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चंपावत जिला
सृजन एवं साधना
Posted on 30 Mar, 2019 01:12 PMपचास के दशक में सोर-पिथौरागढ़, एक छोटी पर आकर्षक बसासत थी। सैंणी (समतल) सोर में लहर काते हरियल खेतों का फैलाव, मध्य में बाजार व रिहायसी इलाके में चण्डाक की ओर जाती सड़क के किनारे ऊँचे होते देवदारु के वृक्ष, लकड़ी के लैम्प पोस्ट और बेगनबोलिया, चमेली व रातरानी की लताओं से घिरी चहरदीवारी के बीच झांकती ब्रिटिशकालीन (लायक साहब की) कोठी तब अनायास ही ध्यान खींचती थी। वह 1954 की शरद ऋतु थी, नारायण स्वामीशिक्षक और कवि
Posted on 29 Mar, 2019 03:15 PMकुमाऊँनी भाषा के अनन्य सेवक, कवि, शिक्षक और मनीषी बचीराम श्रीकृष्ण पंत (जुलाई 1889-18 अक्टूबर 1958 ई.) वर्तमान पिथौरागढ़ जिले के भटगाँव (बेरीनाग) में पैदा हुए थे। उनका जन्म नाम तो श्रीकृष्ण था किन्तु वे बचीराम के नाम से ही जाने जाते थे। तीन भाइयों और दो बहनों में वे सबसे छोटे थे। अपना परिचय उन्होंने अपनी प्रकाशित रचना महिला धर्म प्रकाश में इस तरह दिया है।
महाकाली के साथ-साथ
Posted on 29 Mar, 2019 11:42 AMबिना पूरी तैयारियों और आवश्यक सामान के पदयात्रा में क्या दिक्कतें आ सकती हैं, अब तक हमारी समझ में आ चुका था। इसलिए एक भेली गुड़ और दो गोले (नारियल) खरीद कर झूला घाट की ओर चले। राजी ने बताया कि यदि तेज चलेंगे तो चार घंटे में झूलाघाट पहुँच जाएँगे। तीन बजे थे, सात बजे झूलाघाट पहुँचने का इरादा बना कर आगे बढ़े। राजी के बताए चार घंटों में से दो खर्च हो चुके थे, किन्तु हम पहली धार भी पार नहीं कर पाएँ। जाअभी भी आँखों में है मालपा
Posted on 28 Mar, 2019 03:42 PMमालपा सुनते ही इतना कुछ आँखों के सामने घूमने लगता है कि क्या लिखूँ जिससे इस त्रासदी की सही तस्वीर सामने आ जाए? समझ में नहीं आ रहा है।हम होंगे सिनला पास
Posted on 22 Mar, 2019 04:27 PMबाहर सलेटी अंधेरे का कम्बल सुबह का उजाला सरका रहा था। ठण्ड बहुत थी।15,000 फीट में सुबह कैसी होती है-एहसास हो रहा
काली से गिरथी गंगा तक
Posted on 22 Mar, 2019 04:16 PMसाढ़े चार महीने साथ-साथ सफर करने के बाद 8 जून 1997 को सुमीता, विनीता और मैं आधिकारिक तौर पर बछेन्द्री पाल के नेतृत्व में की जा रही भारतीय महिलाओं की पहली ट्रांस हिमालय यात्रा से अलग हो गए। अपनी अन्तिम बैठक में हम सबने अपनी भावनाओं को दबाए रखा। मैं कह सकती हूँ कि इस बेतरह बिगड़ चुकी मौजूदा परिस्थितियों में यह यात्रा हममें से हरेक के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण बन गई थी परिणामस्वरूप जैसी कि हमें आशंका
ताकलाकोट से टोला तक
Posted on 20 Mar, 2019 03:06 PMजीवन के उत्तरार्द्ध में मैंने पथारोहण के साथ ही यात्रा संस्मरण लिखना, फोटोग्राफी करना और पर्वतारोहण सम्बन्धी साहित्य का अध्ययन करना आरम्भ किया है। कैलास पर्वत एण्ड टू पासेज ऑफ द कुमाऊँ हिमालय ह्यू रटलेज ने रालम पास और ट्रेल पास अभियान का वर्णन किया गया है। ह्यू रटलेज ने अपनी पत्नी और लेखक विल्सन के साथ जून 1926 में मरतोली से ब्रिजिगांग, सिपाल (रालम)प्राकृतिक रंगाईः परम्परा एवं वर्तमान
Posted on 20 Mar, 2019 12:02 PMरंग का विचार मन में आते ही अनुभूति होती है हर्ष एवं उल्लास की अभिव्यक्ति की। हो भी क्यों नहीं क्योंकि रंग एवं रंगाई सदियों से हमारे जीवन का अतंरंग हिस्सा होेने के साथ हमारी रचनात्मक सोच की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम भी रहे हैं।
जल विद्युत परिदृश्य
Posted on 20 Mar, 2019 11:00 AMपिछले कुछ दशकों से पानी, विकास और बाजारवाद सम्बन्धी बहसों के केन्द्र में है। बढ़ती आबादी के साथ पेयजल व खाद्यान्न संकट, बाढ़ से निपटने, रेगिस्तानों को हरा-भरा करने और राष्ट्रीय ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने हेतु पानी को महत्त्वपूर्ण संसाधन के रूप में देखा जाने लगा है। बाजारवाद और उपभोक्तावाद की यह बयार पानी के स्थाई स्रोतों खासतौर से नदियों पर एकाधिकार जताने व उनके प्राकृतिक बहाव पर बाँधों
जल प्रदूषणः समस्या एवं समाधान
Posted on 19 Mar, 2019 03:54 PMबदलते पर्यावरण की अठखेलियाँ व बिगड़ते पानी का स्वरूप, दिन प्रतिदिन मानव के लिए उपलब्ध यह जीवनदायी धरोहर, एक चुनौती बनता जा रहा है। फलस्वरूप उपलब्ध जल, वातावरण, वनस्पति व विभिन्न जीव जन्तुओं पर प्रश्न चिह्न सा लगता जा रहा है। पर्यावरण व उपलब्ध जल स्रोतों पर भी विनाशकारी प्रभाव नजर आने लगे हैं। अब यह आवश्यक है कि जो भी कार्य पर्यावरण व जल संसाधनों के वांछित रख-रखाव में बाधा डालता हो उस पर तुरन्त