/regions/bhopal-district
भोपाल जिला
फ्लोराइडमुक्त पानी : 78 गाँवों को 90 करोड़ खर्च कर देंगे
Posted on 02 Jul, 2015 10:12 AMमध्यप्रदेश के फ्लोराइडग्रस्त धार जिले के 78 गाँवों में पीने का साफ़ पानी पहुँचाने के लिए करीब 90 करोड़ रुपये खर्चकर एक महती योजना आकार ले चुकी है। यह अनूठी योजना प्रदेश में अपनी तरह की पहली है और इससे करीब 25 से 50 किमी दूर नर्मदा नदी से ग्रेविटी सिस्टम के जरिये इन गाँवों के करीब डेढ़ लाख लोगों को साफ़ पानी मिल सकेगा। कुछ गाँवों तक पानी पहुँच भी गया है वहीं इस साल के आखिर तक यह सभी 78 गाँवों तक पहु
किसान, कारपोरेट और बाँस क्रान्ति
Posted on 14 Jun, 2015 12:27 PMमध्य प्रदेश में पर्यावरण और किसानों के लिये एक अच्छी खबर है! म.प्र.
गम्भीर जलसंकट की ओर बढ़ता मध्य प्रदेश
Posted on 14 Jun, 2015 11:20 AMहर साल गर्मी का मौसम आते-आते शहर के भूजल की स्थिति गम्भीर हो जाती हकोई लौटा दे वो बीते दिन
Posted on 09 May, 2015 04:10 PMमध्य प्रदेश जंगल, खनिज सम्पदा, प्राकृतिक संसाधनों तथा अन्य मामलों में भी अर्से से 'सम्पन्न’ रहा है। कमोबेश पानी प्रबन्धन की परम्पराओं के मामले में भी इस राज्य का 'भाग्य’ काफी प्रबल रहा है। आखिर ऐसी कौन-सी प्रमुख तकनीक रही है - जो मध्य प्रदेश में नहीं रही होगी। यह इस राज्य के लिये गर्व की बात है कि क्षिप्रा नदी में अभी भी 2300 से 2600 साल पुराने ऐसे सिक्के
बारिश की मार से बेअसर रहे बैगाओं के बीज
Posted on 08 May, 2015 11:19 AMमध्य प्रदेश के बैगा बेल्ट में पचास प्रजातियों के बीज से किसानों की मुस्कुराहट बरकरारबंजर पहाड़ी तक पहुँचाया पानी और उगा दिए जंगल
Posted on 04 May, 2015 11:31 AMकहीं सूबे की राजधानी तो कहीं आदिवासी अंचलों में पर्यावरणविदों और कार्यकर्ताओं की जीवटता बनी मिसाल।सात साल पहले शुरू हुई यह कोशिश अब हरियाली चादर बनकर साफ़ दिख रही है। तब से यहाँ नीम के अलावा कई नए पौधे लग रहे हैं और उनके लिये खाद, पानी, दीमक ट्रीटमेंट और खरपतवार का काम लगातार जारी है। इन सालों में यहाँ हरियाली ही नहीं दिखती है, बल्कि मोर, तोता और कोयल की आवाजों को भी सुना जा सकता है। जीवों को फलदार घर मिल गए हैं। पहले सुरक्षा न होने से कई पेड़ जल गए थे, पर अब ऐसा नहीं है।
इंसान जहाँ अपने लालच के लिये पानी तक को लूट रहा है और उस पर रहने वाले जंगल, जमीन और जानवरों को भी नहीं छोड़ रहा है, वहीं कई बड़े शहरों और सुदूर गाँवों में ऐसे लोग आज भी हैं जो पानी के जरिए एक सुन्दर संसार को बनाने और उसकी रखवाली में लगे हुए हैं।मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक पर्यावरणप्रेमी की जिद बंजर पहाड़ी पर जंगल उगा रही है, वहीं रतलाम जिला मुख्यालय से कई कोस दूर जनजाति बाहुल्य गाँवों में सामूहिक प्रयासों से बंजर ज़मीन इस हद तक हरी बन रही है कि यहाँ पचास हजार से ज्यादा आम के पेड़ लोगों की आजीविका का बड़ा सहारा बन गए हैं। जाहिर है उन्होंने पानी से न केवल जंगल, जमीन और जानवरों को खुशहाल बनाया, बल्कि जल से जीवन के सिद्धान्त को अपनी जीवन शैली में उतारा।
पानी यात्रा -1 : इण्डिया के हार्ट की अद्भुत पानी परम्पराएँ
Posted on 26 Mar, 2015 01:46 PMसंस्मरण
विश्व जल दिवस पर विशेष
भूजल के लिए प्रतिस्पर्धा और टकराव
Posted on 10 Mar, 2015 11:45 AMमहानदी घाटी की पहचान विभिन्न किस्म की भूगर्भीय संरचनाओं और शैलों की भारी विविधता से होती है। जह
सात खामियाँ दूर है नर्मदा का पानी
Posted on 08 Mar, 2015 04:35 PMपाँच साल में 800 करोड़ खर्च होने के बाद भी नहीं मिल पा रहा शहर को पानीविकास संवाद मीडिया लेखन फैलोशिप 2015
Posted on 15 Jan, 2015 10:18 AM विकास संवाद की सोच उस दौर में उभरी, जब विकास की उपभोक्तावादी अवधारणा से प्रभावित मुख्यधारा के मीडिया में समाज के सबसे कमजोर तबकों से जुड़े मुद्दों के लिए जगह लगातार कम होती चली गई। विकास संवाद ने पिछले 10 सालों में मीडिया और जमीनी स्तर पर जनमुद्दों की पैरवी कर रहे संगठनों के बीच एक सेतु बनाने की कोशिश की है। इससे मीडिया के लिए मुद्दों तक पहुँच का दायरा तो व्यापक हुआ ही, विकास के मसलों पर पत्रकारों का लगातार जुड़ाव होता चला गया। विकास के मुद्दों पर लगातार संवाद ही हमारी शक्ति है। मीडिया फैलोशिप इस कार्य को और व्यापकता देने का एक माध्यम है। विकास संवाद मीडिया फैलोशिप का यह लगातार दसवाँ साल है। अभी तक इस फैलोशिप के जरिए 66 पत्रकार साथी लेखन और शोध कार्य कर चुके हैं।विकास संवाद इस बार 4 फैलोशिप के लिए आवेदन आमन्त्रित कर रहा है।