को समर्पित किया जाता है। समाज के कुछ लोग पुराने पेड़ों के तनों की मर गई छाल को खरोंचते हैं और इसे भी पेड़ की जड़ों में दफना देते हैं। पेड़ों की पत्तियों को ना जलाने और उन्हें जैविक खाद के रूप में संरक्षित करने के कई नियम व नारे तो हमारे यहाँ भी हैं, लेकिन उनक

श्री श्री-यमुना विवाद : राष्ट्रीय हरित पंचाट का आदेश
Posted on 10 Mar, 2016 07:04 PM


हिंदी प्रस्तुति: अरुण तिवारी

विश्व सांस्कृतिक उत्सव आयोजन के यमुना भूमि पर किए जाने से उपजे विवाद से आप परिचित ही हैं। विवाद को लेकर राष्ट्रीय हरित पंचाट ने दिनांक नौ मार्च, 2016 अपना आदेश जारी कर दिया है। खबर है कि प्रारम्भिक मुआवजा राशि के आदेश से असंतुष्ट श्री श्री रविशंकर जी ने सर्वोच्च न्यायालय में जाने का निर्णय लिया है। मेरा मानना है कि आदेश ने पर्यावरणीय सावधानियों के अलावा प्रशासनिक कर्तव्य निर्वाह के पहलुओं पर भी दिशा दिखाने की कोशिश की है।

मूल आदेश अंग्रेजी में है। पाठकों की सुविधा के लिए आदेश का हिंदी अनुवाद करने की कोशिश की गई है। यह शब्दवार अनुवाद नहीं है, किंतु ध्यान रखा गया है कि कोई तथ्य छूटने न पाये। समझने की दृष्टि से कुछ अतिरिक्त शब्द कोष्ठक के भीतर जोङे गये हैं। अनुरोध है कि कृपया अवलोकन करें, विश्लेषण करें और अपने विश्लेषण/प्रतिक्रिया से हिंदी वाटर पोर्टल को अवगत करायें।

आदेश दस्तावेज की हिंदी प्रस्तुति

श्री श्री से आगे जहाँ और भी हैं
Posted on 10 Mar, 2016 01:45 PM

जब पानी को लेकर सारे देश में कोहराम की स्थिती बनती जा रही है जबकि गर्मियों ने अभी तक अपना

कोयला से दूर कैप्रियो
Posted on 10 Mar, 2016 11:53 AM
लियोनार्डो डी कैर्पियोजलवायु परिवर्तन व स्वच्छ ऊर्ज
17 सवालों के घेरे में श्रीश्री की श्री
Posted on 08 Mar, 2016 04:33 PM


जिसने दिया ज्यादा और लिया कम, हम इंसानों ने उसे देवता का दर्जा दिया। जिसने लिया ज्यादा, दिया कम, उसे हमने दानवों की श्रेणी में डाल दिया। स्पष्ट है कि हम इंसानों ने पहले प्रतिमान बनाए; फिर जिन्हें उन प्रतिमानों पर खरा माना, उनकी प्रतिमाएँ बनाईं। यह भी हुआ कि जब भी टूटे, पहले प्रतिमान टूटे और फिर प्रतिमाएँ। प्रतिमाओं के टूटने से देवता तो नहीं मरता, किन्तु प्रतिमा बनाने वालों की आस्था टूट जाती है। अतः आस्था की ऐसी प्रतिमाओं का टूट जाना, देश-काल की समग्र दृष्टि से कभी अच्छा नहीं होता।

सम्भवतः इसीलिये आर्यसमाज ने आस्था को तो अपनाया, किन्तु प्रतिमाओं से परहेज किया। असली तर्क मैं नहीं जानता, किन्तु आर्यसमाज की सन्तान श्री श्री और उनकी प्रतिमा बनाने वाला पॉश समाज.. दोनों यह बात अवश्य जानते होंगे; बावजूद, इसके यदि आज दिल्ली के यमुना किनारे संस्कृतियों को जोड़ने और विविधताओं का सम्मान करने के नाम पर नदी माँ के साथ सद्व्यवहार के अरमान टूट रहे हों

जिंदगी लेती जहरीली हवा
Posted on 08 Mar, 2016 12:50 PM


हवा लोगों को जीवन देती है लेकिन अगर यही जीवन लेने लगे तो? सवाल अजीब जरूर है लेकिन इसे झुठलाया नहीं जा सकता है।

हाल ही में एक संस्थान द्वारा किये गये एक शोध में पता चला है कि दिल्ली की आबोहवा जहरीली हो गयी है और लोगों की जिंदगी के दिन कम कर रही है। इंडियन इंस्टीट्यूट अॉफ ट्रौपिकल मेटीरियोलॉजी Indian Institute of Tropical Meteorology (IITM) द्वारा किये गये शोध में पता चला है कि वायु प्रदूषण के चलते दिल्ली के लोगों के जीवनकाल से 6.4 वर्ष कम हो रहे हैं। इसका मतलब यह है कि जिन लोगों की जिंदगी 80 वर्षों की है वे 76 वर्ष ही जी पायेंगे।

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