छत्तीसगढ़

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धीमा जहर पीने को मजबूर आदिवासी
Posted on 18 Oct, 2015 11:16 AM

एनएमडीसी के विरोध में खोला मोर्चा

Priyanka Kaushal
ऐसे जाना दंतेवाड़ा को
Posted on 03 Oct, 2015 09:44 AM इन्द्रावती नदी के किनारे बने 'टूरिस्ट लॉग हट' से दोनों ओर फैले जंगल
छत्तीसगढ़ के सवा लाख स्कूली बच्चों को पानी और स्वच्छता की कमी
Posted on 30 Sep, 2015 10:43 AM

स्वच्छता दिवस, 02 अक्टूबर 2015 पर विशेष

 

तीन लाख से ज्‍यादा बेटियों के लिये नहीं है शौचालय


. शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के पाँच साल बाद भी छत्तीसगढ़ के प्राइमरी, मिडिल, हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में विद्यार्थियों को बुनियादी सुविधाओं के अभाव में पढ़ाई करनी पड़ रही है। छत्तीसगढ़ के करीब 1700 सरकारी स्कूलों में पीने के पानी का कोई इन्तज़ाम नहीं है। इसलिये पहली से बारहवीं तक पढ़ने वाले सवा लाख बच्चे पीने के पानी के लिये तरस रहे हैं।

वहीं प्रदेश के 4 हजार 347 स्कूलों में 2 लाख 88 हजार 301 बालिकाओं के लिये अभी शौचालय नहीं बन पाया है। शौचालय के अभाव में स्कूल जाने वाली बालिकाएँ लगातार शर्मसार हो रही हैं। इनमें रायपुर के 73 स्कूल शामिल हैं। बालिकाओं की तरह ही 12 हजार 893 स्कूलों में तो बालकों के लिये भी शौचालय नहीं है।

sanitation
अपनी मौत पर रो रही है नदी
Posted on 24 Sep, 2015 01:54 PM

विश्व नदी दिवस, 27 सितम्बर 2015 पर विशेष


रायपुर/खारून नदी के किनारे सात मीटर के एक टीले के प्रारम्भिक सर्वेक्षण में ही पुरातत्व शास्त्रियों को चौंकाने वाले सबूत मिले हैं।

दो हजार साल पुराने कुषाण राजाओं के तांबे से बने दो गोल सिक्के और सातवाहन राजा के शासनकाल का चौकोन सिक्का मिला है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर को पहचान देने वाली इस नदी के किनारे ग्राम जमराव में दो से ढाई हजार साल पुरानी एक और बसाहट मिली है। यह गाँव पाटन तहसील में आता है।

जिस तरह के मिट्टी के बर्तन, पासे और दूसरी चीजें यहाँ मिलीं हैं, उसे देखते हुए जमराव के तरीघाट की तरह बड़ी बसाहट मिलने की उम्मीद है। नतीजों से उत्साहित राज्य पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग के डायरेक्टर राकेश चतुर्वेदी अगले सीजन में यहाँ खुदाई या उत्खनन की अनुमति लेने की तैयारी में हैं।
छत्तीसगढ़ के जंगलों की खिसक रही ‘जमीन’
Posted on 20 Sep, 2015 01:37 PM बारिश के दिनों में छत्तीसगढ़ को हरा-भरा बनाने का वादा दम तोड़ रहा है। हर साल ऐसा होता है। कई सालों से ऐसा ही हो रहा है। मगर छत्तीसगढ़ की हरियाली है कि बढ़ती नहीं। वन विभाग के आसमानी दावों को मानें तो 15 सालों में 75 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाए जा चुके हैं। पेड़ लगाने के नाम पर महकमे ने हर साल 150 करोड़ रुपए खर्च किये। लेकिन ये पेड़ हैं कहाँ?
छत्तीसगढ़ में धान होगा कम
Posted on 19 Sep, 2015 12:20 PM

खेत-खलिहानों में पड़ रही सूखे की स्थिति ने कृषि विभाग से संचालित सिंचाई योजनाओं की पोल खुलने लगी

तबाही की कगार पर किसान
Posted on 19 Sep, 2015 10:22 AM छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में में अवर्षा और सूखे की स्थिति पर प्रारम
बाँध से बेसहारा होने का भय
Posted on 06 Sep, 2015 03:36 PM

पोलावरम बाँध को लेकर बस्तर में विरोध का माहौल है। इसके पीछे वजह निकटवर्ती कई गाँवों के अस्तित्व

हसदेव नदी के सिंचाई और औद्योगिक जल उपयोग का परिदृश्य (Agriculture and Industrial water use in the Hasdeo sub-basin and command)
Posted on 28 Aug, 2015 12:12 PM
महानदी की सहायक नदी है हसदेव। यह नदी छत्तीसगढ़ में बहती है। महानदी में यह नदी बिलाईगढ़ के पास हसदेव बांगो बाँध के नजदीक मिलती है। हसदेव नदी का उद्गम छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के सोनहट से दस किलोमीटर की दूरी पर स्थिति है। उद्गम स्थान की ऊँचाई समुद्र तल से 910 मीटर ऊपर है। 333 किलोमीटर लम्बी यह नदी का कैचमेंट एरिया 9856 वर्ग किलोमीटर है। हसदेव की मुख्य सहायक गेज नदी है। हसदेव नदी पर बने ‘हसद
छत्तीसगढ़ की नदियाँ भी हो रही हैं मैली
Posted on 21 Aug, 2015 12:48 PM रायपुर। प्रदेश की जीवनदायिनी तीन प्रमुख नदियाँ महानदी, अरपा और शिवनाथ का पानी प्रदूषण की सारी सीमाओं को लाँघ रहा है। हालात ये बन गए हैं कि अब जलीय जीव-जन्तुओं और पौधों का इनमें रहना मुश्किल हो रहा है और उनके जीवन के लिये खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इन नदियों में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) का स्तर सामान्य से दस गुना ज्यादा हो चुका है। यही वजह है कि इन्हें यमुना जैसी देश की सबसे प्रदूषित नदियों की सूची में शामिल किया गया है।

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। बैक्टीरिया हजारों गुना ज्यादा सीपीसीबी रिपोर्ट के अनुसार महानदी, अरपा और शिवनाथ जैसी नदियों का पानी स्वच्छता के पैरामीटर पर खरा नहीं उतरा। नियमों के मुताबिक 100 मिलीलीटर पानी में बैक्टीरिया की संख्या 500 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, लेकिन खतरनाक बात है कि इन नदियों में पैरामीटर से हजारों गुना ज्यादा बैक्टीरिया पाया गया है।
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