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प्लास्टिक इस्तेमाल पर जुर्माना
Posted on 19 Dec, 2018 10:43 AM


भागलपुर: आधी-अधूरी तैयारी के साथ शुक्रवार 14 दिसम्बर से बिहार के शहरों में प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबन्ध लग रहा है। उल्लंघन करने वालों को 35 हजार तक जुर्माना भरना पड़ सकता है। जुर्माने की तीन श्रेणियाँ तय की गई हैं। नगर निकायों को इसकी जिम्मेदारी दी गई है।

प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध
ये प्रदूषण हमें कहीं का नहीं छोड़ेगा
Posted on 29 Nov, 2018 04:15 PM


हर साल 2 दिसम्बर हम ‘नेशनल पॉल्यूशन कंट्रोल डे’ के रूप में मनाते हैं। क्या आप जानते हैं कि पिछले समय से रोज ही अखबारों में सुर्खियाँ बन रहा प्रदूषण किसी भी प्राकृतिक आपदा से कई गुना ज्यादा खतरनाक है? सरकार और समाज अपना काम कर रहे हैं। सवाल यह है कि प्रदूषण के खिलाफ जंग में आप क्या कर रहे हैं? इस सारे मसले को टटोलता सीएसई के प्रदूषण विशेषज्ञ पलाश मुखर्जी का आलेख

प्रदूषण
बिहार - खेती का रोडमैप खेतों तक पहुँचाना होगा
Posted on 06 Oct, 2018 05:27 PM

बिहार कृषि की निम्न उत्पादकता, बढ़ती उत्पादन लागत, वाजिब मूल्य नहीं मिलने, एमएसपी पर सरकारी खरीद नहीं होने, आधारभूत संरचना के संकट, मुख्य वाणिज्यिक फसल गन्ना के वाजिब मूल्य तथा मूल्य के भुगतान, नदी जल प्रबन्धन, मजदूरों के पलायन, पूँजी की कमी इत्यादि समस्याओं से गुजर रहा है। सरकार को कृषि रोड मैप को खेतों तक पहुँचाना होगा।

farmer
ओडीएफ के बाद सीतामढ़ी होगा प्लास्टिक मुक्त
Posted on 05 Oct, 2018 05:28 PM
खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) होने वाला बिहार का पहला जिला सीतामढ़ी अब चरणबद्ध तरीके से प्लास्टिक मुक्त भी होगा। सीतामढ़ी को इसी वर्ष 17 जुलाई को ओडीएफ घोषित किया गया था। जिले में प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध लगाने का काम स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के साथ ही लोहिया स्वच्छता योजना के तहत शुरू किया गया है। इसका नारा है ‘स्वच्छ सीतामढ़ी-सुन्दर सीतामढ़ी’।
प्लास्टिक की थैली
पक्षियों को संरक्षित करने का यह भी है तरीका
Posted on 07 Sep, 2018 05:18 PM
छत्रौल डीह गाँव में पेड़ पर लटकाए गए कृत्रिम घोंसले (फोटो साभार - दैनिक जागरण)बिहार के चम्पारण जिले का बगहा दो प्रखण्ड का छत्रौला डीह गाँव इन दिनों पक्षियों से प्यार करने वाले लोगों के बीच कौतुहल का विषय बना हुआ है। वजह है गाँव के लोगों का पक्षियों से प्रेम। पक्षियों से प्रेम के इस अलख को जगाने का श्रेय
छत्रौल डीह गाँव में पेड़ पर लटकाए गए कृत्रिम घोंसले
बिहार में चिन्ताजनक है भूजल स्तर की स्थिति
Posted on 10 Jul, 2018 05:54 PM


नई दिल्ली। बिहार के कई जिलों में भूजल स्तर की स्थिति पिछले 30 सालों में चिन्ताजनक हो गई है। कुछ जिलों में भूजल स्तर दो से तीन मीटर तक गिर गया है।

एक ताजा अध्ययन के अनुसार, भूजल में इस गिरावट का मुख्य कारण झाड़ीदार वनस्पति क्षेत्रों एवं जल निकाय क्षेत्रों का तेजी से सिमटना है। आबादी में बढ़ोत्तरी और कृषि क्षेत्र में विस्तार के कारण भी भूजल की माँग बढ़ी है।

वर्ष 1984 से 2013 के दौरान मानसून से पहले और बाद में भूजल स्तर की स्थिति
झोपड़ियों के बीच बने शौचालय कह रहे स्वच्छता की कहानी
Posted on 07 Jun, 2018 06:35 PM


बिहार की इस इकलौती पंचायत को पिछले दिनों नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्रामसभा पुरस्कार मिला। मुजफ्फरपुर जिले के सकरा प्रखंड की सबसे गरीब पंचायत भरथीपुर में भले ही अधिकांश लोग झोपड़ियों मेें रहते हों, लेकिन वे खुले में शौच को नहीं जाते। घर की जगह झोपड़ी ही सही, लेकिन हर घर के लिये शौचालय बन चुका है।

शौचालय
घर की जरूरतों ने गाँव का हुलिया बदल दिया
Posted on 07 Jun, 2018 06:16 PM
मैं अपनी मेहनत से अपने परिवार की दशा बदलना चाहती थी। और इसके लिये मेरे पास जरिया सि
भूजल में आर्सेनिक की रासायनिक यात्रा (Arsenic Contamination in Groundwater)
Posted on 03 Jun, 2016 04:31 PM

विश्व पर्यावरण दिवस, 05 जून 2016 पर विशेष

 


.बिहार में करीब चालीस साल पहले सिंचाई में भूजल का इस्तेमाल आरम्भ हुआ। लोग संशय से भरे थे। इसे ‘नरक से आने वाला पैशाचिक पानी’ ठहराया गया। लेकिन भूजल के इस्तेमाल का दायरा बढ़ता गया। इसमें सन 67-68 में अकाल का बड़ा योगदान था। तालाब और कुआँ खुदवाने की अपेक्षा नलकूप लगाना आसान और सस्ता था। बड़े पैमाने पर नलकूप लग गए।

पानी सर्वसुलभ होने का असर खेती पर पड़ा। अब धान की दो फसलें हो सकती थीं। लेकिन इस पानी में जहर आर्सेनिक छिपा था। इसका पता बहुत बाद में चल पाया। भूजल के अत्यधिक उपयोग से धरती के भीतर छिपा आर्सेनिक पानी में घुलकर बाहर आने लगा।

पूरे गाँव में कैंसर - नहीं जगी सरकार
Posted on 29 Feb, 2016 12:19 PM


धर्मेन्द्र की उम्र 21 साल भी नहीं हुई थी। 13 जनवरी को कैंसर से मारा गया। उसके कई अंगों में कैंसर फैल गया था। कैंसर का पता चलने के करीब चार महीने बाद कोलकाता के पीजीआई अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई। उसकी माँ मीना देवी के सिर पर बालों के बीच करीब दो साल से एक फोड़ा हो गया है। पहले इससे कोई परेशानी नहीं थी। अब खून झलक रहा है। हाथ और पैर के नाखून पीले पड़ जाते हैं, फिर गिर जाते हैं।

धर्मेन्द्र के पिता अर्थात रामकुमार यादव स्वयं लगातार सरदर्द, शरीरदर्द से परेशान हैं। सिर्फ बैठे रहने का मन करता है। पर बैठे रहने से कैसे चलेगा? मजदूर आदमी हैं। पेट भरने के लिये दैनिक मजदूरी का असरा है। उनका गाँव ‘तिलक राय का हाता’ बक्सर जिले के सिमरी प्रखण्ड में गंगा के तट पर है।

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