अरुण तिवारी

अरुण तिवारी
एक बहस-समवर्ती सूची में पानी
Posted on 19 May, 2016 03:47 PM


प्यास किसी की प्रतीक्षा नहीं करती। अपने पानी के इन्तजाम के लिये हमें भी किसी की प्रतीक्षा नहीं करनी है। हमें अपनी जरूरत के पानी का इन्तजाम खुद करना है। देवउठनी ग्यारस का अबूझ सावा आये, तो नए जोहड़, कुण्ड और बावड़ियाँ बनाने का मुहूर्त करना है। आखा तीज का अबूझ सावा आये, तो समस्त पुरानी जल संरचनाओं की गाद निकालनी है; पाल और मेड़बन्दियाँ दुरुस्त करनी हैं, ताकि बारिश आये, तो पानी का कोई कटोरा खाली न रहे।

जल नीति और नेताओं के वादे ने फिलहाल इस एहसास पर धूल चाहे जो डाल दी हो, किन्तु भारत के गाँव-समाज को अपना यह दायित्व हमेशा से स्पष्ट था। जब तक हमारे शहरों में पानी की पाइप लाइन नहीं पहुँची थी, तब तक यह दायित्वपूर्ति शहरी भारतीय समुदाय को भी स्पष्ट थी, किन्तु पानी के अधिकार को लेकर अस्पष्टता हमेशा बनी रही।

मेरा सबसे वाइड एक्सपोजर तो इंस्टीट्युशन्स के साथ हुआ : स्वामी सानंद
Posted on 15 May, 2016 11:33 AM


स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद - 18वाँ कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है:

.निलय के बाद बोर्ड मीटिंग की अध्यक्षता कौन करे? मौजूद सदस्यों में कर्नाटक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के हनुमत राव ही सीनियर मोस्ट थे। उन्होंने ही चेयर किया। कार्य समिति ने केस करने हेतु अप्रूव कर दिया। अगले दो दिन में मैंने मिनिट्स (बैठक की कार्यवाही रिपोर्ट) तैयार कर दिये। मिनिट्स को साइन के लिये निलय चौधरी के पास भेजा।

आमतौर पर वह किसी भी फाइल में अधिकतम 15 दिन में साइन कर देते थे। मिनिट्स पढ़कर वह बोले कि इसे रहने ही दो। मैंने ऐसा करने से मना किया, तो बोले - ‘अच्छा इसमें बदलो। लिखो कि इस पर अगली बोर्ड बैठक में निर्णय किया जाएगा।’ इससे देरी होगी; जानने के बावजूद मैंने मंजूर कर लिया।

अरुण कुमार पानीबाबा नहीं रहे
Posted on 10 May, 2016 12:34 PM

श्रद्धांजलि


अखबार के पन्नों पर अरुण कुमार 'पानीबाबा' के नाम, परम्परागत व्यंजनों की लम्बी लेखमाला और बिना लाग-लपेट के अपनी बात कहने के लिये मशहूर श्री अरुण जी नहीं रहे।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक, नागपुर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता का अध्ययन करने वाले श्री अरुण कुमार जी ने 60वें दशक के मध्य में नागपुर टाइम्स में उपसम्पादक पद से अपने पत्रकारिता धर्म की शुरुआत की।

70 के दशक में समाचार एजेंसी UNI के साथ काम किया। एक समय में वह राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय भैरोसिंह शेखावत के बेहद करीबी सलाहकारों में से एक रहे।

स्वामी सानंद : नौकरियाँ छोड़ी, पर दायित्वबोध नहीं
Posted on 08 May, 2016 03:54 PM

स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद - 17वाँ कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है:

छात्र जी डी की विद्रोही स्मृतियाँ
Posted on 01 May, 2016 01:32 PM


स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद - 16वाँ कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है :

 

परिवार व यूनिवर्सिटी ने मिलकर गढ़ा गंगा व्यक्तित्व
Posted on 24 Apr, 2016 09:58 AM


स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद - 15वाँ कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है :
.सन 1932 में प्रोग्रेसिव सोच के जमींदार परिवार में मेरा जन्म हुआ। उत्तर प्रदेश, जिला मुजफ्फरनगर, तहसील कांधला के एक खेतिहर परिवार में मैं जन्मा। मेरे बाबा श्री बुधसिंह जी आर्यसमाजी थे। उनके ससुर डिप्टी कलक्टर और ससुर के छोटे भाई बैरिस्टर थे। सो, मेरे बाबाजी भी इंग्लैण्ड जाकर बैरिस्टर बनना चाहते थे। उन्होंने घर से पैसा निकाल लिया। जहाज का टिकट लेकर इंग्लैण्ड रवाना हो गए।

परिवार के लोग यह नहीं चाहते थे कि वह इंग्लैण्ड जाएँ। लिहाजा, उनके ससुर को कम्पलेन्ट की कि वह चोरी करके गए हैं।परिणाम यह हुआ कि उन्हें जहाज में ही गिरफ्तार कर लिया गया। इस बीच एक अंग्रेज से उनकी दोस्ती हो गई।

अवसर देती जल अपील और प्रतिक्रियाएँ
Posted on 23 Apr, 2016 11:51 AM
तारीख : 14 अप्रैल - बाबा साहब अम्बेडकर की 125वीं जन्मतिथि;
स्थान : परम्परागत तरीकों से जल संकट के समाधान की पैरोकारी के लिये विश्व विख्यात जलपुरुष राजेन्द्र सिंह की अध्यक्षता वाले संगठन तरुण भारत संघ का गाँव भीकमपुरा स्थित तरुण आश्रम;
मौका : 130 संगठनों के जमावड़े का अन्तिम दिन; जारी हुई एक अपील।

जारी जल अपील

इस प्यास की पड़ताल जरूरी है
Posted on 22 Apr, 2016 03:56 PM

22 अप्रैल 2016, पृथ्वी दिवस पर विशेष


आज 22 अप्रैल है; अन्तरराष्ट्रीय माँ पृथ्वी का दिन। यह सच है कि 1960 के दशक में अमेरिका की औद्योगिक चिमनियों से उठते गन्दे धुएँ के खिलाफ आई जन-जागृति ही एक दिन ‘अन्तरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस’ की नींव बनी। यह भी सच है कि धरती को आये बुखार और परिणामस्वरूप बदलते मौसम में हरित गैसों के उत्सर्जन में हुई बेतहाशा बढ़ोत्तरी का बड़ा योगदान है।

इस बढ़ोत्तरी को घटोत्तरी में बदलने के लिये दिसम्बर, 2015 के पहले पखवाड़े में दुनिया के देश पेरिस में जुटे और एक समझौता हुआ। आज पेरिस जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर करने का भी दिन है। हस्ताक्षर होते ही यह समझौता सभी सम्बन्धित देशों पर लागू हो जाएगा।
कैसे मनाएँ पृथ्वी दिवस
Posted on 22 Apr, 2016 03:13 PM

प्रकृति की सुरक्षा और हमारी सेहत, रोजगार, आर्थिकी व विकास के
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