भारत

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किसका श्रम और किसको खैरात
Posted on 30 Aug, 2014 11:13 AM उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध सरकार के दुराग्रह क
किसका हो जल-जंगल-जमीन पर पहला हक
Posted on 30 Aug, 2014 11:05 AM आदिवासी हो या आम किसान, जीविका के लिए जल, जंगल और जमीन पर ही निर्भर रहा है लेकिन आजादी के छ दशक बीत जाने के बाद उसे अपना हक पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। सदियों से नदी के किनारे और जंगल में बसे लोगों का इन संसाधनों पर नैसर्गिक अधिकार रहा है लेकिन नव-उदारवादी व्यवस्था की आड़ में सरकार अक्सर इन्हें इनके अधिकार से वंचित करती रही है। विकास के नाम पर इन्हें शहरों की झुग्गियों में धकेलने की कोश
बाढ़ का बढ़ता प्रकोप
Posted on 29 Aug, 2014 05:07 PM गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार भारत में नियमित रूप से आने वाली
बाढ़ के खतरे और चुनौतियां
Posted on 29 Aug, 2014 03:26 PM बाढ़ की बढ़ती चुनौतियों व बाढ़ नियंत्रण के अब तक के उपायों की कमिय
किसके भले के लिए हैं जैव संवर्धित बीज
Posted on 29 Aug, 2014 01:37 PM बीटी कपास के बीजों को परीक्षण के तौर पर जब भेड़ों को खिलाया गया तो
समस्याग्रस्त मृदाओं का सुधार एवं प्रबंधन
Posted on 29 Aug, 2014 10:35 AM देश की बढ़ती जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए लवणीय व क्षारी
मृदा उर्वरता एवं उर्वरक उपयोग क्षमता बढ़ाने के मुख्य उपाय
Posted on 29 Aug, 2014 09:59 AM पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिए सामान्यतः 17 पोषक तत्वों की आवश्य
सफलता की गाथा लिखता एक प्रगतिशील किसान
Posted on 29 Aug, 2014 09:52 AM कहा जाता है कि जिनके पास जज़्बा होता है वह पहाड़ के सीने को चीरकर अपना रास्ता बना लेते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है श्रीकृष्ण धाकड़ जी ने जो उम्र के सात दशक पूरे करने पर भी ऐसा जोश रखते हैं जो किसी युवा में देखने को मिलता है। कृषि विज्ञान केन्द्र, शिवपुरी से सतत् संपर्क रखने वाले ये एक ऐसे नवप्रवर्तक किसान हैं जो शिवपुरी जिले में कृषि के समेकित प्रबंधन के माॅडल को अपने प्रक्षेत्र पर बनाए हुए हैं। उनकी जज़्बे की कद्र करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र शिवपुरी ने उन्हें ‘मित्र कृषक’ की संज्ञा दी है।

खेती का समन्वित मॉडल


फसल उत्पादनश्री धाकड़ खरीफ में सोयाबीन, मूंगफली फसल की उन्नत प्रजातियां एवं अनुसंशित वैज्ञानिक तकनीक से प्रति हेक्टेयर 20-25 क्विंटल तक पैदावार ले लेते हैं। रबी फसलों में गेहूं की उन्नत प्रजातियों जी.डब्ल्यू. 322, जी.डब्ल्यू 366 इत्यादि से पैदावार 55-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, चना जे.जी. 130 एवं काबुली प्रजातियों से 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व सरसों (पूसा बोल्ड, पूसा अग्रणी, रोहिणी व वरुणा इत्यादि) से लगभग 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज का दावा कर अनेक जिलों/राज्यों/देश स्तर के कृषकों के सम्मेलनों में अपनी बात रखी है।
भूमि संसाधन संरक्षण में मृदा की उपयोगिता
Posted on 27 Aug, 2014 11:42 PM मिट्टी एक अमूल्य संसाधन है जिसका उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से किया जाना
भूमिगत संसाधनों पर बढ़ता दबाव एक चुनौती
Posted on 27 Aug, 2014 04:27 PM भूमि में विकास की अपार संभावनाएं हैं। भूमि पर्यावरण संतुलन की आधार
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