नई दिल्ली (भाषा)। स्कूलों में शौचालय एवं पेयजल सुविधाओं की दयनीय स्थिति पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए संसद की एक समिति ने कहा कि विद्यालयों में लड़के एवं लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय एवं पेयजल सुविधाओं के मूल्यांकन के लिए सरकार विस्तृत सर्वेक्षण कराए।
महिलाओं को शक्तियां प्रदान करने के सम्बन्ध में लोकसभा में शुक्रवार को पेश संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार द्वारा स्कूलों में शौचालयों एवं पेयजल की सुविधाओं के सन्दर्भ में उठाए गए कदमों के मद्देनजर इनकी दयनीय स्थिति पर समिति अप्रसन्नता व्यक्त करती है। समिति ने कहा कि आधारभूत संरचना के रख-रखाव और स्कूलों में शौचालय एवं पेयजल सुविधाओं के सम्बन्ध में कोई गंभीर प्रयास नहीं किए जा रहे हैं जबकि उच्चतम न्यायालय ने अक्टूबर 2012 को सभी राज्यों को छह महीने में लड़के एवं लड़कियों के लिए शौचालय एवं पेयजल सुविधाएं प्रदान करने को कहा था।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘समिति पुरजोर सिफारिश करती है कि स्कूलों में लड़के एवं लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय एवं पेयजल सुविधाओं जैसी प्रमुख सुविधाओं की उपलब्धता का मूल्यांकन करने के लिए सरकार विस्तृत सर्वेक्षण कराए तथा समिति को इससे अवगत कराए।’ समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्रदान की जा रही वर्तमान आधारभूत संरचना के रखरखाव एवं मरम्मत के लिए मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति के अनुरूप वार्षिक रख-रखाव अनुदान निर्धारित की जाए।
साभार : राष्ट्रीय सहारा 20 दिसम्बर 2014
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