नई दिल्ली, 10 जून 2014। दिल्ली सरकार ने मंगलवार को शिक्षा अधिकारियों को अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी सरकारी स्कूलों में शौचालयों और पेयजल सुविधाओं का निरीक्षण करने को कहा है। शिक्षा विभाग के एक बयान के मुताबिक शिक्षा अधिकारी, दो प्राधानाध्यापक और पीडब्ल्यूडी के जूनियर इंजीनियरों (सिविल और इलेक्ट्रिकल) 13 जून तक स्कूलों का दौरा करेंगे और एक रिपोर्ट सौंपेंगे।
शिक्षा विभाग की निदेशक पदमिनी सिंगला ने शिक्षा अधिकारियों की एक बैठक में यह आदेश जारी किया। ये टीमें 1990 के बाद बनी सभी इमारतों का निरीक्षण करेंगी। पूरे दिल्ली के सरकारी स्कूलों के निरीक्षण के लिए गठित यह दल मुख्य रूप से स्कूलों में शौचालय और पीने के पानी की सुविधा की स्थिति के बारे में जानकारी देंगे।
इन निरीक्षण दलों को वर्ष 1990 या उसके बाद निर्मित सभी इमारतों का सर्वेक्षण करने और इन इमारतों के इस्तेमाल के हिसाब से सुरक्षित होने या खतरनाक होने की स्थिति के बारे में रिपोर्ट बनाने के भी निर्देश दिए गए हैं। दिल्ली के उप-राज्यपाल नजीब जंग की ओर से प्रमुख सचिव शिक्षा और निदेशक (शिक्षा) के साथ हुई विभिन्न बैठकों में विशेष रूप से स्कूल के भवनों विशेष रूप से शौचालयों में सफाई, स्वच्छता और रखरखाव में सुधार की आवश्यकता की बात को रेखांकित करने के कारण यह बैठक बुलाई गई थी।
शिक्षा निदेशक ने सरकारी स्कूलों में अपने दौरों में यह बात महसूस की कि हालांकि बुनियादी ढांचे के हिसाब से
स्कूल में स्थित शौचालय के सभी हिस्सों को जांच कर इस्तेमाल लायक बनाना और बच्चों के प्रयोग के लिए खोलना। सभी शौचालयों में पानी की निर्बाध आपूर्ति के लिए सभी प्रकार के आवश्यक निर्माण कार्यों को सुनिश्चित करना। प्रत्येक अलग शौचालय में प्रवेश के लिए एक दरवाजा होने की बात को सुनिश्चित करें और जहां कहीं आवश्यक हो, दरवाजों की मरम्मत करवाएं।
सरकारी स्कूलों में न केवल मूलभूत आवश्यकताएं उपलब्ध है, बल्कि कई मामलों में सरकारी स्कूल दूसरी श्रेणी के स्कूलों की तुलना में कहीं बेहतर है पर शौचालय का खंड एक गंभीर चिंता का विषय है। इस समस्या के समाधान के लिए शिक्षा निदेशक ने स्कूल के सभी प्राध्यापकों को एक परिपत्र जारी किया है।
स्कूल में स्थित शौचालय के सभी हिस्सों को जांच कर इस्तेमाल लायक बनाना और बच्चों के प्रयोग के लिए खोलना। सभी शौचालयों में पानी की निर्बाध आपूर्ति के लिए सभी प्रकार के आवश्यक निर्माण कार्यों को सुनिश्चित करना। प्रत्येक अलग शौचालय में प्रवेश के लिए एक दरवाजा होने की बात को सुनिश्चित करें और जहां कहीं आवश्यक हो, दरवाजों की मरम्मत करवाएं।
बच्चों के नल से पानी लेने के लिए हर शौचालय में डिब्बे की व्यवस्था करें। लड़कियों के स्कूलों में कम-से-कम प्रत्येक शौचालय ब्लॉक में एक बड़े आकार का ढका हुआ कूड़ेदान हो, जिसकी दिन में कम-से-कम दो बार सफाई हो।
सभी शौचालय ब्लॉकों की नियमित रूप से एक दिन में दो बार की सफाई को सुनिश्चित करें, जिससे वहां किसी तरह की बदबू न हो और बिना गंध वाली फिनायल का प्रयोग होना चाहिए। प्रत्येक शौचालय में छात्रों को हाथ धोने के लिए वॉश बेसिन की सुविधा के साथ पानी की निर्बाध आपूर्ति और हाथ धोने का साबुन की सुविधा होनी चाहिए।
साभार : जनसत्ता, 11 जून 2014
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