भारत

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भारत को राहत, पाक की आपत्तियां खारिज
Posted on 09 Jan, 2014 03:05 PM भारत को बड़ी राहत देते हुए हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत ने पाकिस्तान की आपतियों को खारिज कर दिया और जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा नदी से पानी का प्रवाह मोड़कर विद्युत उत्पादन करने के नई दिल्ली के अधिकार को बरकरार रखा है।
ग्रीन हाउस खेती की संभावनाएं
Posted on 06 Jan, 2014 03:01 PM इसमें संदेह नहीं की ग्रीन हाउस खेती से फसलों, सब्जियों वगैरह का उत्
विश्व के सर्वाधिक जहरीले स्थान
Posted on 05 Jan, 2014 10:38 AM अमीर देशों की बढ़ती उपभोक्ता मांग के चलते अल्प विकसित एवं विकासशील
ये नदियां
Posted on 03 Jan, 2014 03:12 PM ये नदियां
बहती जाती हैं
दिन रात अनवरत
अनहद राग गूंजता
रहता है फिर भी
दिखती हैं शांत ...
चलती रहती हैं
अबला नारी सी
लाज समेटे
अपने ही में मग्न
निर्द्वन्द्व निर्विकार
कोई रोके तो
लजाती सी
चुपचाप मार्ग बदल
निकल जाती हैं
या फिर शांत हो
रुक जाती हैं
प्रतीक्षा करती हैं
और गहन हो
अबला से सबला
इस शहर का क्या करें
Posted on 31 Dec, 2013 12:12 PM भारत में अनियोजित शहरीकरण ने नए तरह का संकट पैदा कर दिया है। रोजगार और जीविका की तलाश में गांवों की आबादी तेजी से पलायन कर रही है। नतीजतन शहरी जीवन प्रदूषण, गंदगी, जाम जैसी समस्याओं से बदरंग होता जा रहा है। क्या इसे रोका जा सकता है? जायजा ले रहे हैं प्रदीप सिंह।
city
बर्बादी की बाढ़, समझ का अकाल
Posted on 28 Dec, 2013 12:39 PM जब अंग्रेज हमारे यहां आए थे तो हमारे देश में कोई सिंचाई विभाग नहीं था। कोई इंजीनियर नहीं था, इंजीनियरि
deforestation
रेडिएशन से सिहर रही प्रकृति
Posted on 24 Dec, 2013 11:19 AM तकनीकी प्रगति ने जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन मानव ने जब-जब तकनीक को अपने निजी स्वार्थों और अति-लाभ के समीकरणों से जोड़कर देखा और उपयोग में लाना शुरू किया, तब-तब उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। रेडिएशन से केवल मानव जीवन ही नहीं, बल्कि पूरी प्रकृति ही साइड-इफेक्ट झेलती दिखाई दे रही है। मोबाइल रेडिएशन के चलते गोरैया, तोता, मैना, कौआ, गाय, कुत्ते, उल्लू तथा उच्च हिमालयी पक
भूल रहे हैं रास्ता मेहमान परिंदे...
Posted on 24 Dec, 2013 11:00 AM मेहमान परिंदों के लिए भारत हमेशा से ही ‘हॉट-डेस्टीनेशन’ रहा है। यहां लगभग 94 चिन्हित वेटलैंड इलाके हैं
जल संग्रह की परंपरा
Posted on 21 Dec, 2013 01:45 PM पानी के बारे में कहीं भी कुछ भी लिखा जाता है तो उसका प्रारंभ प्रायः उसे जीवन का आधार बताने से होता है। “जल अमृत है, जल पवित्र है, समस्त जीवों का, वनस्पतियों का जीवन, विकास – सब कुछ जल पर टिका है।” ऐसे वाक्य केवल भावुकता के कारण नहीं लिखे जाते। यह एक वैज्ञानिक सच्चाई है कि पानी पर ही हमारे जीवन का, सारे जीवों का आधार टिका है। यह आधार प्रकृति ने सर्व सुलभ, यान
water conservation rajasthan
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