प्रेम विजय पाटिल, धार
उद्योग जगत बनवाएगा हर घाट पर शौचालय
जीवनदायिनी मां नर्मदा की स्वच्छता को लेकर अभी तक किसी भी स्तर पर सफाई अभियान नहीं चलाया गया है। खासकर घाटों की सफाई से लेकर जल में गंदगी न मिले, इसके लिए कोई पहल नहीं हुई है। सभी दूर सफाई अभियान के नाम पर ऐसे जगह आयोजन हो रहे है जो केवल औपचारिकता भर है। दूसरी ओर जिले में मनावर, कुक्षी, धामनोद, मांडू, धरमपुरी जैसे नगरीय निकायों ने भी अभी तक अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि अब हम स्वच्छता अभियान के तहत मुख्य रूप से नर्मदा नदी के प्रमुख घाटों के तट पर शौचालय निर्माण करवाएंगे, जिससे कि गंदगी न हो। और भी कई प्रयास होंगे।
गौरतलब है कि इन दिनों पूरे देश में ही स्वच्छता को लेकर गतिविधि हो रही है। आमतौर पर देखने में आया है कि जिले में कहीं भी ऐसी बड़ी जगह सफाई का कार्य नहीं हुआ है, जिससे कि सीधे तौर पर व्यवस्था को बड़ा लाभ हो। धार जिले से नर्मदा नदी होकर गुजरती है। मुख्यमंत्री शहरी स्वच्छता मिशन अंतर्गत धार जिले के धामनोद, मांडू, कुक्षी, मनावर व धरमपुरी को इस चीज के लिए चयनित किया गया है कि यहां पर नगरीय निकाय अपना गंदा पानी नदी में नहीं जाने दे। चाहे वे सीधे तौर पर नर्मदा से जुड़े हो या अप्रत्यक्ष तौर पर। इन क्षेत्रों में शौचालय निर्माण को लेकर भी कवायद होना थी, वह भी नहीं हुई है।
वर्तमान व्यवस्थाओं पर ही नहीं हो रहा है काम
सबसे बड़ी चिंता का विषय तो यह है कि जिन व्यवस्थाओं पर काम होना चाहिए थे वे ही नहीं हो पा रहे है। जिनके लिए बकायदा योजना बनी हुई है, उन्हीं पर काम नहीं हो पाया है। उक्त नगरीय निकायों में से कई नगरीय निकायों के लिए तो बकायदा राशि भी प्राप्त होने की जानकारी मिली है। घरेलू जल-मल नालों का पानी रोककर उसकी दिशा परिवर्तित करते हुए उक्त पानी को उपचारित करने की योजना थी। लेकिन इस दिशा में काम ही नहीं हुआ है।
धामनोद पर ज्यादा ध्यान
दरअसल शासन ने भी इसमें प्राथमिकता तय की थी। इसमें धामनोद पहली प्राथमिकता पर है। इसकी वजह यह है कि जो नगरीय निकाय नर्मदा से 10 किमी के अंदर आते हैं उनमें धामनोद एकमात्र क्षेत्र है। धामनोद में वाटर ड्रेनेज यानी नाली जैसी व्यवस्था के लिए ही करीब 37 लाख 42 हजार रुपए मंजूर हुए थे। अभी इस राशि की क्या स्थिति है यह किसी को पता नहीं। धामनोद में ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता थी। किंतु अभी तक कोई काम नहीं हुआ है। ऐसे में यह समझ में आ गया है कि नर्मदा की निर्मलता को लेकर अभी तक कोई विशेष उपलब्धि वाला काम नहीं हो पाया है। जिले के अन्य नगरीय क्षेत्र 10 से 50 किमी के दायरे में आते हैं। यहां भी काम नहीं हुआ है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष नर्मदाप्रसाद शुक्ला से बातचीत
प्रश्न : पूरे भारत में स्वच्छता अभियान की गतिविधि हो रही है। क्या नर्मदा नदी के तटों की सफाई को लेकर काम होगा।
उत्तर : बिल्कुल ठीक बात कही। हम इस ओर ध्यान देने जा रहे हैं। सोमवार को ही जबलपुर में इसके लिए बैठक रखी गई है।
प्रश्न : किस तरह की गतिविधियों पर ध्यान दिया जाएगा।
उत्तर : हम लोग प्रयास कर रहे हैं कि उद्योग जगत के माध्यम से उनकी सामुदायिक दायित्व की जो जिम्मेदारी है यानी सीएसआर के तहत हम लोग शौचालय का निर्माण करवाएं। इसके लिए उद्योग जगत तैयार भी है।
प्रश्न : कहां और कितने शौचालय बनना है।
उत्तर : फिलहाल यह आंकड़ा बता पाना संभव नहीं हैं। किंतु नर्मदा नदी के जितने भी प्रमुख तट हैं, वहां शौचालय निर्माण को लेकर काम होगा।
प्रश्न : जागरूकता अभियान के तहत कोई बड़ी योजना।
उत्तर : समय-समय पर हम नर्मदा के तटों पर सफाई के लिए ध्यान देते हैं। धार सहित अन्य जिलों में नर्मदा तटों की सफाई के लिए अभियान चलाना प्रस्तावित है।
प्रश्न : नगरीय निकायों के बारे में क्या किया गया।
उत्तर : हमने नर्मदा नदी के आसपास की 360 नगरीय संस्थाओं में से 300 को नोटिस दे रखे हैं। उनके द्वारा जो काम किया जाना चाहिए वह नहीं किया जा रहा है। आगामी कार्रवाई की जाएगी।
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