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मीठे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र के साथ अत्यधिक छेड़खानी ने भारी की हर नदी के प्राकृतिक परिदृश्य, उसके स्वरूप और प्रवाह को प्रभावित किया है। पिछले तीन दशकों में बारहमासी नदियां अब खंडित और रुक-रुक कर बने वाली मौसमी नदियां बन रही हैं। भारत की मैदानी नदियां जैसे-गोमती, रामगंगा, चंबल, केन, बेतवा के प्रवाह का एकमात्र आधारभूत स्त्रोत भूजल और वर्षा जल है।