बिहार

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एक और गंगा लायी जाए
Posted on 30 Dec, 2011 10:39 AM

सुनते हैं कि जब 2002 में भारत की नदी जोड़ योजना पर बहस तेज हुई और भारत के प्रबुद्ध वर्ग ने उसक

बिहार में जल-संसाधनों के विकास के लिए विशेष कार्य-दल की रिपोर्ट (मई 2009)
Posted on 30 Dec, 2011 10:03 AM

‘‘राज्य का जल-संसाधन विभाग बहुत बड़ा है, असंगठित है, उसमें जरूरत से ज्यादा लोग काम करते हैं ले

बाढ़ समस्या के समाधान के लिए सतही पानी को जमीन के अंदर घुसाने की विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट (2006)
Posted on 29 Dec, 2011 02:03 PM

तटबंधों के टूटने की घटनाओं में जानकारी के अभाव पर रिपोर्ट की बड़ी ही मायूसी भरी टिप्पणी है कि

नदी जोड़ योजना और इसमें राज्यों की भूमिका
Posted on 29 Dec, 2011 11:33 AM

बिहार को बाढ़ प्रवण राज्य जरूर कहा जाता है मगर गंगा के दक्षिण वाला हिस्सा तो सूखे से प्रभावित

यह कैसा पुनर्वास?
Posted on 27 Dec, 2011 02:59 PM

पचनौर, चन्दौली, मधकौल, सोनाखान, अखता आदि गाँवों के खेतों में पड़ा बालू और उसके फलस्वरूप उजड़े

आगे-आगे तटबंध-पीछे-पीछे तबाही
Posted on 26 Dec, 2011 01:14 PM जैसे-जैसे तटबंध आगे बढ़ेगा वैसे-वैसे इस तरह की कहानियों की, उनसे जुड़ी उम्मीदों और आश्वासनों की सूची लम्बी होती जायेगी। अभी तक तो उन गाँवों की पूरी सूची भी तैयार नहीं हुई है जहाँ से इस तटबंध को गुजरना है। इसका यह भी मतलब निकलता है कि दस्तूर के मुताबिक तटबंध का अलाइनमेन्ट अभी तक तय नहीं हुआ है। पश्चिम में औराई से लेकर पूरब में कनौजर घाट तक के लोग आशंकित ह
अनिश्चित भविष्य लिए हुए भरथुआ
Posted on 26 Dec, 2011 11:46 AM

रिंग बांध की बात इसलिए उठी कि हम लोगों का घर नहीं उजड़ेगा, जहाँ है वहीं रहेंगे। अगर ऐसा नहीं क

बेनीपुर की जल समाधि
Posted on 26 Dec, 2011 09:51 AM मार्च 2007 खत्म होते न होते बेनीपुर में तटबंध का काम शुरू हो गया। गाँव वालों की चिंता थी कि बिना उनका पुनर्वास किये तटबंध आगे बढ़ता है तो बरसात में गाँव पानी में फंस जायेगा और उनका जीना दूभर हो जायेगा। अप्रैल 2007 को इन लोगों ने स्थानीय जूनियर इंजीनियर से लेकर राज्य के मुख्यमंत्री तक सबको अपनी स्थिति के बारे में लिखा। जब कोई हाल पूछने वाला नहीं हुआ तब यह लोग
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