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बिना सिंचाई के खेती में सुधार नहीं हो सकता
कभी-कभी हमें आश्चर्य होने लगता है कि सरकार को पूरी स्थिति का ज्ञान है भी या नहीं। भाषण में यह नहीं बताया गया है कि खाद्य संकट का सामना करने के लिए क्या ठोस प्रयत्न किए जा रहे हैं। हमसे कहा जाता है कि नैसर्गिक विपत्तियों के कारण यह मुसीबत आई है। Posted on 23 Jun, 2023 02:50 PM

भारतीय गणतंत्र की प्रथम संसद के उद्घाटन पर हम आशा कर रहे थे कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में लोकहित के लिए किसी नई नीति का प्रतिपादन होगा और जनता पर आजकल जो भारी बोझ है, उसे कम करने के लिए कोई ठोस कदम प्रस्तावित किया जाएगा। किंतु हमें बहुत निराशा हुई है। भाषण में देश की उन समस्याओं को सुलझाने की, जो हमारे सम्मुख मुंह बाए खड़ी हैं, उत्कट भावना की झलक नहीं मिली।देश के सम्मुख आज अनाज की प्रबल समस्या ह

बिना सिंचाई के खेती में सुधार नहीं हो सकता,Pc-Bharatvarsh
सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली एक बेहतर विकल्प
वर्षा जल का सही तरीके से सरक्षण करते हुए "जल सिंचन" के माध्यम से सूक्ष्म स्तर पर जल दोहन करके संरक्षित सिंचाई सृजित की जाये  सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली आज की आवश्यकतानुसार एक बेहतर विकल्प है।



Posted on 09 Jun, 2023 04:47 PM

किसी भी देश को आगे ले जाने के लिए कृषि के योगदान को नकारा नहीं जा सकता।क्योंकि कृषि का योगदान प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में सहायक होता है जबकि ऐसे समय में जब जनसंख्या लगातार बढ़ रही है और उस जनसंख्या की खाद्य पूर्ति एवं अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए हमें और अधिक उत्पादन की जरूरत पड़ेगी, पर इस बढते हुए जनसंख्या को खिलाने के लिए हमारे पास जो उपलब्ध संसाधन है

सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली एक बेहतर विकल्प, Pc-aurjaniy
जल विज्ञान और जल की गुणवत्ता के मॉडल द्वारा शिवनाथ उप - बेसिन के समस्याग्रस्त जल ग्रहण क्षेत्रों के प्रबंधन हेतु सुझाव
इस अध्ययन क्षेत्र में आमतौर पर वार्षिक वर्षा 700 से 1500 मिमी के बीच होती है तथा औसत वार्षिक वर्षा 1080 मिमी है। इस अध्ययन क्षेत्र के समग्र वातावरण को सब ट्रॉपिकल रूप में वर्गीकृत किया गया है। शिवनाथ उप बेसिन के मोर्फोमेटिक गुणों की स्थिति की जानकारी एकत्रित की गई तथा इनका विश्लेषण भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) के माध्यम से किया गया। इस अध्ययन में कन्टीन्युअस डिस्ट्रिब्यूटेड पैरामीटर मॉडल जिसे सोइल एण्ड वाटर असेसमेंट टूल (एसडब्लूएटी) यानि स्वाट के नाम से जाना जाता है। Posted on 08 Jun, 2023 04:25 PM

प्रस्तावना

जल विज्ञान और जल गुणवत्ता की जांच किसी भी जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम के लिए बहुत ही आवश्यक है। शिवनाथ उप बेसिन, महानदी बेसिन की सबसे लंबी सहायक नदी है। शिवनाथ उप बेसिन का कुल जलग्रहण क्षेत्र 29,638.9 वर्ग किलोमीटर है। शिवनाथ उप-बेसिन 80 डिग्री 25' से 82 डिग्री 35' पूर्व देशांतर तथा 20डिग्री 16' से 22 डिग्री 41' उत्तर अक्षांश के बीच एवं औसत समु

जल विज्ञान और जल की गुणवत्ता के मॉडल,PC-Shutterstock
जलवायु परिवर्तन और अनुकूल कृषि(वार्षिक रिपोर्ट्स-2019-20) 
पशुधन के लिए आहार एवं चारा आवश्यकताओं तथा फसलों की पोषक तत्व आवश्यकता की पूर्ति हेतु 100% जैविक खेती करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सभी परीक्षणात्मक भूखंडों की मेड़ पर आम नींबू ड्रॅगन फ्रूट और पपीते का रोपण किया गया है। Posted on 07 Jun, 2023 12:54 PM

