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भारत
बयानों के आइने में कोप 21
Posted on 22 Dec, 2015 04:17 PM‘कोप 21’ यानी कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज। एक समझौते के साथ जलवायु के मसले पर सबसे अधिक संख्या में राष्ट्र प्रमुखों के जुटाव का यह आयोजन हाल ही में पेरिस में सम्पन्न हुआ। समझौता कितना मजबूत है, कितना कमजोर? कितना राजनयिक था, कितना प्रकृति हितैषी? पेश है बयानों के आइने में एक जाँच:
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जल समाचार
Posted on 22 Dec, 2015 03:45 PMझीलों के प्रदूषण से निपटने में कारगर है एयरेशन व बायोमैन्युपुलेशन तकनीक
दैनिक जागरण, (देहरादून 4 मार्च, 2011)
वाटर प्योरिफायर
Posted on 22 Dec, 2015 02:52 PM![प्योरिफायर](https://farm1.staticflickr.com/716/23902133355_913b4cb80b.jpg)
मेरी व्यथा सुन ले हे! इन्सान
Posted on 22 Dec, 2015 02:36 PMनमस्कार दोस्तों, मैं तुम्हारा मित्र पानी हूँ,
मैं जहाँ हूँ, वहाँ जीवन है, खुशहाली है, हरियाली है,
मैं तुम्हारे हर काम में भागीदार हूँ-चाहे वे छोटे-छोटे काम हों
या बड़े-बड़े “डाम”
तुम्हारी रसोई से लेकर, टाॅयलेट व स्नानागार तक,
सफाई-धुलाई से लेकर, खेत-खलिहान तक,
रेलगाड़ी से लेकर, हवाई-जहाज तक,
हेयर सैलून से लेकर, कल-कारखानों तक
किसानों को लूटा, मिल मालिक हुए मालामाल
Posted on 21 Dec, 2015 03:58 PMधान की खरीद और मिलिंग आदि में 50,000 करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला हुआ है। इसका खुलासा नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने 17,985.49 करोड़ रुपए किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के रूप में दिए हैं। लेकिन सरकार के पास इस बात के सबूत नहीं हैं कि मिल मालिकों या राज्य सरकारों की एजेंसियों या भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने किसानों को ठीक-
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भारत की जल प्रबन्धन आवश्यकताओं से निपटने के लिये भारत यूरोपीय जल मंच
Posted on 21 Dec, 2015 03:51 PMभारत में विभिन्न क्षेत्रों की बढ़ती हुई और प्रतिस्पर्धात्मक माँग के कारण दिन-प्रतिदिन जल प्रबन्धन कठिन होता जा रहा है। हालांकि आज़ादी के बाद से ही भारत ने जल संसाधनों के विकास की दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रयास किये हैं, लेकिन- ‘हमारा प्रयास ज्यादातर परियोजनाओं पर केन्द्रित रहा है जिससे पारिस्थितिकीय और प्रदूषण सम्बन्धी पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया जा सका।
इसके फलस्वरूप जल का अत्यधिक प्रयोग हुआ, जल प्रदूषण फैला और विभिन्न क्षेत्रों के बीच अमर्यादित प्रतिस्पर्धा बढ़ी। इसलिये जल के समुचित आवंटन, माँग के प्रबन्धन और उसके उपयोग के लिये प्रभावकारी उपाय किया जाना बहुत जरूरी है।’
केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री प्रोफेसर सांवर लाल जाट ने नई दिल्ली में भारतीय यूरोपीय जल मंच की पहली बैठक का उद्घाटन करते हुए इसे स्वीकार किया।
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