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लम्बे लम्बे कान
Posted on 24 Mar, 2010 12:06 PM
लम्बे लम्बे कान। और ढीला मुतान।।
छोड़ो छोड़ो किसान। न तो जात हैं प्रान।।


भावार्थ- घाघ का मानना है कि जिस बैल के कान लम्बे हों, पेशाब की इन्द्रिय झूलती हुई हो, हे किसान! उसे जल्दी से हटा दो, नहीं तो तुम्हारे प्राण ले लेगा।

मत कोइ लीजौ मुसरहा बाहन
Posted on 24 Mar, 2010 12:05 PM
मत कोइ लीजौ मुसरहा बाहन।
खसम मारि के डालै पायन।।


भावार्थ- मुसरहा नस्ल का बैल नहीं खरीदना चाहिए क्योंकि यह मनहूस होता है और मालिक को मार कर पैरों तले डाल देता है।

मुँह का मोट माथ का महुआ
Posted on 24 Mar, 2010 12:03 PM
मुँह का मोट माथ का महुआ। इन्हैं देखि जनि भूल्यो रहुआ।।
धरती नहीं हराई जोतै। बैठ मेंड़ पर पागुर करै।।


भावार्थ- यदि बैल का मुँह मोटा हो और माथा पीला हो, तो उसे देखकर भूले मत रहो अपितु सावधान हो जाओ क्योंकि वह एक हराई भी खेत नहीं जोत सकता और मेंड़ पर बैठा हुआ पागुर करता रहेगा।

मियनी बैल बड़ो बलवान
Posted on 24 Mar, 2010 12:01 PM
मियनी बैल बड़ो बलवान।
तनिक में करिहै ठाढ़े कान।।


भावार्थ- मियानी नस्ल का बैल अत्यधिक बलवान होता है। क्षण भर में ही वह कान खड़े कर लेता है।

मर्द निकौनी बरदै दायें
Posted on 24 Mar, 2010 11:59 AM
मर्द निकौनी बरदै दायें।
दँवरी चलने में दुख पायें।।


शब्दार्थ- दँवरी-मड़ाई।

भावार्थ- मर्द को निराई करने में और बैल को हल में दाहिने जुताई करने में अथवाँ दँवरी चलने में दुःख होता है।

बैल मुसरहा जो कोई ले
Posted on 24 Mar, 2010 11:57 AM
बैल मुसरहा जो कोई ले। राजभंग पल में कर दे।।
त्रिया बाल सब कुछ छुट जाय। भीख माँगि के घर खाय।।


भावार्थ- जिस किसान के पास मुसरहा बैल (जिसकी पूँछ के बीच में दूसरे रंग के बालों का गुच्छा) हो, उसके ठाठ-बाट जल्द ही नष्ट हो जाते हैं, स्त्री-पुत्र सब छूट जाते हैं और वह घर-घर भीख माँगने लगता है।

बड़सिंगा जनि लीजौं मोल
Posted on 24 Mar, 2010 11:56 AM
बड़सिंगा जनि लीजौं मोल।
कुएँ में डारों रुपिया खोल।।


भावार्थ- किसान को बड़े सींग वाला बैल कभी नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा बैल खरीदने से अच्छा है कि रुपया कुएँ में डाल दो।

बैल लीजै कजरा
Posted on 24 Mar, 2010 11:54 AM
बैल लीजै कजरा।
दाम दीजै अगरा।।


भावार्थ- यदि काली आँखों वाला बैल मिले, तो अग्रिम या अधिक दाम देकर खरीद लेना चाहिए।

बैल बेसाहन जाओ कंता
Posted on 24 Mar, 2010 11:52 AM
बैल बेसाहन जाओ कंता।
भूरे का मत देखो दन्ता।।


भावार्थ- हे स्वामी! यदि बैल खरीदने जाना तो भूरे रंग का बैल मत लेना।

बरद बेसाहन जाओ कंता
Posted on 24 Mar, 2010 11:50 AM
बरद बेसाहन जाओ कंता।
कबरा का जनि देखो दन्ता।।


भावार्थ- हे स्वामी! बैल खरीदने जाना तो चितकबरे बैल का दांत न देखना अर्थात् न खरीदना।

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