भारतीय कृषि के अति संवेदनशील जिला स्तरीय मानचित्र:- 

जलवायु परिवर्तन के संबंध में भारतीय कृषि के अति संवेदनशील जिला स्तरीय मानचित्रों को 5वीं मूल्यांकन रिपोर्ट (आईपीसीसी 2014 ) के साथ अद्यतन किया गया। 'रिप्रजेंटेटिव कंसंट्रेशन पाथवेज' (आरसीपी) के आधार पर ये मानचित्र जलवायु पूर्वानुमान में सहायता करते हैं। जलवायु परिवर्तन खतरे को 2020-49 की समयावधि के लिए आरपीसी

जलवायु परिवर्तन और अनुकूल कृषि,Pc-Krishi-jagat
कद्दू की उन्नत खेती
यदि बीज उगने के लिए खेत है। में पर्याप्त नमी न हो तो पहली सिंचाई बोआई के बाद शीघ्र कर दें। दूसरी और तीसरी सिंचाई भी जल्दी यानि 4-6 दिन के अन्तर से करें। ऐसा करने से बीज शीघ्र तथा आसानी से उग आयेंगें। ग्रीष्म  ऋतु की फसल में 8-10 सिंचाइयों की आवश्यकता पड़ती है। Posted on 05 Jun, 2023 11:33 AM

भारत में कद्दू या काशीफल की खेती पुरातन काल से होती आ रही है। कददूवर्गीय सब्जियों में कद्दू एवं कुम्हड़ा का विशेष स्थान है। इसके कच्चे व पके हुए फलों से कई प्रकार की सब्जियां बनाई जाती है। उत्तर भारत में तो विवाह व त्यौहार आदि अवसरों पर इसकी सब्जी बनाने की प्रथा है। कद्दू कच्चा और पका फल सब्जी के लिए तथा पके फलों का मिठाई (पेठा) बनाने में प्रयोग होता है। कुम्हड़ा या कददू की एक किस्म मिष्ठान पेठ

कद्दू की उन्नत खेती,Pc-अपनी खेती
नमी तनावः सब्जी वर्गीय फसलों पर इसका प्रभाव एवं संभावित प्रबंधन विकल्प   
वर्तमान में भारत के लगभग 140 मिलियन हेक्टेयर के बुआई क्षेत्र में से 68% क्षेत्र सूखे की स्थिति के प्रति अधिक संवेदनशील है और लगभग 50% ऐसे क्षेत्र को 'गंभीर' श्रेणी के रूप में वर्गीकृत किया गया है जहाँ सूखे की आवृत्ति लगभग नियमित रूप से घटित होती रहती है। Posted on 22 May, 2023 02:39 PM

प्रस्तावना

ऐसे कृषि क्षेत्र जो प्रायः सूखे की समस्या से प्रभावित रहते हैं वो सभी क्षेत्र सूखे के कारण 50% तक या इससे भी अधिक फसल उपज में हानि का अनुभव कर सकते हैं। दुनिया की 35% से अधिक कृषि भूमि की सतह को शुष्क या अर्ध शुष्क माना जाता है जो अधिकांशतः कृषि उपयोग के लिये अपर्याप्त वर्षा प्राप्त करती हैं। भारत के लगभग दो तिहाई भौगोलिक क्षेत्र में 1000 मिमी से कम

नमी तनावः सब्जी वर्गीय फसलों पर इसका प्रभाव एवं संभावित प्रबंधन विकल्प,PC-VikasPedia
जल मृदा-पौधे भोजन शृंखला के द्वारा मनुष्यों में आर्सेनिक का एक्सपोजर एक मूल्यांकन
महाद्वीपीय परत में आर्सेनिक की औसत सांद्रता 1-5 मिलीग्राम / किग्रा होती है जो यह दोनों एंथ्रोपोजेनिक और भूजनिक स्रोतों से आती है। यद्यपि, आर्सेनिक प्रदूषण के एंथ्रोपोजेनिक स्रोतों में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो कि बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। हाल ही के प्रकरण में यहाँ यह भी ध्यान दिया जाना चाहिये कि गंगा- मेघना ब्रह्मपुत्र (GMB) नदियों के मैदानी क्षेत्रों में भूजल का आर्सेनिक प्रदूषण भूजनिक प्रवृति का है











