उमेश कुमार राय

उमेश कुमार राय
वक्रेश्वर के स्प्रिंग्स से मिला था हिलियम का पता
Posted on 17 Oct, 2016 11:15 AM

पश्चिम बंगाल के लाल माटी वाले जिले बीरभूम में स्थित वक्रेश्वर केवल धार्मिक कारणों से ही मशहूर नहीं है, बल्कि यहाँ के गर्म स्प्रिंग्स भी इसे खास पहचान देते हैं।

वक्रेश्वर में 10 स्प्रिंग्स स्थित हैं जहाँ से आठों पहर गर्म पानी की धाराएँ निकलती रहती हैं। कुछेक धाराओं से निकलने वाले पानी का तापमान तो 70 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक है।।

कोलकाता से लगभग 220 किलोमीटर दूर स्थित वक्रेश्वर के इन्हीं गर्म स्प्रिंग्स से पहली बार पता चला था कि भूगर्भ में हिलियम मौजूद है।
वक्रेश्वर का एक स्प्रिंग
एक मरती नदी के अमर होने की कहानी
Posted on 07 Oct, 2016 11:11 AM

मरणासन्न स्थिति में पहुँच चुकी इस नदी को नया जीवन देना आसान नहीं था लेकिन कनालसी गाँव के लोगों ने इस नदी को बचाने के लिये कोई कसर नहीं छोड़ी और उनका प्रयास रंग लाया। आज इस नदी में इतना प्रवाह है और इसका पानी इतना कंचन है कि अपने आगोश में समेट लेने वाली यमुना मैया भी इसे देखकर लजा जाये। नदी को नवजीवन मिलने से गाँव में भी सुख-समृद्धि आ गई है। गाँव में पक्की सड़कें, पक्के मकान हैं। मुख्य सड़क से कटी उप-सड़क गाँव में जाती है।

हरियाणा के यमुनानगर से लगभग 17 किलोमीटर दूर कनालसी गाँव से होकर एक नदी बहती है-थपाना। कनालसी से लगभग 10 किलोमीटर दूर एक नौले-धारे से यह नदी निकली है। इस गाँव में आकर थपाना नदी में सोम्ब नदी (बैराज से पानी छोड़े जाने पर सोम्ब नदी में पानी आता है) मिल जाती है। आगे जाकर यह यमुना में समा जाती है। थपाना को देखकर कोई यकीन नहीं कर सकेगा कि 6-7 साल पहले यह नदी लगभग मर चुकी थी।

फिलवक्त थपाना की धारा अविरल बह रही है और पानी इतना साफ है कि अंजुरी में भरकर उससे गला तर किया जा सकता है। प्रवासी पक्षी नदियों की धारा से अटखेलियाँ करते हैं। देसी परिन्दे नदी के कछार में अन्ताक्षरी खेला करते हैं। शाम का सूरज जब पश्चिम में ढलने लगता है तो इस नदी का किनारा गाँव के लोगों की सैरगाह बन जाता है।
सरकार को पश्चिमी घाटों के स्प्रिंग्स की फिक्र नहीं
Posted on 04 Oct, 2016 04:17 PM

नौले धारे या स्प्रिंग पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाली आबादी के लिये पानी का सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत है। भारत के कम-से-कम 20 राज्य पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित हैं। निलगिरि से हिमालय तक अनुमानतः 50 लाख स्प्रिंग्स हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले करोड़ों लोग पीने और दैनिक इस्तेमाल के पानी के लिये स्प्रिंग पर निर्भर हैं।

उत्तर-पूर्व और उत्तरी भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित स्प्रिंग पर काफी हद तक काम किया गया है। यही वजह है कि उत्तराखण्ड, मेघालय, सिक्किम जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में अब भी स्प्रिंग ही पेयजल का एकमात्र साधन है। हिमालयी क्षेत्रों में स्प्रिंग के संरक्षण पर जितना काम किया गया है उतना पश्चिमी घाट में काम नहीं हुआ है।
अकोले के एक स्प्रिंग से पानी के लिये जद्दोजहद करती महिला
जिद से बदल दी आबोहवा
Posted on 02 Oct, 2016 04:09 PM

