सीएसई
एक नई पत्रिका
Posted on 31 Dec, 2009 08:48 PMउड़ीसा वाटरशेड मिशन ने जलपंढाल विकास के अनुभवों को बांटने के लिए भूमि पंचायत नामक एक पत्रिका निकालनी शुरु की है। यह पत्रिका अंग्रेजी और उड़िया, दोनों भाषाओं में निकाली जा रही है, ताकि किसानों को भी इस कार्यक्रम की प्रगति के बारे में नियमित रूप से जानकारी मिलती रहे।प्रशासन को नसीहत मिली
Posted on 31 Dec, 2009 08:13 PMदिसंबर 2001 में केंद्रीय भूजल प्रशासन ने आवास कल्याण संघों के लिए वर्षाजल संग्रहण पर कार्यशालाएं आयोजित की। प्रशासन ने सूचना जारी की कि 31 दिसंबर 2001 तक जिन ट्यूबवेल के मालिकों ने जल संग्रहण का अमल नही किया है, उनके ट्यूबवेलों को जब्त कर लिया जाएगा और इसी कारण इसके अमल को सहज बनाने के लिए इन कार्यशाओं के आयोजन किये गए हैं।डाउज़िंग : विज्ञान या कोई जादू
Posted on 31 Dec, 2009 08:05 PMतमिलनाडु के एक गांव पालापट्टी के लोग प्यास से तड़प रहे थे। उनके यहां न तो बारिश हुई थी और न ही ट्यूबवेल थे। अंतत: गांव वालों ने एक मठवासी, ब्रदर जेम्स किंप्टन से मिलने का निर्णय लिया,जिसमें किसी खास क्षेत्र में भूजल के संबंध में भविष्यवाणी करने की विशेष कला थी। उन्होंने स्थल का भ्रमण किया और बड़ी सफलता से भविष्यवाणी की कि यहां 70 फीट की गहराई पर पानी है। ब्रदर किंम्टम की तरह और भी कई लोग हैं, जो भजल जागरूकता बढ़ाने के प्रयास
Posted on 31 Dec, 2009 08:02 PMउदयपुर जिले में जल बिरादरी की ताकत बढ़ रही है। यहां के 80 गांव उदयपुर आधारित एक गैर सरकारी संगठन `झील संरक्षण समिति´ (जेएसएस) के साथ जुड़ गए हैं और ये वर्षाजल प्रबंधन को लेकर लोगों में जागरूता बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं।समृद्धि की एक और मिसाल
Posted on 31 Dec, 2009 07:59 PMकर्नाटक स्थित बायफ डेवपलमेंट रिसर्च फाउंडेशन (बायफ) ने एक अनोखा मॉडल विकसित किया है। जिसे खेत तालाब नेटवर्क के नाम से जाना जाता है। खेत तालाबों का विभिन्न उद्देश्यों से उपयोग किया जाता है। इनमें खेती और मछली पालन का काम होता है। इसमें फसल और मछली पानी के अलावा सिंचाई से लेकर छोटे-छोटे उद्यमों तक की पानी की जरूरतें पूरी होती हैं। अभी हाल के जल पंढाल विकास काय्रक्रमों में वर्षाजल संग्रहण करने के लिएलोगों ने दिखाई राह
Posted on 31 Dec, 2009 07:44 PMसन् 2001 में फिर तीसरे साल गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश राज्य सूखे के प्रकोप में थे, लेकिन दाहोद आधारित एक गैर सरकारी संगठन `एन एम सदगुरु वाटर एण्ड डेवलपमेंट फाउंडेशन´(सदगुरु) बड़ी सूझबूझ से सूखा राहत कार्यक्रम चलाने में जुटा था। उन्होंने सामुदायिक जुड़ाव से अपने समेकित दृष्टिकोण का काफी बेहतर ढंग से क्रियान्वयन किया।
सीएसई की आदर्श जल संग्रहण परियोजना
Posted on 31 Dec, 2009 07:40 PMबीपीसीएल नोएडा की वर्षाजल संग्रहण व्यवस्था
शहरों में पानी संकट से निपटने के अपने प्रयासों में दिल्ली स्थित एक गैर सरकारी संगठन ‘सेंटर फॉर साइंस एण्ड इन्वायरमेंट’(सीएसई) दिल्ली शहर में ऐसी अनेक आदर्श वर्षाजल संग्रहण व्यवस्थाएं खड़ी करने में सहयोग कर रही हैं, जिनसे इन मॉडलों की देखा-देखी अन्य लोग भी वर्षाजल संग्रहण के लिए उत्साहित हों और वे जान सकें कि शहरों में वर्षाजल संग्रहण की इस तकनीकीबोरी बंधा से पानी रूका
Posted on 31 Dec, 2009 07:38 PMमध्य प्रदेश के इंदौर जिले में अनेक स्थलों का भूजल स्तर 400 फीट तक नीचे सरक गया है, जिससे यहां पानी का घोर संकट छा गया है। ऐसी स्थिति में इंदौर में मंत्री के पद से सेवानिवृत्त जीटी भिमटे समेत अन्य अनेक लोग बोरी बंधा के जरिए भूजल पुनर्भरण के प्रयास में जुट गए हैं।चित्तौड़ की जल परम्परा
Posted on 31 Dec, 2009 07:35 PMसच पूछो तो राजस्थान की भौगोलिक परिस्थिति ने यहां के जनमानस को सैकड़ों साल पहले से ही यह सिखा दिया था कि अगर पानी का पुख्ता प्रबंध करना है तो इसके लिए वर्षा जल संग्रहण से बेहतर कोई उपाय नहीं हैं। और इसी सोच से इस पूरे इलाके में वर्षा जल संग्रहण की नायाब व्यवस्थाएं बनीं।
ग्रामीण उद्यम
Posted on 31 Dec, 2009 07:32 PMसिंचाई को ग्रामीण उद्यम बनाने के प्रयास में यहां इंटरनेशनल डेवलपमेंट इंटरप्राइजेज (आईडीई) ने रास्ता दिखाया है। अब किसान एक कदम आगे बढ़कर ऐसे नए-नए नमूने तैयार कर रहे हैं, जिनसे स्थानीय स्तर की ड्रिप व्यवस्था और भी ज्यादा सस्ती और सरल होती जा रही है। वे खुद ही इस व्यवस्था को लगा रहे हैं। और जल्दी ही एक ऐसी अवस्था में पहुंच रहे हैं, जहां वे इससे बड़े आराम से काम निकाल सकते हैं। इसके अलावा अब वे इ