Posted on 20 May, 2023 12:27 PM

प्रस्तावना

आर्सेनिक एक सर्वव्यापी तत्व हैं, जो पृथ्वी की ऊपर की सतह (पपड़ी) में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिसका तत्वों में 20 वां स्थान है तथा यह पिरियोडिक तालिका के समूह-15 से संबंधित धातु के रूप में रासायनिक रूप से वर्गीकृत है। आर्सेनिक की सबसे मुख्य ऑक्सीडेशन अवस्थाएं है (i) -3 (आर्सेनाइड), (ii) +3 (आर्सेनाइट्स) और (ii) +5 (आर्सेनेट्स) आदि। यह अकार्बनिक

मनुष्यों में आर्सेनिक का एक्सपोजर एक मूल्यांकन,Pc-N18
मानवीय हस्तक्षेप के कारण भूजल प्रदूषण 
विभिन्न जल संसाधनों में से भूजल हमारे दिन-प्रतिदिन जीवन की क्रियाओं में अधिकतम योगदान देता है। विश्व के कुल 3% ताजा जल संसाधनों में से अधिकतर जल ध्रुवीय और पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फ के रूप में पाया जाता है, वैश्विक जल का केवल 1% भाग ही तरल अवस्था में मौजूद है। जबकि, कुल 98% ताजा भूजल तरल अवस्था में पाया जाता है, इसलिये, यह पृथ्वी का सबसे मूल्यवान ताजा जल संसाधन है। भूजल की गुणवत्ता मानव स्वास्थ्य और खाद्यान की मात्रा एवं गुणवत्ता के लिये बहुत ही महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह मृदा, फसलों और आसपास के वातावरण को प्रभावित करती है।



Posted on 20 May, 2023 11:56 AM

प्रस्तावना

भारत एक विकासशील देश है जहां जनसंख्या घनत्व विश्व के औसत जनसंख्या घनत्व से कहीं अधिक है। हर जगह मानव हस्तक्षेप ध्यान देने योग्य बात है, जो पीड़ित व्यक्ति से शुरू होकर मूल्यांकन करने वाले व्यक्ति तक मौजूद है। देश की प्रकृति भी इनके साथ प्रभावित हो गई है। देश में जैसे-जैसे जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है वैसे-वैसे खाद्य की माँग भी एक साथ बढ़ रही है। यह अनु

मानवीय हस्तक्षेप के कारण भूजल प्रदूषण,Pc-Indiatimes
जल संरक्षण पर पीएम मोदी ने दिया मंत्र, जानें क्या है खासियत
पीएम मोदी ने ग्राम पंचायतों से अगले पांच वर्षों के लिए एक कार्य योजना तैयार करने का भी आग्रह किया है ताकि जल आपूर्ति से लेकर स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन तक के रोडमैप पर विचार किया जा  सके । उन्होंने कहा कि पंचायतों को जल जीवन मिशन का नेतृत्व करना चाहिए ताकि सभी ग्रामीण परिवारों को नल से पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध  हो सके।   Posted on 05 Jan, 2023 12:22 PM

पंजाब और हरियाणा में सतलुज यमुना लिंक नहर के निर्माण पर एक समझौते पर पहुंचने में विफल रहने के एक दिन बाद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पानी राज्यों के बीच सहयोग और समन्वय का मुद्दा होना चाहिए। बढ़ते जल संकट पर चर्चा और तैयारी के लिए केंद्र द्वारा बुलाई गई राज्य जल मंत्रियों के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए  पीएम मोदी ने सरकारों से स्वच्छ भारत अभियान की तर्ज पर जल संरक्षण आंद

जल संरक्षण पर पीएम मोदी ने दिया मंत्र
भारत में क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस
जानिए भारत में राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस क्यों मनाया जाता है | Know why National Pollution Control Day is celebrated in India
Posted on 02 Dec, 2022 11:20 AM

भारत में हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत के इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक था।जी हां , भोपाल गैस त्रासदी , यह वह  त्रासदी थी जिसमें  हजारों  लोगों  ने अपनी जान गवाई थी।  उन्हीं  की याद में आज राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है 

भोपाल गैस त्रासदी ,फोटो-flickerIndiawaterportal
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