भारत

Term Path Alias

/regions/india

बाढ़-सूखे का इलाज है पाल-ताल-झाल
Posted on 20 Sep, 2011 03:20 PM पाल: बरसात के पानी को रोकने के लिए किसी क्षेत्र के चारों ओर ऊंची दीवार उठाना। धीरे-धीरे यह पानी धरती के अंदर जाकर जल स्तर की वृद्धि में सहायक होता है।

ताल: वर्षा जल को रोकने के लिए परंपरागत तौर पर मौजूद ताल-तलैये।

झाल: ऊंचा स्थान। बाढ़ की स्थिति में यहां जाकर बचा जा सकता है।
जैव विविधता
Posted on 20 Sep, 2011 02:56 PM जाने-माने संरक्षण जीवविज्ञानी थॉमस यूजीन लवजॉय ने 1980 में ‘बायोलोजिकल’ और ‘डायवर्सिटी’ शब्दों को मिलाकर ‘बायोलॉजिकल डायवर्सिटी’ या जैविक विविधता शब्द प्रस्तुत किया। चूंकि ये शब्द दैनिक उपयोग के लिहाज से थोड़ा बड़ा महसूस होता था, इसलिए 1985 में डब्ल्यू.जी.रोसेन ने ‘बायोडायवर्सिटी’ या जैव विविधता शब्द की खोज की। मूल शब्द के इस लघु संस्करण ने तुरंत ही वैश्विक स्वीकार्यता प्राप्त कर ली। शायद ही कोई द
जीवन श्रृंखलाएं और जीवन जाल
Posted on 20 Sep, 2011 12:30 PM पृथ्वी नाना प्रकार के जीवों की शरणस्थली है जिसमें जटिल वनस्पतियों और प्राणियों से लेकर सरल एककोशीय जीव सम्मिलित हैं। परन्तु चाहे बड़ा हो या छोटा, सरल हो या जटिल, कोई भी जीव अकेला नहीं रहता। हर कोई किसी न किसी रूप में अपने आस-पास स्थित जीवों या निर्जीव पर्यावरण पर निर्भर करता है। गौर से देखने पर ज्ञात होता है कि इस प्रकृति के चित्रपट का ताना-बाना बनाने वाली प्रजातियां एक मूल सिद्धांत से बंधी हुई है
बाढ़ के रास्ते
Posted on 20 Sep, 2011 11:41 AM

पहले वर्षा का बहुत–सा पानी तालाबों-पोखरों में समा जाता था। इन पर अतिक्रमण या इन्हें पाट दिए जाने के कारण यह पानी बाढ़ का सबब बनता है और रिहायशी इलाके या खेती को चौपट करता है। आज भी बाढ़ और सूखे दोनों का समाधान यही है कि इन तालाबों पोखरों को साफ और गहरा किया जाए और इनमें पानी आने के मार्ग अवरोध-मुक्त किए जाएं।

हाल के वर्षों में विश्व का एक बड़ा क्षेत्र बाढ़ के बेहद विनाशक दौर से गुजरा है। पिछले वर्ष अनेक देशों खासकर ब्राजील, आस्ट्रेलिया और श्रीलंका में बाढ़ ने कहर बरपाया था। ब्राजील के मुख्य शहर भी इस अति-विनाशकारी बाढ़ की चपेट में आए और वहां सात सौ से अधिक लोग मारे गए। आस्ट्रेलिया में बाढ़ जब अपने चरम पर थी तो बाढ-प्रभावित क्षेत्र जर्मनी और फ्रांस इन दो देशों के संयुक्त क्षेत्रफल की बराबरी कर रहा था। श्रीलंका में बाढ़ के कारण इतनी व्यापक क्षति हुई कि स्थानीय राहत-प्रयास पर्याप्त नहीं हो सके; भारत और चीन तक से सहायता पहुंचानी पड़ी। पाकिस्तान में तो बाढ़ ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए; वहां लगभग सत्तर लाख परिवार पिछले वर्ष की बाढ़ से प्रभावित हुए।
धरती पर जीवन का वर्गीकरण
Posted on 20 Sep, 2011 11:34 AM धरती पर जीवन के असंख्य रूप हैं। जीवन यहां इतने विस्मयकारी विन्यास में प्रदर्शित होता है कि यदि इसे यथोचित रूप से वर्गीकृत न किया जाए तो इसे समझना तो दूर की बात है, इसका अध्ययन करना भी असंभव होगा। वनस्पतियों और प्राणियों को वर्गीकृत करने की क्रमबद्ध प्रणाली स्वीडन के जीवविज्ञानी कैरोलस लिनियस के विचारों पर आधारित थी पर कुछ सुधारों के साथ आज भी इसी को अपनाया जा रहा है। उन्होंने वनस्पतियों और प्राणिय
कैरोलस लिनियस
...बांध बनते गए बर्बादी बढ़ती गई
Posted on 20 Sep, 2011 10:55 AM

