क्रांति चतुर्वेदी
क्रांति चतुर्वेदी
पानी के योग
Posted on 27 Dec, 2016 04:35 PMआज लोगों के बीच जानने के लिये एक खास बात यह भी है कि बीस-बीस
तालाबों का राम-दरबार
Posted on 27 Dec, 2016 01:01 PMवर्षाकाल मेघ नभ छाए
गरजत लागत परम सुहाए
सिमट सिमट जल भरहिं तलावा
जिमी सद्गुण सज्जन पहिं आवा
बूँदों के ठिकाने
Posted on 27 Dec, 2016 12:55 PMव्यवस्था और समाज दोनों में हलचल तेज हो रही थी। कोई चार-पाँच स
रामदेवजी का नाला
Posted on 27 Dec, 2016 12:49 PMगाँव की ‘पानी-पहचान’ एक-न-एक दिन इसे अवश्य बहुत दूर तक ले जाए
देवाजी का ओटा
Posted on 26 Dec, 2016 04:31 PMबरसात की नन्हीं-नन्हीं बूँदों को रोकने के लिये जब समाज एक जा
झिरियों का गाँव
Posted on 26 Dec, 2016 03:53 PMतालाब की डाउन साइड में एक पुरातन कालीन पत्थरों से निर्मित झिर
देवडूंगरी का प्रसाद
Posted on 26 Dec, 2016 03:49 PMहर पहाड़ी पर किसी-न-किसी देवता का वास रहता है- ऐसा प्रायः हर
बूँदों से महामस्तकाभिषेक
Posted on 26 Dec, 2016 03:24 PMझरनिया की पहाड़ी पर डबरी बनने और उसमें पानी रुकने के बाद मुंजाखेड़ी के हरिसिंह और उनके सा
उज्जैयिनी - बूँदों की तीर्थ नगरी भी
Posted on 24 Dec, 2016 03:28 PMकहीं बूँदों ने अपने ‘ठिकाने’ तैयार कर लिये, कहीं बूँदों की छा
बूँदों की रानी
Posted on 24 Dec, 2016 03:06 PMपहले गाँव में जल संचय के नाम पर कुछ भी नहीं था। बरसात की बूँदें आतीं और बहकर निकल जातीं।