अनिल सिंदूर
गंगा किनारे ‘लोहिया बोटेनिकल गार्डन’ का निर्माण
Posted on 25 Oct, 2015 09:53 AMप्रदेश सरकार ‘राम मनोहर लोहिया’ के नाम पर कानपुर में गंगा बैराज के पास ‘लोहिया बोटेनिकल गार्डन’ बनाने की महत्त्वपूर्ण योजना को कानपुर विकास प्राधिकरण ने मूर्तरूप देना प्रारम्भ कर दिया गया है जबकि उच्च न्यायालय के आदेशानुसार गंगा के 500 मीटर के अन्दर किसी भी तरह का कोई निर्माण नहीं किया जा सकता है।
एनजीटी ने उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखण्ड को दिये कड़े आदेश
Posted on 11 Oct, 2015 12:03 PM1. टेनरियों को स्थानान्तरित करें जिससे गंगा प्रदूषण से बचे2. सौ वर्ष पूर्व लिया गया संकल्प आज भी अधूरा, गंगा मैली
3. अंग्रेजों ने टेके थे घुटने
पांडु नदी पर गहराता संकट
Posted on 26 Sep, 2015 10:48 AMविश्व नदी दिवस, 27 सितम्बर 2015 पर विशेष
1. कानपुर में मल-मूत्र व घरेलू गन्दगी 20 करोड़ लीटर नदी के जल को ब्लैक वाटर में कर रही तब्दील
2. कानपुर में पनकी पावर प्लांट की राख से खत्म की जा रही नदी
3. नदी में डाले जा रहे दादा नगर तथा सीडीओ के नाले
पांडु नदी फर्रुखाबाद से 120 किमी का सफर प्रारम्भ कर पाँच जिलों से गुजरती हुई फ़तेहपुर में गंगा नदी से मिलकर अपना अस्तित्व समाप्त कर देती है। लेकिन दुःख की बात ये है कि पांडु नदी का जल कानपुर नगर आते ही अपना मूल अस्तित्व खोकर एक प्रदूषण युक्त नाले में तब्दील हो जाता है।
पांडु नदी उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जनपद से प्रारम्भ होती है। माना यह जाता है कि इसका जन्म गंगा से ही है। पांडु नदी फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर तथा फतेहपुर जनपदों के गाँवों के हज़ारों एकड़ ज़मीन को सिंचाई का साधन उपलब्ध कराने में मददगार साबित होती रही है लेकिन इसे संरक्षित करने का जो प्रयास किये जाने चाहिए थे नहीं किये गए।
कागजों पर बने चेकडैम, करोड़ों का हुआ भुगतान
Posted on 28 Aug, 2015 03:40 PMवर्ष 2009-10 में केन्द्र सरकार ने बुंदेलखण्ड क्षेत्र के उ.प्र. तथा म.प्र.
‘सरकार’ का अनूठा जल प्रबंधन एक मिरेकल
Posted on 30 Jul, 2015 11:16 AM करोड़ों रूपये खर्च करने के बाद भी किसानों के खेतों को जहाँ पानी उपलब्ध करने में सक्षम नहीं हो पाती है। वहीं एक अनपढ़ बाबा (सरकार) ने लगभग 24 गाँव के किसानों के खेतों को पानी से लबालब कर दिया। बाबा का यह अनूठा जल प्रबंधन लोगों के लिए एक मिरेकल से कम नहीं है।
प्रदूषित शहर कानपुर
Posted on 23 Jul, 2015 04:15 PMजल में मानक से 180 गुना ज्यादा क्रोमियम
1. कैंसर, चर्म रोग से 80 प्रतिशत गाँव वाले ग्रसित
2. पशुओं के हो जाते हैं गर्भपात
3. मानक 0.05 के सापेक्ष 9 मिग्रा. प्रति लीटर क्रोमियम
7266 करोड़ से भी नहीं बुझी बुंदेलखण्ड की प्यास
Posted on 21 Jul, 2015 01:22 PMबुंदेलखण्ड जल-पुरुष ने 2 वर्ष पूर्व लिया था गोद
गाँव के हेरिटेज तालाब को ख़त्म करने की साज़िश
Posted on 03 Jul, 2015 01:50 PM“मुख्यमन्त्री जल बचाव अभियान योजना” को जिला प्रशासन का ठेंगा
श्रम और सोच ने लिखी नई इबारत, बदले खेतों के हालात
Posted on 26 May, 2016 12:49 PMखेतों के पास से एक वर्षा से आच्छादित होने वाला नाला निकलता है जिसका बेतरतीब बहने वाला पानी खेतों को नहीं मिल पाता था मैंने उस नाले का पानी का प्रयोग अपने तालाब को भरने में किया और उसका इनलेट इस तरह से बनाया कि जितना हमारा तालाब गहरा है उतना ही पानी उसमें जा सके। यह कमाल सिर्फ इनलेट का है जो नाले का वर्षाजल हमारे खेतों को नुकसान नहीं कर पाता है। जिन किसानों के पास धन की व्यवस्था नहीं है उन किसानों को भी यह जान लेना चाहिए कि पानी वर्षाजल संचयन के लिये तालाब से बेहतर कोई उपाय नहीं है।
पिता से विरासत में मिली जमीन को खुशी-खुशी जब मैं जोतने चला तो खेत की स्थिति देख दंग रह गया। समझ नहीं आया काम कहाँ से शुरू करुँ। अपनी ही जमीन पहाड़ जैसी लगने लगी। लेकिन घर से तो खेत जोतने को चले थे, लौटकर घर में क्या कहता? सो स्टार्ट किया ट्रैक्टर और शुरू किया ढालूदार खेत को समतल करना। समतल करने से निकली कंकड़ वाली मिट्टी से मेड़ बनाना।बुन्देलखण्ड की वीर भूमि महोबा जिले के ग्राम बरबई के ऊर्जावान किसान बृजपाल सिंह ने अपनी आप बीती सुनाते हुए कहा कि असिंचित एवं ढालूदार जमीन होने के कारण जमीन लगभग ऊसर हो चुकी थी। ट्रैक्टर चलाने के शौक ने खेत पर पहुँचा दिया। ढालूदार जमीन को समतल करने का सबसे पहले मन बनाया सो जोतने वाला औजार निकाल समतल करने वाला सूपा ट्रैक्टर में लगवाया और खेत को समतल करना शुरू किया।