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वाष्पीकरण ( Vaporization in Hindi )
Posted on 11 Sep, 2008 12:18 PM

वाष्पीकरण वह प्रक्रिया है, जिसमें कोई तत्व या यौगिक गैस अवस्था में परिवर्तित होता है। रसायन विज्ञान में द्रव से वाष्प में परिणत होने कि क्रिया 'वाष्पीकरण' कहलाती है।

धरती के मौजूद किसी तत्त्व या यौगिक का द्रव अवस्था से गैस अवस्था में परिवर्तन ही वाष्पीकरण (Vaporization या vaporisation) कहलाता है। वाष्पीकरण दो प्रकार का होता है- वाष्पन, तथा क्वथन।

vaporization
जल संसाधन परिचय
Posted on 10 Sep, 2008 09:11 PM

सामान्य तथ्य: पृथ्वी के लगभग तीन चौथाई हिस्से पर विश्र्व के महासागरों का अधिकार है। संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार पृथ्वी पर जल की कुल मात्रा लगミग 1400 मिलियन घन किलोमीटर है जो कि पृथ्वी पर 3000 मीटर गहरी परत बिछा देने के लिए काफी है। तथापि जल की इस विशाल मात्रा में स्वच्छ जल का अनुपात बहुत कम है। पृथ्वी पर उपलब्ध समग्र जल में से लगभग 2.7 प्रतिशत जल स्वच्छ है जिसमें से लगभग 75.2 प

विश्व जल
जल निकाय का परिचय
Posted on 10 Sep, 2008 09:01 PM

देश के अन्तर्देशीय जल संसाधन निम्न रूप में वर्गीकृत हैं नदियां और नहरें, जलाशय, कुंड तथा तालाब; बीलें, आक्सबो झीलें, परित्यक्त जल; तथा खारा पानी। नदियों और नहरों से इतर सभीजल निकायों ने लगभग 7 मिलियन हैक्टेयर क्षेत्र घेर रखा है। जहां तक नदियों और नहरों का सवाल है, उत्तर प्रदेश का पहला स्थान है क्योंकि उसकी नदियों और नहरों की कुल लम्बाई 31.2 हजार किलोमीटर है जो कि देश के भीतर नदियों और नहरों की

कम्पोस्ट टॉयलेट (शौचालय खाद) : आज की गांधीगिरी
Posted on 10 Sep, 2008 03:51 PM

मल एक ऐसी वस्तु है जो हमारे पेट में तो पैदा होती है पर जैसे ही वह हमारे शरीर से अलग होती है हम उस तरफ देखना या उसके बारे में सोचना भी पसंद नहीं करते।

शौचालय खाद- सफाई का भविष्य
Posted on 10 Sep, 2008 03:09 PM

जलापूर्ति बोर्ड के किसी भी इंजीनियर से अगर आप बात करें तो वह यही कहेगा कि जलापूर्ति नहीं बल्कि मलजल (सीवेज) का प्रबंधन करना सबसे बड़ा सिरदर्द बन गया है। आंकडे भी यही दर्शाते हैं कि लगभग सभी लोगों को भिन्न मात्रा और भिन्न गुणवत्ता का पानी मुहैया है लेकिन अच्छी सफाई शायद कुछ ही लोगों को मुहैया है।

सामुदायिक जलाशयों का विकास
Posted on 09 Sep, 2008 10:49 AM

ग्रामीण स्तर पर वर्षा के दिनों में सतही-अपवाह को जलाशयों में एकत्र करके सिंचाई, जलापूर्ति, मत्स्य पालन आदि कार्यो में प्रयोग किया जा सकता है। ऐसे जलाशयों का उन क्षेत्रों में बड़ा उपयोग है जो वर्षा पर आधारित हैं। जल स्रोतों के प्रकार तथा उपलब्धता के आधार पर जलाशयों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है-

सामुदायिक जलाशय
मृदा एवं जल संरक्षण विधियां
Posted on 08 Sep, 2008 10:44 PM

मृदा एवं जल संरक्षण विधियों द्वारा वर्षा की बूंदों को भूमि की सतह पर रोककर मृदा के विखराव को रोका जा सकता हैं। इसमें सतही अपवाह को रोककर भूमि में निस्तारण भी शामिल है। मृदा संरक्षण की व्यवहारिक विधियों को कृष्य एवं अकृष्य दोनों प्रकार की भूमि पर अपनाना चाहिए। इन विधियों द्वारा उपजाऊ ऊपरी मृदा परत के संरक्षण के साथ-साथ भूमि में जल का संरक्षण भी हो जाता है।

भूक्षरण समस्या
मुद्दा : वर्षा-बूंदों को सहेजना जरूरी
Posted on 08 Sep, 2008 02:05 PM

रेशमा भारती/ राष्ट्रीय सहारा/ देश के अधिकांश शहरों में अत्यधिक दोहन के कारण भूमिगत जलस्तर तो तेजी से घट ही रहा है, नदी, तालाब, झीलें आदि भी प्रदूषण, लापरवाही व उपेक्षा के शिकार रहे हैं। नदी जल बंटवारे या बांध व नहर से पानी छोड़े जाने को लेकर प्राय: शहरों का अन्य पड़ोसी क्षेत्रों से तनाव बना रहता है। शहरों के भीतर भी जल का असमान वितरण सामान्य है। जहां कुछ

rain water harvesting
जलागम प्रबंधन
Posted on 08 Sep, 2008 12:51 PM

जलागम एक ऐसा प्राकृतिक विभाजन है जो मेढ़ की तरह है तथा जिससे घिरे क्षेत्र से उत्पन्न होकर बहने वाला जल (अपवाह) एक ही निकास द्वार से होकर बहता है। एक जलागम के मुख्य प्राकृतिक स्रोत हैं भूमि, जल, एवं जैविक सम्पदा जिसमें मानव, पशु-पक्षी तथा वनस्पति शामिल हैं। ये स्रोत इस प्रकार आपस में जुड़े हैं कि एक में किए गये परिवर्तन का असर दूसरे पर भी पड़ता है। ये स्रोत सीमित हैं तथा एक संतुलित तरह से सहअस्त

जलागम प्रबंधन
बूंद बूंद से घट भरे
Posted on 08 Sep, 2008 09:56 AM

राजीव रंजन प्रसाद/ अभिव्यक्ति हिन्दी

कहाँ है पानी? सावन के लिये तरसती आँखे आज फ़सलों को जलते देखने के लिये बाध्य हैं, रेगिस्तान फैलते जा रहे हैं, ग्लेशियर पिघल रहे हैं और नदियाँ, नालों में तब्दील होती जा रही हैं। कमोबेश समूचे विश्व की यही स्थिति है।

बूंद
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