शौच के लिए महिलाओं को करना पड़ता है अन्धेरे का इन्तजार

राजधानी के कई इलाकों में शौचालय का अभाव आज भी महिलाओं के लिए समस्या बना हुआ है। यहाँ लाज बचाने के लिए महिलाओं को रात के अन्धेरे का ही सहारा लेना पड़ रहा है। कालीबाड़ी के पीछे, शादीपुर डिपो क्षेत्र के अलावा वजीरपुर के पास प्रेमबाड़ी पुल, मंगोलपुरी, सुल्तानपुरी, नांगलोई जे जे कालोनी सहित दिल्ली के कई क्षेत्रों में शाम ढलते ही महिलाएँ शौच के लिए जाती है।

 

कई जगहों पर ट्रेन की पटरियाँ महिलाओं के लिए शौचालय का काम कर रही हैं। कई इलाकों में हालत यह है कि भीड़-भाड़ वाले रोड के किनारे महिलाएँ शौचालय के लिए जाती हैं। इस बारे में संगीता (बदला हुआ नाम) ने बताया कि कालोनी की सभी महिलाएँ देर शाम रेल की पटरियों के पास शौच के लिए जाती हैं। उन्होंने कहा कि शाम के समय फ्लाइओवर पर वाहनों की काफी भीड़ होती है। इस दौरान वाहन में चलने वाले लोग महिलाओं पर फब्तियाँ तक कसते हैं।

 

उन्होंने बताया कि यहाँ शौचालय न होने के कारण महिलाओं को इस सड़क पर या ट्रेन की पटरी पर शौच के लिए जाना पड़ता है। वहीं, नांगलोई जे जे कालोनी में रहने वाली एक महिला ने बताया कि यहाँ की अधिकतर महिलाएँ शौचालय के अभाव में देर रात मेन सड़क पर ही शौच के लिए जाती हैं। राजधानी में यह सिलसिला पिछले काफी वर्षों से चल रहा है। इस ओर न तो निगम का ध्यान गया और न ही दिल्ली सरकार का। बता दें कि 15 अगस्त पर लाल किले से दिए अपने भाषण में प्रधानमन्त्री ने महिलाओं को शौचालय की सुविधा देने की अपील की है।

 

आदत या मजबूरी

सुल्तानपुरी में सुलभ शौचालय चला रहे व्यक्ति ने बताया कि यहाँ करीब 2800 परिवार रहते हैं। इनके लिए यह शौचालय पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने बताया कि यहाँ रहने वाले अधिकतर लोगों ने अपने स्तर पर शौचालय की व्यवस्था कर रखी है, लेकिन यहाँ की औरतों की आदत है खुले में शौच जाना। उन्होंने कहा कि शाम होते ही अधिकतर महिलाएँ सड़क किनारे बैठ जाती हैं। इस दौरान कालोनी के व अन्य लोग आस-पास से गुजरते रहते हैं पर उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने कहा इन्हें शौचालय की सुविधा देने के बाद भी स्थिति बदलने की उम्मीद नहीं है।

 

सरकारी शौचालय दे रही बीमारी

जे जे कालोनी में रहने वाले लोगों का कहना है कि क्षेत्र में बनाए गए शौचालय गन्दे होने के साथ बदबूदार हैं। उन्होंने कहा कि इनकी गन्दगी के कारण ही लोग यहाँ जाने की जगह खुले में जाना पसन्द करते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को इस बारे में निगम को कई बार सुचित भी किया गया। पर कोई सुनवाई नहीं हुई।

 

साभार :  नवोदय टाइम्स 23 फरवरी 2015

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