जेजांग चीन का एक प्रान्त है जो कुछ वर्ष पहले तक प्रदूषण की गिरफ्त में था। फैक्टरियों से निकलने वाली गन्दगी ने इस प्रान्त की सूरत बिगाड़ दी थी। आसपास की नदियों की भी दुर्दशा थी। असल में ऐसा इसलिये हुआ था क्योंकि इस प्रान्त में उद्योगीकरण तेज रफ्तार से हुआ था।
जिन हाओ के अभियान की सराहना करते पदाधिकारी
प्रकृति और परम्परागत इल्म को बचा रहे हैं टेरो
Posted on 29 Sep, 2016 04:46 PM

स्नोचेंज कोअॉपरेटिव के टेरो मस्टोनेन को इंटरनेशनल रीवर फाउंडेशन की ओर से इस वर्ष का ‘इमर्जिंग रीवर प्रोफेशनल अवार्ड’ दिया गया है।
नदियों से मित्रता का मिला ईनाम
Posted on 25 Sep, 2016 10:21 AM

बफेलो नियाग्रा रीवरकीपर एक सामुदायिक संगठन है। इस संगठन को इस साल थीस इंटरनेशनल वाटरप्राइज अवार्ड दिया गया है। इंटरनेशनल रीवर फाउंडेशन की ओर से आयोजित तीन दिवसीय 19वें इंटरनेशनल रीवर सिम्पोजियम में संगठन के प्रतिनिधि जे. बर्नोस्की और सुजैन कोर्नाकी को यह पुरस्कार सौंपा गया। संगठन को यह अवार्ड नदियों और नदियों के बेसिन के संरक्षण, उनकी सुरक्षा के लिये दिया गया है। बतौर पुरस्कार 2 लाख ऑस्ट्रेलियन डॉलर दिया गया। पिछले वर्ष इस संगठन को नॉर्थ अमेरिकन रीवरप्राइज अवार्ड दिया गया था।

यहाँ यह भी बताते चलें कि इंटरनेशनल रीवर फाउंडेशन ने इस पुरस्कार की शुरुअात 1999 से की थी और अब तक 15 संगठनों को यह पुरस्कार मिल चुका है।
नेपाल के नौले-धारों को जीवन दे रहा संगठन इसीमोड
Posted on 19 Sep, 2016 11:30 AM

नौले-धारों के सूखने के कारण लोगों को पहाड़ों, चट्टानों से जूझते हुए दूरदराज के क्षेत्रों में जाना पड़ता है पानी लाने के लिये। ‘पानीको मुहानहरू’ सूख जाने से खेती लगभग नामुमकिन हो जाती है जिससे अन्न का उत्पादन घटता है। इस तरह की मुसीबतों से बचने के लिये इन क्षेत्रों से पलायन भी होता है। कभी-कभी पलयान इतनी बड़ी संख्या में होता है कि गाँव के गाँव खाली हो जाते हैं। जब ये लोग दूसरे शहरों में काम करने जाते हैं तो वहाँ उनका शोषण किया जाता है। नौले-धारे (वाटर-स्प्रिंग) को नेपाल में धारा, ‘पानीको मुहानहरू’, छहरा, स्प्रिङ, झरना नाम से उच्चारण किया जाता है। हालांकि ‘झरना’ सामान्यतः अंग्रेजी के ‘वाटर-फाल्स’ शब्द के लिये इस्तेमाल किया जाता है। पर नौले-धारे के लिये भी नेपाल में ‘झरना’ शब्द इस्तेमाल होता है।

नौले-धारे (वाटर-स्प्रिंग) नेपाल के पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जीवनरेखा है। मगर नौले-धारों को इतनी तवज्जो नहीं मिली जितनी मिलनी चाहिए लिहाजा इन नौले-धारों की हालत अत्यन्त खराब हो गई हैं। इनके प्रबन्धन की भी व्यवस्था नहीं की गई और इन्हें किस तरह संरक्षित रखना चाहिए इस पर ध्यान नहीं दिया गया।

