‘स्वच्छता का समाजशास्त्र’ सत्य और अहिंसा पर आधारित है

राष्ट्र के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय विकास के लिए आधारभूत आवश्यकता है- स्वच्छता की संस्कृति, जो मूलतः सत्य और अहिंसक होती है’, पद्मभूषण डॉ. बिन्देश्वर पाठक, संस्थापक सुलभ-स्वच्छता-आन्दोनल ने कहा, वह 26 फरवरी, 2013 को डॉ. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट, उदयपुर में आयोजित ‘स्वच्छता का समाजशास्त्र’ विषय पर आयोजित सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। यह आयोजन उदयपुर-स्थित विद्या-भवन पॉलिटेक्निक के सिविल इंजिनियरिंग विभाग के सहयोग से किया गया था। महात्मा गाँधी का उल्लेख करते हुए डॉक्टर पाठक ने बताया कि राष्ट्रपिता स्वतन्त्र भारत से अधिक प्राथमिकता स्वच्छ भारत को देते थे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के लगभग 6 दशक बाद भी अपने देश में हम शहरों और गाँव के सभी लोगों को स्वच्छता की सुविधाएँ नहीं उपलब्ध करवा पाए हैं। हमारे देश में आवश्यकता है ऐसे शौचालयों की, जो वैज्ञानिक दृष्टि से उपयुक्त हों, जिनमें फ्लश के लिए कम पानी की जरूरत हो और जो लागत-प्रभावी हों।

 

सेप्टिक टैंक बनाने और रख-रखाव में खर्चीले होते हैं, ये ठंडे देशों के लिए अधिक उपयुक्त होते हैं। डॉक्टर पाठक ने सुलभ तकनीक का प्रवर्तन एवं विकास किया। जिसमें सफाई के लिए स्कैवेंजर की जरूरत नहीं होती और यह सब तरह से गर्म जलवायु वाले देशों के लिए उपयुक्त है। व्यक्ति और समाज के स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता की व्यवस्था अनिवार्य होती है, अतः समाजशास्त्र के पाठ्यक्रम में इसे शामिल करना उपयुक्त होगा, इससे हमारे समाज में विद्यमान् गरीबी और लिंग पर आधारित भेदभाव का भी वैज्ञानिक समाधान हो सकेगा, इससे एक-दूसरे के प्रति व्यक्तियों के उत्तरदायित्व की जानकारी भी बढ़ेगी। डॉक्टर पाठक ने बताया कि स्वामी विवेकानन्द के अनुसार उन्हीं का जीवन सार्थक होता है, जो दूसरों के लिए जीते हैं।

कार्यक्रम के सभापति श्री रियाद तहसीन, विद्या भवन सोसाइटी के अध्यक्ष ने अपने सम्बोधन में कहा कि बाहर की स्वच्छता की तरह ही अन्दर की स्वच्छता महत्त्वपूर्ण होती है, ग्रामीण विकास और स्वच्छता की दिशा में विद्या भवन पॉलिटेक्निक के कार्यकलाप की चर्चा उन्होंने की।

ट्रस्ट के सचिव श्री नन्द किशोर शर्मा ने अपने स्वागत-भाषण में कहा कि महात्मा गाँधी के बाद स्वच्छता और समाजसुधार के क्षेत्र में डॉ. बिन्देश्वर पाठक समर्पित कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने अस्पृश्य स्कैवेंजरों को मानव-मल साफ करने और ढोने के सदियों से चले आ रहे पेशे से मुक्त कराने का कार्य किया। ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री विजय सिंह मेहता ने धन्यवाद-ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. श्रीराम द्वारा किया गया। प्रोफेसर जगत एस.पी.गौड़, श्री अनिल मेहता तथा श्रीमती उषा चौमड़, मानद अध्यक्ष, सुलभ इंटरनेशनल ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए।

इस अवसर पर सुलभ-द्वारा एक भव्य प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसमें सुलभ-तकनीक, बायोगैस सर्जन, अपजल शोधन इत्यादि का प्रदर्शन किया गया था। उपस्थित प्रतिभागियों और इलाके के नागरिकों ने सुलभ स्टॉलों को काफी रूचि लेकर देखा और जानकारी प्राप्त की।

साभार : सुलभ इण्डिया फरवरी 2013

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