सुरेश भाई

सुरेश भाई
क्या हिमालय दिवस का विचार केवल चिंता करने तक सीमित था ?
केंद्र की सरकार एक मजबूत केंद्रीय हिमालय नीति बनाने के लिए हिमालय का मंत्रालय तो बनाएगा ही साथ ही हिमालय के पृथक विकास के मॉडल को निर्धारित करने के लिए आमजन द्वारा प्रस्तुत की गई हिमालय लोक नीति के सुझाव के अनुरूप हिमालय नीति का निर्धारण करेगी। 
Posted on 09 Sep, 2023 02:56 PM

हिमालय के संवेदनशील पर्यावरण के लिए चिंतित देश भर के सामाजिक कार्यकर्ताओ और पर्यावरणविदों ने मिलकर देहरादून स्थित हैस्को केंद्र शुक्लापुर में 2010 मे एक बैठक की थी। जिसमें हर वर्ष 9 सितंबर को हिमालय दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था। जब यह विचार आया तो हम काफी उत्साहित थे कि हिमालय की गंभीर समस्याओं को लेकर हिमालय दिवस के अवसर पर राज समाज को साथ लेकर यहां के ज्वलंत मुद्दों की तरफ सरकार का ध्यान

हिमालय दिवस
पानी की रिहाई
Posted on 02 May, 2019 12:55 PM

बरसात के समय मे 90 प्रतिशत आपदाओं का कारण पानी है। दूसरी ओर पानी जीवन का आधार है। वह चाहे नदियों, जल स्रोतों, जलाशयों, बारिश की बूंदों के आदि के रूप में जहां से भी आ रहा हो, इनमें मानसून  के समय मे पानी की मात्रा बढ़ जाती है, लेकिन यही समय है कि जब अधिक-से-अधिक पानी को जमा करके सालभर की आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है। मकानों की छतों से बरसात में बहने वाले पानी को पीने के लिए, फैरोसीमेंट टैंक ब

पानी के सौदागर हो रहे नदियों के मालिक
Posted on 03 Nov, 2018 04:41 PM

गंगा, यमुना और उन जैसी अनेक नदियों के भजन गाने वाले मैदानी इलाकों के समाज को आमतौर पर पहाड़ों और वहाँ से निकलने

लखवाड़ बाँध
देवभूमि का पर्यावरण संकट में
Posted on 01 Nov, 2018 11:40 AM


पर्यावरण के साथ न्याय कौन करेगा? सरकार या अदालत? ये सवाल लोकतांत्रिक व्यवस्था के सामने चुनौती पेश कर रहे हैं क्योंकि हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश राज्य और केन्द्र सरकार के कामकाज पर कड़ी टिप्पणी सरीखे हैं।

ऑलवेदर रोड
नदियों के मालिक बनते पानी के सौदागर
Posted on 29 Oct, 2018 12:23 PM

उत्तराखण्ड की नदियों पर तो निवेशकों की नजर है, लेकिन किसानों को पानी मुहैया कराने और उनकी आजीविका तथा उत्पादों की बिक्री में मदद के लिये कोई निवेशक सामने नहीं आता।
बाँध
हिमालय की पर्यावरण सेवाओं की अनदेखी
Posted on 09 Sep, 2018 02:02 PM

हिमालय की खूबसूरत दृश्य दुनिया के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। हिमालयी राज्यों से निकल रही हजारों जलधारा

हिमालय
वनाधिकार वनवासियों का हक
Posted on 21 Aug, 2018 02:45 PM

वनाधिकार (फोटो साभार - वाइडवो)जंगल और उनके वनवासियों का हाल पहले ही काफी बुरा है, लिहाजा उनसे जुड़े मुद्दों पर संवेदनशीलता के साथ विचार करने की जरूरत है। प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के लिये बाहरी पूँजी निवेश पर आधारित नव-उदारवादी अर्थव्यवस्था की राह में बाधा उत्पन्न कर दिया है। कानून के लागू होने के ए

वनाधिकार
जलीय जीव-मछली का विकास नदी बचाकर करना होगा
Posted on 03 Jul, 2010 10:15 AM
उत्तराखण्ड राज्य नदी, पर्वत एवं उसमें विराजमान वन एवं जैव-विविधता से परिपूरित लगता है। वह चाहे मनुष्य हो या अन्य जीवधारी, यहां के निवासियों का जीवन एवं जीविका जल, जंगल एवं जमीन पर निर्भर है। हिमानी एवं जंगलों के बीच से निकलने वाले गाड़-गदेरों व नदियों के पानी से असंख्य जीव-जन्तु एवं वनस्पतियों के विकास की कहानी जुड़ी हुई है। अतः पानी में रहने वाले जीव-जन्तुओं की एक विशेषता यह है कि ये जल प्रदूषण क
सबके सम्मान की पात्र
Posted on 25 Jun, 2010 01:43 PM
टिहरी जनपद में स्थित मेरा गांव रगस्या-थाती (बूढ़ाकेदारनाथ) सामाजिक क्रांतियों का केन्द्र रहा है। यहां पर शराबबंदी आन्दोलन, अस्पृश्यता निवारण, चिपको आन्दोलन के लिये सर्वोदय और गांधी विचार से जुड़े लोगों का जमघट बना रहता था। बूढ़ाकेदारनाथ में धर्मानंद नौटियाल, भरपूरू नगवान एवं बहादूर सिंह राणा ने मिलकर सन् 1947 से 1975 के दौरान शांति और समानता के लिये अहिंसक गतिविधियां चलायी थीं। इन्हें सरला बहन और
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