स्वच्छ भारत अभियान : रक्षा मंत्रालय की पहल

ए.के सेनगुप्ता
 

मनुष्य का जीवन और स्वस्थ पेयजल एवं उचित स्वच्छता की उपलब्धता के बीच अन्योन्याश्रय सम्बन्ध है। गन्दे पेयजल का उपयोग, मानव-मल का अनुचित निपटान, पर्यावरण-प्रदूषण तथा व्यक्तिगत खान-पान की अस्वच्छता विकासशील देशों में बहुत सारी बीमारियों के कारण रहे हैं। भारत में भी ऐसी ही स्थिति है।


भारत में खुले में शौच करनेवालों की एक बड़ी संख्या रही है। हमारी कुल जनसंख्या का 60 प्रतिशत भाग खुले में शौच करता है, वस्तुत: यह देश के लिए शर्म की बात है। इसके अलावा ठोस तथा तरल कचरे का प्रबन्धन भी अत्यन्त ही उपेक्षित रहा है, भारत ऐसे में स्वच्छ भारत कहलाने योग्य कदापि नहीं है।


‘स्वच्छ भारत-अभियान’ एक राष्ट्रीय स्तर का अभियान है, जिसे भारत-सरकार ने प्रारम्भ किया है, जिसमें 4,041 शहरों/कस्बों में रास्तों, सड़कों तथा आधारभूत संरचनाओं को साफ करने और सफाई रखने की कार्रवाई होती है।


यह स्वच्छता-अभियान आधिकारिक तौर पर गांधी-जयंती के दिन 2 अक्टूबर, 2014 को नई दिल्ली में राजघाट से प्रारम्भ हुआ, जब प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने हाथों में झाड़ू लिया और सड़क साफ करना प्रारम्भ किया। यह अभियान देश का अब-तक का सबसे बड़ा सफाई-आंदोलन है, जिसमें 30 लाख सरकारी कर्मियों एवं स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया।


प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत के लिए पूरे देश के निवासियों का आह्वान किया है, ताकि यह एक राष्ट्र-व्यापी अभियान के रूप में कार्यान्वित किया जा सके, जो महात्मा गांधी का सपना था, इसमें समाज के सभी वर्गों से सक्रियता और भागीदारी की अपेक्षा की गई है। अभियान 25 सितम्बर, 2014 से प्रारम्भ हुआ। केन्द्रीय तथा राज्य-स्तर पर सरकारी विभागों ने भी इस अवसर का उपयोग कर लोगों में स्वच्छता के विषय में जागरुकता उत्पन्न करने एवं उसे व्यापक स्तर पर फैलाने के सार्थक प्रयास किए। विगत 25 सितम्बर, 2014 को ही रक्षा-मंत्रालय ने इस दिशा में महत्वपूर्ण पहल किया था।