तटबंध बाढ़ से होने वाली तबाही को रोकता है या परेशानी का सबब बनता है, यह बहस का मुद्दा है लेकिन इस बात पर कोई संदेह नहीं कि नदियों में बाढ़ आने के साथ ही तटबंध की मरम्मत और तबाही की रोकथाम के नाम पर करोड़ो रुपये का वारा-न्यारा कर दिया जाता है। ठेकेदार, अफसर और सरकारी दलाल के गठजोड़ ने तटबंधों के जरिए उत्तर बिहार का पूरा परिदृश्य बदल कर रख दिया है। हालांकि इसका अर

धरा पर जीवन का आरम्भ
Posted on 20 Sep, 2011 09:01 AM हमारी धरती बहुत पुरानी है। यदि इसका इतिहास देखा जाए तो हमारे पास उपलब्ध प्राणियों और वनस्पतियों के ऐतिहासिक या जीवाश्म रिकार्ड के अनुसार धरती का अस्तित्व बहुत पुराना है। वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी की उम्र लगभग 4.55 अरब वर्ष है। इस महाविशाल समय के पैमाने को समझना बहुत मुश्किल है। इसलिये वैज्ञानिकों ने धरती की उम्र को कई कालों में विभक्त किया है।

जीवन का कलैण्डर


उपरोक्त सारणी के अनुसार कालावधि वास्तव में बहुत विशाल है। लेकिन यदि प्रकृतिविद् डेविड एटनबरो द्वारा उनकी पुस्तक ‘लाईफ ऑन अर्थ’ में प्रस्तुत किए गए समय के पैमाने को अपनाया जाए तो गुजरे वक्त के विस्तार को सरलता से समझा जा सकता है। उनके अनुसार यदि हम एक ऐसे कलैण्डर को अपनाएं जिसमें साल का हर दिन 10 करोड़ वर्ष के बराबर हो तो इस हिसाब से हम यह याद रख सकते हैं कि धरती पर मानव की उत्पत्ति 31 दिसम्बर की शाम को हुई थी। इस प्रकार से विभेद करने पर आसानी से
धरा पर जीवन
Posted on 19 Sep, 2011 12:55 PM

जीवन के आधार


‘जीवन’ और ‘सजीव’ शब्द आज बहुत सामान्य है। हम इन्हें सहज रूप से ही समझते हैं, और हम, सामान्यता बगैर किसी त्रुटि के, ‘सजीव’ और ‘निर्जीव’ के बीच में भेद कर सकते हैं। इन सबके बावजूद भी उन लक्षणों को पहचान पाना बहुत आसान नहीं है जो ‘सजीव’ को ‘निर्जीव’ से अलग करते हैं।

भूकंप में कितने सेफ हैं आपके घर
Posted on 19 Sep, 2011 11:52 AM

सिक्किम में रविवार शाम को आए भूकंप से जान-माल का जबर्दस्त नुकसान हुआ। ऐसे में दिल्ली एनसीआर के लोगों के मन में यह कशमकश है कि नया फ्लैट खरीदते या प्लॉट पर मकान बनाते हुए वे किन बातों का ध्यान रखें कि भूकंप के झटकों का उनके घर पर कोई असर न हो। एक्सपर्ट्स से बात करके पूरी जानकारी दे रहे हैं अमित कुश :

विद्यालय स्वच्छता एवं स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम चार दिवसीय शिक्षक प्रशिक्षण मॉड्यूल
Posted on 17 Sep, 2011 03:23 PM इस चार दिवसीय शिक्षक प्रशिक्षण मॉड्यूल को प्रस्तुत करते हुए हमें हर्ष हो रहा है। स्वच्छता एवं स्वास्थ्य को प्राथमिक शिक्षा के साथ जोड़ने के लिए यह आवश्यक है कि शिक्षकों को इन विषयों की व्यावहारिक जानकारी हो, विद्यालय के कार्यक्रम में इनका समावेश कैसे किया जाय, इसके लिए कुछ तरीके भी प्रस्तुत किए गए हैं, जिसके आधार पर वे प्रशिक्षणोपरांत विद्यालयों में, बच्चों में तथा समुदाय में इस प्रयास को मूर्त रू
स्वच्छ रहो, स्वस्थ रहो
×