Posted on 30 Aug, 2014 11:05 AMआदिवासी हो या आम किसान, जीविका के लिए जल, जंगल और जमीन पर ही निर्भर रहा है लेकिन आजादी के छ दशक बीत जाने के बाद उसे अपना हक पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। सदियों से नदी के किनारे और जंगल में बसे लोगों का इन संसाधनों पर नैसर्गिक अधिकार रहा है लेकिन नव-उदारवादी व्यवस्था की आड़ में सरकार अक्सर इन्हें इनके अधिकार से वंचित करती रही है। विकास के नाम पर इन्हें शहरों की झुग्गियों में धकेलने की कोश
Posted on 29 Aug, 2014 09:52 AMकहा जाता है कि जिनके पास जज़्बा होता है वह पहाड़ के सीने को चीरकर अपना रास्ता बना लेते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है श्रीकृष्ण धाकड़ जी ने जो उम्र के सात दशक पूरे करने पर भी ऐसा जोश रखते हैं जो किसी युवा में देखने को मिलता है। कृषि विज्ञान केन्द्र, शिवपुरी से सतत् संपर्क रखने वाले ये एक ऐसे नवप्रवर्तक किसान हैं जो शिवपुरी जिले में कृषि के समेकित प्रबंधन के माॅडल को अपने प्रक्षेत्र पर बनाए हुए हैं। उनकी जज़्बे की कद्र करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र शिवपुरी ने उन्हें ‘मित्र कृषक’ की संज्ञा दी है।
खेती का समन्वित मॉडल
फसल उत्पादनश्री धाकड़ खरीफ में सोयाबीन, मूंगफली फसल की उन्नत प्रजातियां एवं अनुसंशित वैज्ञानिक तकनीक से प्रति हेक्टेयर 20-25 क्विंटल तक पैदावार ले लेते हैं। रबी फसलों में गेहूं की उन्नत प्रजातियों जी.डब्ल्यू. 322, जी.डब्ल्यू 366 इत्यादि से पैदावार 55-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, चना जे.जी. 130 एवं काबुली प्रजातियों से 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व सरसों (पूसा बोल्ड, पूसा अग्रणी, रोहिणी व वरुणा इत्यादि) से लगभग 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज का दावा कर अनेक जिलों/राज्यों/देश स्तर के कृषकों के सम्मेलनों में अपनी बात रखी है।