सुशासन और स्वच्छता के लिए एक पहल

सुलभ संवाददाता

स्वच्छता के क्षेत्र में कार्यरत सुलभ इंटरनेशनल द्वारा वाराणसी के गंगा किनारे के घाटों को इसके प्राचीन रूप में लाया जाएगा। इसकी घोषणा विगत 25  दिसम्बर को सुलभ संस्थापक डॉ. बिन्देश्वर पाठक ने वाराणसी में भारत के प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी से उनके गंगा घाट के भ्रमण के अवसर पर मुलाकात के दौरान की।

अस्सी घाट की कम-से-कम 25 सीढ़ियाँ पिछले कुछ दशकों से रेट एवं मिटटी से ढकी हुई थीं। पिछले महीने अपने संसदीय क्षेत्र की यात्रा के दौरान प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों को प्रेरित करने के लिए वाराणसी के अस्सी घाट पर स्वयं कुदाल उठाकर सफाई का कार्य आरम्भ किया था। सफाई के पश्चात अब वे घाट फिर से दिख रहे हैं। ज्ञात हो कि सुलभ इंटरनेशनल ने वाराणसी के पाँच अन्य घाटों को भी अंगीकार किया है, जिनकी सफाई एवं देख-रेख प्रतिदिन के आधार पर होगी।

सुलभ संस्थापक डॉ. बिन्देश्वर पाठक ने आश्वस्त किया की वे वाराणसी के सौंदर्य के उन्नयन के लिए हर सम्भव प्रयास करेंगे, विशेषकर इसके प्राचीन घाटों की सफाई में। उन्होंने कहा कि सुलभ ने प्राचीन काशी विश्वनाथ मन्दिर परिसर की सफाई का कार्य आरम्भ कर दिया है।

विगत 8  नवम्बर को श्री मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र में 'स्वच्छ भारत अभियान'  की शुरुआत की थी। इसके बाद 40 दिनों में अस्सी घाट पर गंगा के किनारों की जिस प्रकार से सफाई की गई, उसपर प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी प्रसन्नता जाहिर की है। प्रधानमन्त्री ने गंगा तक उतारनेवाली सीढ़ियों को देखकर उन गैर-सरकारी संस्थाओं एवं व्यक्तियों की प्रशंसा की, जिन्होंने पिछले 40 दिनों में घाट को अपनी मेहनत से साफ कर दिखाया है। शताधिक वर्ष पुराने अस्सी घाट के जीर्णोद्धार से संतुष्ट होकर श्री मोदी ने गैर-सरकारी संस्थान सुलभ इंटरनेशनल की विशेष तौर पर प्रशंसा की।

प्रधानमन्त्री बी.एच.यू. में मालवीय जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद अस्सी घाट गए और पिछले महीने वहाँ शुरू किए गए अपने सफाई अभियान पर सन्तोष जताया। उन्होंने अस्सी घाट के पास विश्वनाथ लेन की सँकरी गली में हाथ में झाड़ू उठाई और शहर में 'स्वच्छता अभियान' को आगे बढ़ाने पर जोर दिया।

इस अवसर पर श्री मोदी ने कहा, 'वर्षों से यह घाट करोड़ों देशवासियों की श्रद्धा का केन्द्र है। काशी की पहचान ये घाट मिट्टी में दबे थे। नवम्बर में जब मैं आया तो श्रमदान का कार्यक्रम शुरू किया था। बाद में लोग भी आगे आए। सामाजिक संस्थाएँ नगर-निगम, जिला प्रशासन तथा राज्य सरकार ने इसे एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम माना। उन्होंने कहा की हम देख रहे हैं की सफाई न होने के कारण जो घाट कभी मिट्टी में दबे थे, आज पुराने वैभव के साथ गंगा के सामने खड़े हैं। उन्होंने कहा की 'स्वच्छता अभियान' को देश के सभी वर्गों ने सराहा है, इस अभियान को अपना बनाया है, इसे सकारात्मक रूप से आगे बढ़ाया है। आज भी मैं लाभ उठानेवाला हूँ, इस बार कुछ व्यक्तियों, संस्थाओं एवं संगठनों को भी नवरत्न के रूप में जोड़ने जा रहा हूँ, जिनकी बड़ी ताकत है। इस अभियान के लिए पूरे देश का आह्वान कर रहा हूँ।'

