डाॅ. रूपक राॅय चौधरी
देश में स्वच्छता की दयनीय स्थिति में सुधार लाने के लिए भारत सरकार ने कमर कस ली है। माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2 अक्टूबर, 2014 को ‘स्वच्छ भारत’ अभियान का शुभारम्भ किया गया है। उक्त उद्देश्य की पूर्ति के लिए स्वच्छता को प्राथमिकता देते हुए शौचालय, जल, सामुदायिक व्यवहार इत्यादि क्षेत्रों में पूर्ण रूप से स्वच्छता लानी होगी। इसके लिए समाज के हर क्षेत्र/ वर्ग का सहयोग अपेक्षित है। इसी उद्देश्य से वाॅटर एड द्वारा भारत सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मन्त्रालय एवं शहरी विकास मन्त्रालय के सहयोग से इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में 16-18 फरवरी, 2015 तक त्रि-दिवसीय ‘वाॅश’ सेमिनार का आयोजन किया गया।
आयोजन का उद्घाटन भारत सरकार के माननीय ग्रामीण विकास मन्त्री श्री चौधरी वीरेन्द्र सिंह ने किया। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा कि केवल नई तकनीकों को लाने से शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता नहीं आएगी, बल्कि राज्य सरकारों को चाहिए कि वे अपनी कार्य प्रणाली में कुछ लचीलापन भी लाएँ एवं नेतृत्ववर्धन की दिशा में कार्य करते हुए पंचायती राज को अधिक जिम्मेदारी सौंपें, जो समुदाय को ‘स्वच्छ भारत’ अभियान में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सके।
केवल नई तकनीकों को लाने से शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता नहीं आएगी, बल्कि राज्य सरकारों को चाहिए कि वे अपनी कार्य प्रणाली में कुछ लचीलापन भी लाएँ एवं नेतृत्ववर्धन की दिशा में कार्य करते हुए पंचायती राज को अधिक जिम्मेदारी सौंपें, जो समुदाय को ‘स्वच्छ भारत’ अभियान में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सके।
उन्होंने सभा से पूछा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए हमारे पास उपलब्ध सभी तकनीकें क्या ग्रामीण क्षेत्र में स्वच्छता लाने के लिए उपयोगी हैं? पुनः उन्होंने अपने ही प्रश्न के उत्तर में इस बात पर जोर दिया कि हर तकनीक एक क्षेत्र विशेष के लिए उपयोगी होती है, अतः भौगोलिक क्षेत्र के हिसाब से तकनीकों का विकास किया जाना चाहिए।
वाॅश यूनिसेफ, भारत के प्रमुख सुश्री सू कोट्स ने भारत में जल तथा स्वच्छता क्षेत्र में अवसरों एवं चुनौतियों पर जोर देते हुए कहा कि इस आयोजन के द्वारा विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिनिधियों को आपसी स्वच्छता की राह पर चर्चा का अवसर मिलेगा। इस सेमिनार के सभी विषय शौचालय, स्वच्छता, महिला सशक्तीकरण, नारी सम्मान एवं ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ इत्यादि प्रासंगिक हैं।
इस अवसर पर विशेष तौर पर आमन्त्रित सुलभ इंटरनेशनल का प्रतिनिधित्व करते हुए संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष श्री समिरेन्द्र चटर्जी ने सुलभ की दो गड्ढे वाली शौचालय तकनीक के महत्त्व पर अपना प्रस्तुति देते हुए बताया कि भारत में सम्पूर्ण स्वच्छता की स्थिति लाने के लिए यह तकनीक अत्यन्त ही उपयुक्त है। उन्होंने कहा कि इस सेमिनार के द्वारा सभी हितधारकों के लिए एक दूसरे के विचारों से कुछ नया सीखने का मौका होगा।
छात्र परिवर्तन लाने वाले एजेंट के रूप में कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कई विद्यालय हैं, जहाँ शौचालय टूटे पड़े हैं और वहाँ हाथ धोने के लिए उपयुक्त स्थान एवं जल की कमी है। स्कूल में लड़कियों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए।
सुलभ स्कूल सैनिटेशन क्लब की सदस्य छात्रा सुश्री वैष्णवी तिवारी ने स्कूलों में वाॅश अभियान पर प्रस्तुति देते हुए कहा कि छात्र परिवर्तन लाने वाले एजेंट के रूप में कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कई विद्यालय हैं, जहाँ शौचालय टूटे पड़े हैं और वहाँ हाथ धोने के लिए उपयुक्त स्थान एवं जल की कमी है। स्कूल में लड़कियों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए।
भारत सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मन्त्रालय के माननीय निदेशक (स्वच्छता) श्री सुजाॅय मजुमदार ने कहा कि ‘स्वच्छ भारत’ अभियान का लक्ष्य अगले साढ़े चार वर्षों में पूरा करने के लिए 65,000 परिवारों को प्रतिदिन की दर से हमें शौचालय उपलब्ध करवाने होंगे। हमें इस प्रकार के वाॅश सेमिनारों का आयोजन प्रत्येक राज्य में करवाना होगा, जिससे कि इस अभियान के महत्त्व का सन्देश प्रत्येक राज्य के स्थानीय निकायों तक पहुँच सके।
अन्तिम सत्र में एक परिचर्चा का आयोजन हुआ, जिसमें अनेक विधायक एवं सांसदों ने हिस्सा लिया और जल एवं स्वच्छता के महत्त्व पर जोर दिया। वाॅटर एड, भारत के श्री पुनीत श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
साभार : सुलभ इण्डिया फरवरी 2015
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