Posted on 19 Mar, 2010 08:38 AM फागुन बदी सुदूज दिन, बादर होय न बीज। बरसै सावन भादवा, साधौ खेलो तीज।।
शब्दार्थ- साधौ-सुहागिन स्त्री। बीज-बिजली।
भावार्थ- फागुन कृष्ण पक्ष की द्वितीया को यदि आकाश में बादल और बिजली न हो तो समझो सावन और भादों दोनों ही महीने में वर्षा होगी। इसलिए हे सुहागिनों! उल्लास के साथ तीज का त्योहार मनाओ।
विश्व जल दिवस के अवसर पर विशेष रेडियो श्रृंखला “जल है तो कल है” इंडिया वाटर पोर्टल प्रस्तुत कर रहा है। यह कार्यक्रम वन वर्ल्ड साउथ इंडिया के सहयोग से प्रस्तुत किया जा रहा है।
Posted on 18 Mar, 2010 04:58 PM पूरब के घन पश्चिम चलै। राँड़ बतकही हँसि हँसि करै।। ऊ बरसै ऊ करै भतार। भड्डर के मन यही विचार।।
भावार्थ- यदि पूर्व दिशा के बादल पश्चिम की ओर जा रहे हों और विधवा स्त्री पर-पुरुष से हँस-हँस कर बात कर रही हो तो भड्डरी का मानना है कि बादल बिना बरसे नहीं जायेगा औऱ विधवा स्त्री दूसरा पति कर लेगी।