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तालाब बचेगा तभी समाज बचेगा
Posted on 20 Nov, 2012 09:41 AM गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अनुपम मिश्र तालाबों के संरक्षण के काम के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। सहज-सरल व्यक्तित्व वाले अनुपम जी पानी के संरक्षण के लिए आधुनिक तकनीक की बजाय देशज तकनीक व परंपरागत तरीकों के प्रवक्ता रहे हैं। उनकी पुस्तकें ‘आज भी खरे हैं तालाब’ व ‘राजस्थान की रजत बूंदे’ काफी चर्चित रही हैं। ‘आज भी खरे हैं तालाब’ ने पुस्तकों के छपने और बंटने के कई रिकार्ड तोड़ डाले। अनुपम जी से पंचायतनामा संवाददाता संतोष कुमार सिंह ने विस्तृत बातचीत की।

उत्तर भारत में प्रसिद्ध पर्व छठ हो रहा है। इस दिन नदियों या तालाबों पर जाकर मनाये जाने वाले इस त्योहार की परंपरा को कैसे देखते हैं आप?

अनुपम जी
पोस्टर : रिचार्ज से भूजल बढ़ाएं, जल संकट से छुटकारा पाएं
Posted on 18 Nov, 2012 12:27 PM

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पोस्टर : रिचार्ज से भूजल बढ़ाएं, जल संकट से छुटकारा पाएं
पोस्टर : स्प्रिंकलर से करो सिंचाई, अधिक धन की करो कमाई
Posted on 18 Nov, 2012 12:25 PM

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पोस्टर : स्प्रिंकलर से करो सिंचाई, अधिक धन की करो कमाई
पोस्टर : बूंद-बूंद नहीं बरतेंगे, तो बूंद-बूंद को तरसेंगे
Posted on 18 Nov, 2012 12:23 PM

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पोस्टर : बूंद-बूंद नहीं बरतेंगे, तो बूंद-बूंद को तरसेंगे
19 नवम्बर को नदी सम्मेलन
Posted on 17 Nov, 2012 09:50 AM तिथि- 19-11-2012स्थान- गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली
पुस्तक: नदियां और हम
Posted on 16 Nov, 2012 11:00 AM रामेश्वर मिश्र पंकज द्वारा लिखी ‘नदियां और हम’ पुस्तिका की मूल प्रति यहां पीडीएफ के रूप में संलग्न है। पूरी किताब पढ़ने के लिए इसे डाउनलोड कर सकते हैं।

पुस्तक अंश

विकास के नाम पर विस्थापन झेलती आदिवासी महिलाएं
Posted on 10 Nov, 2012 12:35 PM विस्थापितों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पेयजल
मनरेगा को भ्रष्टाचार से मुक्ति जरूरी
Posted on 10 Nov, 2012 12:22 PM मनरेगा, कामयाब योजना के बावजूद भ्रष्टाचार का एक बड़ा केंद्र बन चुक
जमीन की राजनीति और संघर्ष की मशाल
Posted on 10 Nov, 2012 11:50 AM आज देश में 3000 खदान परियोजनाएं हैं, 5000 से ज्यादा बांध हैं, शेरों को बचाने के नाम पर एक तरफ आदिवासि
गुटखा प्रतिबंध से मचा बवाल
Posted on 10 Nov, 2012 11:28 AM पिछले कुछ समय से सिगरेट उद्योग व गुटखा उद्योग में यह लड़ाई चल रही
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