स्वच्छता और जनस्वास्थ्य सुलभ का बहुआयामी दृष्टिकोण

प्रो. सत्येन्द्र त्रिपाठी

विजय कुमार


स्वच्छता और जनस्वास्थ्य के बीच अंत:सम्बन्ध है, जो सामाजिक एवं आर्थिक स्थितियों को बेहतर बनाते हैं। अपर्याप्त स्वच्छता जनस्वास्थ्य पर असर डालती है, जिसका परिणाम समुदाय में बढ़ती हुई गरीबी के रूप में प्रकट होता है। स्वच्छता में शामिल है जलापूर्ती, मानव-मल का सुरक्षित निस्तारण, अपजल और कचरा-प्रबन्धन, बीमारियों के संवाहक पर नियन्त्रण एवं घरेलू तथा व्यक्तिगत शुचिता इत्यादि। साफ-सुथरे घर, पास-पड़ोस और समुदाय में रहन-सहन की गुणवत्ता से एक स्वच्छ परिवेश का निर्माण होता है। जीवन की एक शैली के रूप में स्वच्छता को अपनाना चाहिए, इसके विषय में जानकारी बढ़ानी चाहिए और इसके सम्बन्ध में लोगों को अपना दायित्व समझना चाहिए। ऐसी जानकारी का प्रचार-प्रसार और टिकाऊ तकनीकियाँ मानव-जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में लोगों की सहायता करती हैं।

 

उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखते हुए ‘सुलभ इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एनवॉयरन्मेंटल सेनिटेशन एण्ड पब्लिक हेल्थ ने हेल्थ मैनेजमेन्ट रिसर्च के अन्तरराष्ट्रीय संस्थान (नई दिल्ली) के सहयोग से पर्यावरण-सम्बन्धी स्वच्छता और स्वास्थ्य-प्रबंधन विषय पर 18 से 22 जनवरी के बीच केन्द्र और राज्य-सरकारों, स्वायत्तशासी संगठनों, निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, सरकारी कर्मचारियों, विशेषज्ञों, द्विपक्षीय दाता एजेंसियों तथा गैर-सरकारी संगठनों, अनुसंधानकर्ताओं और सिविल समाज को स्वास्थ्य तथा स्वच्छता के क्षेत्र में शामिल करते हुए प्रथम अन्तरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का मूल उद्देश्य था- ‘आधारभूत स्वच्छता और स्वास्थ्य-प्रबन्धन-तकनीकों को बढ़ावा देना और उनका सशक्तिकरण करना’। भागीदारों की कार्यकुशलता को बेहतर बनाना और बढ़ाना, स्वच्छता से जुड़ी स्वास्थ्य की समस्याओं से बचाव और नियन्त्रण, उपयुक्त तकनीकियों के हस्तांतरण के जरिए स्वास्थ्य के पर्यावरण-सम्बन्धी खतरों को कम करना, पारिस्थिति की सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन तथा टिकाऊ विकास के कार्यक्रमों और नीतियों के लिए एकीकृत स्वच्छता एवं स्वास्थ्य-सेवाओं का प्रकल्पन और स्वच्छता तथा जनस्वास्थ्य की समस्याओं के समाधान के लिए एक सर्वांगीण दृष्टिकोण का विकास इसके विशेष उद्देश्य थे।


ज्ञान के प्रसार के लिए परस्पर संवाद वाले भाषण-सत्र, श्रव्य-दृश्य माध्यमों से उनकी प्रस्तुति, समूह-विमर्श और मामलों का अध्ययन,सत्र प्रस्तुति तथा पाठ्यक्रम-सम्बन्धी सामग्री की व्यवस्था एवं सुलभ-परिसर तथा दिल्ली में अन्य स्थानों पर स्थित स्वच्छ पार्कों, स्वच्छता-सम्बन्धी तकनीकियों और व्यवहारों का प्रदर्शन किया गया। जैव-चिकित्सीय कचरा-प्रबन्धन और स्वास्थ्य की देखभाल-सेवा इसके मुख्य विषय थे।


तकनीकी-सत्रों के साथ उपयुक्त क्षेत्र-भ्रमण भी किए गए। विशेषज्ञों को सुलभ और ओखला शोधन-प्लांट (नगरीय ठोस-कचरे के) भी दिखाए गए, ताकि भागीदारों को शौचालय-सम्बन्धी विभिन्न तकनीकियों (निजी घरों और सामुदायिक इस्तेमाल), जैव-ऊर्जा-विधि का विकास तथा अपजल-शोधन और कचरा-प्रबंधन-विधि की जानकारी मिले।  


साभार : सुलभ इण्डिया जून 2010

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