गंगा के किनारे अस्थायी मंच से सम्बोधित करते हुए श्री मोदी ने 'स्वच्छ भारत अभियान' को आगे बढ़ाने के लिए नौ और संस्थानों/ लोगों को नामित किया। इनमें पूर्व क्रिकेटर कप्तान सौरव गांगुली, हास्य कलाकार कपिल शर्मा, नृत्यांगना सोनल मानसिंह, ईनाडू समूह और इसके प्रमुख रामोजी राव, अरुण पुरी की अगुवाई वाले इण्डिया टुडे ग्रुप और मैग्सेसे पुरस्कार विजेता किरण बेदी, नागालैंड के महामहिम राजयपाल पद्मनाभ आचार्य, मुम्बई में टिफिन सेवा के लिए मशहूर डिब्बा वाले और इंस्टिट्यूट फॉर चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इण्डिया शामिल हैं।

इसके बाद प्रधानमन्त्री ने बी.एच.यू. में 'शिक्षक प्रशिक्षण के लिए अन्तरविश्वविद्यालयीय केन्द्र' की आधारशिला रखी, जहाँ उन्होंने मानव संसाधन विकास मन्त्रालय की पहल पर 900 करोड़ रुपए की लागत से संचालित होने वाले 'मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय शिक्षक और प्रशिक्षण मिशन' की शुरुआत भी की। उन्होंने विश्वविद्यालय के विशाल परिसर के लिए वाई-फाई सुविधा तथा पाँच दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव 'संस्कृति' का भी उद्घाटन किया।

अपने सम्बोधन में श्री मोदी ने कहा की ज्ञान प्राप्ति के लिए दुनिया भारत की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रही है, लेकिन हम इसके लिए तैयार नहीं हैं। दुनिया को इस समय विभिन्न विषयों के लाखों शिक्षकों की जरूरत है। इस जरूरत को भारत अपनी युवा शक्ति से पूरा कर सकता है, लेकिन इसके लिए हमें तैयार होने की जरूरत है। दुनिया हमारी मदद लेने को तैयार है, लेकिन हम मदद देने की स्थिति में नहीं हैं। यह स्थिति हमें खत्म करनी होगी। बी.एच.यू. के संस्थापक महामना मदन मोहन मालवीय के नाम पर शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए मोदी ने कहा कि हमें कक्षा 12 के बाद से ही छात्र की प्रतिभा को पहचानते हुए शिक्षक के रूप में उसे प्रशिक्षित करना होगा। इस प्रशिक्षण से बच्चों के भीतर मनोवैज्ञानिक ढंग से परम्पराएँ औरत संस्कार पैदा करने होंगे।

श्री मोदी ने शिक्षण के क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए स्कूली शिक्षा के बाद पाँच साल का प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू करने पर जोर देते हुए कहा कि यह प्रोग्राम उन लोगों के लिए होगा, जो अध्यापन को अपना पेशा बनाना चाहते हैं। ऐसे शिक्षक तैयार करने का माहौल बनाने की जरूरत है, जो देश की संस्कृति और परम्परा से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी ज्ञान की सदी है, इसमें भारत को भी अपना योगदान देने के लिए खुद को तैयार करना होगा। सुशासन दिवस के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में श्री मोदी ने देश में कन्या भ्रूण हत्या के खराब चलन की निन्दा करते हुए कहा कि जिस देश में रानी लक्ष्मी बाई का सम्मान किया जाता हो, वहाँ कन्या भ्रूण हत्या का चलन है, इससे बड़ा कोई कलंक नहीं हो सकता हैं।

साभार : सुलभ इण्डिया दिसम्बर 2014

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