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ब्रायोफाइट्स-प्रदूषण के जीव सूचक के रूप में (Bryophytes-as bioindicators of pollution)
Posted on 24 Jun, 2016 12:21 PM

सारांश

ब्रायोफाइट्स में वातावरण में व्याप्त प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशीलता होती है जिस कारण उन्हें प्रदूषण के जीव सूचक के रूप में देखा जाता है और इसी कारण से वातवरण में उपस्थित प्रदूषण के अध्ययन में सहायक होते हैं।

Abstract
कम पानी में धान की खेती
Posted on 21 Jun, 2016 01:53 PM
मशहूर किसान कवि घाघ ने कहा था- ‘धान, पान और केला - ये तीनों पानी के चेला।’ इसका मतलब यह है कि धान, पान और केला बिना पानी के नहीं हो सकते। लेकिन अब धरती पानी की किल्लत से जूझ रही है। ऐसे में धान उगाना है तो कुछ नया सोचना होगा।
सूखे का निदान परम्परागत जल प्रणाली
Posted on 21 Jun, 2016 12:57 PM
देश की महज पाँच प्रतिशत जमीन पर पाँच मीटर औसत गहराई में बारिश
हम गाँव-गरीब-किसान के प्रति संवेदनशील और प्रतिबद्ध हैंः मोहनभाई
Posted on 21 Jun, 2016 12:47 PM
देशभर में सूखे की मार पड़ी है। दस राज्यों के 300 जिले बुरी तरह चपेट में हैं। सरकार हर सम्भव कार्य कर रही है। बाकायदा निगरानी के लिये केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में मंत्रियों की एक टीम बना दी गई है। दुष्प्रभावित राज्यों को फौरी मदद के लिये आवश्यक धनराशि भेज दी गई है। मराठवाड़ा क्षेत्र में जलदूत नाम से पानी की स्पेशल ट्रेन चलाई गई है। केन्द्र सरकार सूखे से निपटने के लिय
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनाः किसानों के सवालों के जवाब
Posted on 21 Jun, 2016 11:02 AM
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) की घोषणा होते ही हमने पाठकों के लिये ‘कृषि चौपाल’ के मार्च अंक में विस्तृत लेख प्रकाशित किया था। उस लेख की प्रतिक्रिया में हमें कई किसान भाइयों के पत्र मिले। इस योजना को लेकर उनके मन में अनेक प्रकार की शंकाएं थीं। उन्हें दूर करने के लिये इस बार हम मंत्रालय के सहयोग से हर उस प्रश्न का उत्तर यहाँ दे रहे हैं, जो संभवतः उनके मन में होंगे।
पेयजल में नाइट्रेट का कहर भी घातक
Posted on 20 Jun, 2016 05:01 PM
प्रत्येक जीव की सभी शारीरिक क्रियाएँ जलाधारित होने के कारण जल को जीवन की संज्ञा दी गई है। जल के दोनों रूप हैं, यथा-रोगकारक और रोगशामक। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिवेदन के अनुसार शरीर के अनेक रोग जल की गुणवत्ता में कमी के कारण होते हैं, तो आयुर्वेद के अनुसार शरीर में कई रोगों का शामक भी जल ही होता है। अतः जल की गुणवत्ता का हमारे स्वास्थ्य से सीधा सम्बन्ध है।

जल की गुणवत्ता निर्धारण में इसके भौतिक रासायनिक एवं जैविक गुणों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। वस्तुतः जल में कोई स्वाद एवं गंध नहीं होती है। परन्तु स्थान एवं भूमि के अनुसार उसमें जो खनिज लवण एवं क्षार आदि मिल जाते हैं, वे ही जल का स्वाद उत्पन्न करते हैं। इसी प्रकार जल में गंध भी कुछ वनस्पतियों तथा अन्य पदार्थों के जलस्रोतों में मिल जाने के कारण ही होती है।
भारतीय राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन स्वाहा
Posted on 19 Jun, 2016 03:42 PM

विश्व व्यापार संगठन ने भारतीय राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन में स्थानीयता को महत्त्व को ‘गैर-क

नई फसल बीमा नीति की वास्तविकता
Posted on 19 Jun, 2016 03:19 PM

प्रधानमंत्री ने नई फसल बीमा नीति की धूमधाम से शुरुआत की है। इसमें कान को सीधे नहीं हाथ घुमाकर पकड़ा गया है। पैसा निजी जेब से जाए या सरकारी खजाने से अंततः सार्वजनिक धन मुनाफाखोर बीमा कम्पनियों के झोले में ही जाएगा।

आज का जलवायु संकट मनुष्य द्वारा प्रकृति से छेड़छाड का परिणाम है। वैश्विक तापमान वृद्धि औद्योगिक सभ्यता की देन है। इसी के कारण किसानों को सूखा, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं हर साल झेलनी पड़ रही हैं। अनियमित वर्षा व पर्यावरण असंतुलन के कारण देश के अनेक हिस्सों में कृषि और किसानों को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है, जिसके लिये किसी भी स्थिति में किसान जिम्मेदार नहीं है। आज पूरा किसान समुदाय मृत्युशय्या पर पड़ा है। ऐसे में सरकार की जिम्मेदारी है कि, प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को नुकसान की भरपाई दे और उसके लिये एक स्थायी व्यवस्था की स्थापना करे। लेकिन सरकार अपने दायित्व का निर्वाह नहीं करना चाहती। गौरतलब है किसानों को दी जानेवाली सब्सिडी का लाभ किसानों को नहीं बल्कि कम्पनियों को ही मिलता है।
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