विश्व भर में लाखों लोगों को साबुन से नियमित हाथ धोने हेतु प्रेरित एवं लामबन्द करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 15 अक्टूबर को विश्व-हस्त-प्रक्षालन-दिवस मनाया जाता है।
15 अक्टूबर, 2014 को सुलभ-प्राँगण में खुशनुमा माहौल के बीच सुबह 11:30 बजे कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर सुलभ-सभागार सुलभ पब्लिक स्कूल एवं उनके शिक्षकों के साथ-साथ विभिन्न विद्यालयों के छात्रों से खचाखच भरा हुआ था। सुलभ-द्वारा पुनर्वासित स्कैवेंजर महिलाएँ इस कार्यक्रम की सक्रिय सहभागी थीं।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए छात्र तदनुकूल रंगीन वस्त्र धारण किए हुए थे।
‘विश्व-हस्त-प्रक्षालन-दिवस’ विषय पर कार्यक्रम का शुभारम्भ करती हुईं शिव वाणी पब्लिक स्कूल की छात्रा सुश्री वैष्णवी तिवारी ने श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए कहा, ‘शौच के बाद एवं भोजन से पूर्व साबुन से हाथ धोने से शिशु-मृत्यु-दर के आँकड़ों में 50 प्रतिशत तक कमी आएगी और बच्चों में अतिसार-जैसी बीमारियाँ भी नियन्त्रित होंगी।’
सुश्री वैष्णवी ने सुलभ स्वच्छता-आन्दोलन के डॉ. बिन्देश्वर पाठक को मंच पर आमन्त्रित किया, जिन्होंने बच्चों के लिए विशेषकर, हाथ साफ करने के सही तरीकों का प्रदर्शन किया।
दरअसल, साबुन से हाथ धोने वाले कई लोगों को हाथ धोने के उचित तरीके की जानकारी नहीं होती, इस कारण हाथ धोने के बावजूद कुछ जीवाणु हाथों में शेष रह जाते हैं।
हाथ सही ढंग से धोए जाने चाहिए, जैसा कि माननीय संस्थापक महोदय-द्वारा सभा में प्रदर्शित किया गया। प्रदर्शन के साथ-साथ सुश्री वैष्णवी का वर्णन भी चलता रहा:-
1. हाथों को पानी से भिगोएंँ
2. हाथों पर पर्याप्त साबुन अथवा हैंडवॉश लगाएँ
3. दोनों हाथ रगड़ें
4. दाहिने हाथ को बाएँ से अंगुलियाँ मिलाकर तथा बाएँ हाथ को दाएँ से मिलाकर रगड़ें।
5. हाथों और अंगुलियों की दोनों तरफ अच्छी तरह साफ करें
(साइट: डब्ल्यू.डब्ल्यू.डब्ल्यू. वॉश-हैंड्स.कॉम)
हाथ धोने के सही तरीके के प्रदर्शन के बाद डॉक्टर पाठक ने सभा को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा, ‘भारतीय-संस्कृति दुनिया की सबसे समृद्ध संस्कृतियों में है। हड़प्पा-सभ्यता के समय लोग शौचालय तथा स्नानागार का इस्तेमाल करते थे। बाद में यह अभ्यास समाप्त हो गया, लोग खुले में शौच के लिए जाने लगे। महात्मा गाँधी कांग्रेस के कलकत्ता-अधिवेशन के दौरान उस स्थान पर गन्दगी देखकर अत्यन्त दुखी हुए, उन्होंने कैम्प तथा वहाँ स्थित शौचालयों की स्वयं सफाई प्रारम्भ की, यह देखकर दूसरे लोग भी सफाई में शामिल हुए। गाँधी जी ने कहा था, ‘पहले सफाई, फिर स्वाधीनता।’ पण्डित नेहरू, श्री राममनोहर लोहिया तथा श्री अटल बिहारी वाजपेयी ये सभी स्वच्छता के सशक्त पक्षधर थे।’
डॉक्टर पाठक ने प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों की प्रशंसा की, उन्होंने ‘स्वच्छ भारत-अभियान’ प्रारम्भ किया और राजधानी दिल्ली में स्वयं झाड़ू से सड़क की सफाई की। ‘शौचालय की सफाई करने से अहंकार समाप्त होता है’, डॉक्टर पाठक ने कहा। सुलभ स्वच्छता तथा स्कैवेंजरों की मुक्ति के गाँधी के सपने को चरितार्थ कर रहा है, जो सपना हमारे प्रधानमन्त्री का भी है। इस प्रकार सुलभ महात्मा गाँधी और प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी के बीच की कड़ी है।
वैश्विक हस्त-प्रक्षालन-दिवस आयोजन के लिए डॉक्टर पाठक ने बच्चों को बधाई दी और पूरा शरीर साफ रखने की अपील की। सभी स्कूलों में नैपकिन बनाने एवं प्रयुक्त नैपकिन को जलाने की मशीन होनी चाहिए, विशेषकर बच्चियों के लिए यह आवश्यक है।
इस अवसर पर प्रसिद्ध कवि पण्डित सुरेश नीरव भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा, ‘भारत की काँवर की पुरानी परम्परा है और काँवर सदा साफ-सुथरी जगह पर ही रखा जाता है। मैं आशा के अपने काँवर के साथ यहाँ आया हूँ और मैंने अपना काँवर यहीं रखा है, क्योंकि सुलभ एक पवित्र स्थान है।’ उन्होंने कहा कि मैंने अपनी सद्य: प्रकाशित पुस्तक डॉ. बिन्देश्वर पाठक को समर्पित की है, क्योंकि आप स्वच्छता के गाँधी हैं। यदि आप स्वच्छ रहते हैं तो भगवान् के समीप होते हैं।
सन्त कार्मल स्कूल तथा शिववाणी स्कूल के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। प्रवेश की हास्य कविता सुनकर तथा गुजराती, बांग्ला एवं कत्थक नृत्य देखकर दर्शकगण मुग्ध थे। नेहा का भजन गान भी मोहक था।
इस अवसर पर जम्मू तथा कश्मीर से पधारे अतिथि भी उपस्थित थे, जिनमें सेवानिवृत्त सेशन जज श्री हरिओम जी एवं नौशाद अली साहब थे। श्री हरिओम जी ने कहा, ‘हमने सुलभ में जो देखा, वह हमारा महान् अनुभव रहा।’ नौशाद अली साहब ने बताया कि डॉक्टर पाठक हमारे मित्र हैं और समाज के लिए उन्होंने महान् कार्य किए हैं, उन्होंने भारत का सामाजिक दृश्य बदला है।
सभी अतिथियों को शॉल तथा सिल्वर-ग्लास से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की समाप्ति राष्ट्रगान से हुई।
साभार : सुलभ इण्डिया अक्टूबर 2014
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