इंटरनेशनल सेंटर फॉर माइग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (इसीमोड) एक क्षेत्रीय अन्तर-सरकारी संगठन है जो हिन्दुकुश हिमालय क्षेत्र में काम करता है। हिन्दुकुश हिमालय के अन्तर्गत अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भुटान, चीन, नेपाल, म्यांमार और पाकिस्तान आते हैं।
नौले-धारों के हैं बहुआयामी फायदे
Posted on 19 Sep, 2016 10:13 AM


पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिये नौले-धारे (वाटर-स्प्रिंग) ही पीने के पानी का बड़ा स्रोत हैं। पेयजल का मुख्य स्रोत माने जाने वाले नौले-धारों में से आधे से ज्यादा में पानी की कमी आ चुकी है। जलस्तर घटने की यही गति रही तो आने वाले 20-25 सालों में करीब शत-प्रतिशत नौले-धारे विलुप्त हो जाएँगे। कल तक जिन नौलों और धारों का शीतल जल लोगों की प्यास बुझाते थे। वे नौले-धारे किस्सा बनते जा रहे हैं, इतिहास बनते जा रहे हैं।

जलविज्ञान में नौले-धारे (वाटर-स्प्रिंग) धरती की सतह के उस स्थल को कहा जाता है जहाँ से भूजल भण्डार से पहली बार पानी का सतही बहाव होता है। नौले-धारों से तात्पर्य है एक ऐसा स्थान जहाँ किसी जलवाही चट्टान के नीचे से जलधारा सतह पर बह निकले। भूजल का प्राकृतिक सतही बहाव बिन्दु है स्प्रिंग।

सागर की बदकिस्मती
Posted on 28 Aug, 2016 04:16 PM


ईंधन से भरा एक जहाज समुद्र के रास्ते इंडोनेशिया से गुजरात के लिये रवाना हुआ था। 4 अगस्त, 2011 को यह जहाज मुम्बई तट से लगभग 37 किलोमीटर दूर अरब सागर (भारतीय सीमा) में डूब गया था।

जहाज के डूबने से इसमें मौजूद ईंधन व तेल का धीरे-धीरे रिसाव होने लगा जिससे समुद्र की पारिस्थितिकी और मुम्बई तट के आसपास की जैवविविधता को नुकसान हुआ था।

इस नुकसान की भरपाई के लिये राष्ट्रीय हरित पंचाट (नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल) ने पनामा स्थित डेल्टा शिपिंग मरीन सर्विसेज और उसकी कतर स्थित दो सहयोगी कम्पनी डेल्टा नेविगेशन डब्ल्यूएलएल और डेल्टा ग्रुप इंटरनेशनल पर 100 करोड़ रुपए का पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाया है।

मैला ढोने के खिलाफ ‘सीधी कार्रवाई’ के मूड में विल्सन
Posted on 21 Aug, 2016 04:10 PM


दिल्ली के ईस्ट पटेल नगर की बेहद उदास और सुनसान सड़क पर एक फ्लैटनुमा मकान में सफाई कर्मचारी आन्दोलन का दफ्तर है। दफ्तर में बामुश्किल एक दर्जन लोग काम करते होंगे। दफ्तर की दीवारों पर बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की कई सफेद-स्याह तस्वीरें और भीम यात्रा की पोस्टर लगी हैं। इसी दफ्तर में बैठते हैं संगठन के नेशनल कनवेनर बेजवाड़ा विल्सन। बेजवाड़ा विल्सन को इस वर्ष रेमन मैगसेसे अवार्ड मिला है। रेमन मैगसेसे अवार्ड को एशिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है।

उनके दफ्तर का रंग-रूप कॉरपोरेट दफ्तरों से बिल्कुल अलग है। एकदम साधारण-बेजवाड़ा विल्सन की तरह ही। अपनी बात भी वे बेहद सामान्य तरीके से रखते हैं।

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