‘स्वच्छ भारत-अभियान’ के प्रारम्भ होने के अवसर पर आयोजित विविध कार्रवाइयों के तहत 29 सितम्बर, 2014 को ही रक्षा-मंत्रालय ने इस विषय पर विचार-विमर्श का आयोजन किया, जिसमें देश को साफ-सुथरा करने एवं ऐसा ही बनाए रखने के लिए सक्रिय चर्चा हुई। इस अवसर पर सुलभ इन्टरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गेनाइजेशन के संस्थापक पद्मभूषण डॉ. बिन्देश्वर पाठक को भाग लेने हेतु आमंत्रित किया गया। सत्र की अध्यक्षता विभाग के माननीय अपर सचिव श्री अनुज कुमार विश्नोई ने की। इस अवसर पर वरिष्ठ अधिकारियों में विभाग के संयुक्त सचिव (स्थापना) तथा संयुक्त सचिव (ई.एस.डब्ल्यू.) भी उपस्थित थे। डॉक्टर पाठक ने दृश्य प्रस्तुति के साथ ‘स्वच्छता तथा स्वास्थ्य’ विषय पर अपने अनुभवों को सबके साथ बाँटा, उन्होंने इस बात पर बल दिया कि स्वच्छ भारत का लक्ष्य सामूहिक एवं सार्वजनिक प्रयासों से ही उपलब्ध किया जा सकता है। सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गेनाइजेशन के विषय में डॉक्टर पाठक ने बताया कि यह राष्ट्रीय तथा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अग्रणी गैर-सरकारी संगठन है, जो स्वच्छता कें क्षेत्र में पिछले चार दशकों से भी अधिक समय से कार्यरत है, जिसके योगदान की तथा समाज एवं व्यक्तियों के जीवन में मूलभूत परिवर्तन और सुधार लाने की दिशा में सर्वत्र पहचान बनी है। आज सुलभ मात्र एक संगठन का नाम नहीं, बल्कि देश के 26 राज्यों एवं 4 केन्द्र-शासित प्रदेशों में 50 हजार से अधिक स्वयंसेवकों की सक्रिय भागीदारी के साथ एक देश-व्यापी आन्दोलन के रूप में कार्यरत है। इसकी पहचान 500 जिलों एवं 1,200 नगरों में बनी हुई है। नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान तथा अफ्रीकी देशों में स्वच्छता के क्षेत्र में प्रशिक्षण तथा योजनाओं के कार्यान्वयन की दिशा में सुलभ कार्यरत है।


डॉक्टर पाठक ने आगे कहा कि सुलभ महात्मा गांधी के अधूरे सपने को पूरा करने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने खुले में शौच करने की तथा हाथों से मानव-मल की सफाई करने की व्यवस्था को समाप्त करने की दिशा में सुलभ-द्वारा आविष्कृत तथा विकसित तकनीकियों की चर्चा की। घरों में इस्तेमाल के लिए टू पिट पोर फ्लश शौचालय तथा सामुदायिक प्रयोग के लिए ‘भुगतान एवं उपयोग’ के आधार पर शौचालय की व्यवस्था के बारे में डॉक्टर पाठक ने विस्तार से बताया। सार्वजनिक शौचालयों के अपजल के शोधन एवं उसके इस्तेमाल के लिए सुलभ ने तकनीक विकसित की है, जिसे प्रयोग में लाया जा रहा है, यह अपजल शोधित होने के बाद पुनर्चक्रण किया अथवा किसी भी जलाशय या नदी में छोड़ा जा सकता है। इसी प्रकार स्कूलों में स्वच्छता-कार्यक्रम के लिए सुलभ सतत रूप से सक्रिय है।


देशभर में 1.3 मिलियन घरेलू शौचालय एवं 8,000 से अधिक सार्वजनिक शौचालय बनाए जाने की सुलभ की उपलब्धि का उल्लेख करते हुए डॉक्टर पाठक ने बताया कि स्वच्छता से संबद्ध कार्यों के अतिरिक्त सुलभ स्कैवेन्जरों के उनके घृणित और अमानवीय कार्य से मुक्ति तथा पुनर्वासन के लिए सतत प्रयासशील है। वृन्दावन एवं वाराणसी में रह रही वृद्धा विधवाओं की सहायता करने, उनकी उचित देखभाल तथा उन्हें किसी रोजगार के लिए प्रशिक्षित करने का सुलभ का अभियान सर्वत्र चर्चा में रहा है।



रक्षा-मंत्रालय के माननीय अपर सचिव श्री अनुज कुमार विश्नोई ने इस अवसर पर डॉक्टर पाठक को न केवल स्वच्छता, बल्कि समाज-कल्याण-हेतु सुलभ के कार्यों के लिए धन्यवाद दिया तथा सभी उपस्थित लोगों से ‘स्वच्छ भारत-अभियान’ को सफल बनाने के लिए आग्रह किया।


साभार : सुलभ इंडिया अक्टूबर 2014

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