विधानसभा चुनाव जीतने के पश्चात पंजाब राज्य के मुख्यमन्त्री पद पर पाँचवी बार प्रतिष्ठित होने के तुरन्त बाद माननीय श्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा शौचालय से सम्बद्ध मुद्दों पर जो निश्चय किया गया, वह निश्चित तौर पर सराहनीय है। 3 अप्रैल, 2012 को नवनिर्वाचित मुख्यमन्त्री द्वारा निर्गत आदेशानुसार, निकट भविष्य में पंजाब में खुले में शौच के लिए कोई छूट नहीं होगी, सम्पूर्ण राज्य स्कैवेंजिंग मुक्त रहेगा। यह महिलाओं के लिए भी सुरक्षित रहेगा।
‘पंजाब की जनता ने शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी गठबंधन के पक्ष में वोट डालकर राज्य शासन की बागडोर मुझे सौंपी है। पाँचवी बार मुख्यमन्त्री के पद पर बैठकर मैं अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाऊँगा और सभी सामाजिक बुराइयों को जड़ से मिटा दूँगा, जिनसे जनता त्रस्त है। स्वच्छता मेरी प्राथमिकता है। हम लोग मिलकर पंजाब राज्य को न सिर्फ भारत में, बल्कि सम्पूर्ण विश्व का सर्वोच्च राज्य बनाएँगे।’ माननीय मुख्यमन्त्री श्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा। मुख्यमन्त्री के कथन और कार्य से स्पष्ट था कि वे स्वच्छता और शौचालय जैसे मुद्दों पर वास्तव में गम्भीर हैं। 9 अप्रैल 2012 को मालवा क्षेत्र के गुरुसर जोधा गाँव के प्रथम सार्वजनिक शौचालय निर्माण के लिए आधारशिला रखने के समय उनके मुख पर इस आशय के स्पष्ट भाव दीख रहे थे। ज्ञात हो कि इस सार्वजनिक शौचालय निर्माण की जिम्मेदारी सुलभ इंटरनेशनल को सौंपी गई है।
माननीय मुख्यमन्त्री की अध्यक्षता में पंजाब सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और सुलभ स्वच्छता एवं सामाजिक सुधार आन्दोलन के संस्थापक डॉ. बिन्देश्वर पाठक और उनके सहयोगियों के साथ पंजाब राज्य में स्वच्छता सुविधा के विकास में गति लाने के विषय पर बैठक बुलाई गई। बैठक में मुख्यमन्त्री के पधारने के बाद सुलभ संस्थापक डॉ. बिन्देश्वर पाठक ने उन्हें पुष्पमाला एवं शॉल समर्पित कर उनका सम्मान किया।
‘स्वच्छता’ विषय पर बने कार्यक्रम में कोई बाधा न आए, इसलिए मुख्यमन्त्री द्वारा तुरन्त ही स्वच्छ पंजाब की दिशा में बने कार्यक्रम पर आदेश निर्गत कर दिए गए, जिसमें गन्दगी भरे क्षेत्रों में, जहाँ आवश्यकता हो, सुलभ शौचालय बनाए जा सकें। माननीय श्री बादल ने कहा कि सुलभ द्वारा आविष्कृत और विकसित शौचालय का आज पूरे विश्व में प्रयोग किया जा रहा है। इस अवसर पर डॉ. पाठक को माननीय मुख्यमन्त्री द्वारा सिक्खों के तीर्थों का केन्द्र आनन्दपुर साहेब में बन रहे ‘विरासत-ए-खालसा’ की एक प्रतिकृति भेंट की गई।
3-9 अप्रैल तक लगभग सप्ताह भर चली डॉ. पाठक की इस पंजाब यात्रा का प्रमुख आकर्षण था 9 अप्रैल, 2012 को गुरुसर जोधा गाँव में हुआ एक कार्यक्रम, जिसमें माननीय श्री बादल द्वारा काले संगमरमर के पत्थर की एक पट्टिका का अनावरण किया गया, जिसपर पंजाब को एक स्वस्थ एवं स्वच्छ राज्य बनाने की सरकार की वचनबद्धता खुदी हुई थी। इस पट्टिका के अनावरण के साथ ही राज्य में खुले में शौच के विरुद्ध एक आन्दोलन का आरम्भ हुआ। संगमरमर की पट्टिका के अनावरण के साथ ही गाँववालों द्वारा मुख्यमन्त्री एवं श्री अकाल तख्त के जयघोष के नारे लगाए गए।
‘जो बोले सो निहाल,
सत श्री अकाल,
वाहेगुरुजी दा खालसा,
श्री वाहेगुरु जी दी फतेह’
अपने भव्य स्वागत के लिए लोगों को धन्यवाद देते हुए माननीय मुख्यमन्त्री श्री बादल ने कहा, मैं अपने राजनीतिक जीवन में यहाँ सैकड़ों दफा आया हूँ और यहाँ के लोगों से हर बार मुझे प्यार और सम्मान मिला है। उसी प्रेम के लिए आपलोग सदा मेरे ध्यान में रहते हैं। आपके लिए मेरे प्रेम स्वरूप मेरी ओर से एक छोटी भेंट यही होगी कि राज्य भर में सुलभ द्वारा बनाए जानेवाले हजारों शौचालयों में से प्रथम शौचालय की नींव आपके गाँव में रखी जाएगी। यह सौभाग्य की ही बात है कि लोगों ने पिछले पाँच वर्षों के दौरान मेरी सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों को देखकर ही मुझे दोबारा चुना है। सच्चे हृदय से मुझे लोगों का साथ मिला है।
शिरोमणि अकाली-दल और भारतीय जनता पार्टी के नेता के रूप में अब यह मेरी जिम्मेदारी बनती है कि मैं पंजाब की उन्नति को मंजिल तक पहुँचाऊँ जिसे किसी ने देखा ना हो।
लोगों को अपने कष्टों के निवारण के लिए नेताओं एवं अधिकारियों के दरवाजों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, बल्कि अधिकारिगण प्रत्येक गाँव में आकर लोगों से उनकी समस्याओं की जानकारी लेंगे और जल्दी-से-जल्दी उनका निवारण करेंगे। पेंशन की अदायगी सुविधापूर्ण ढंग से बैंकों द्वारा की जाएगी। मेरे कुछ चाहनेवालों का मानना है कि मैं कुछ भी कर सकता हूँ। पर क्या यह सम्भव है? कुछ लोग मेरे पास इसलिए आते हैं कि मेरी सिफारिश से वे इम्तिहान में पास हो जाएँ। ऐसी फरमाइशों को नहीं माना जा सकता।
मुख्यमन्त्री के भाषण के पश्चात् डॉ. पाठक ने कहा, ‘माननीय मुख्यमन्त्री के संकल्प से पंजाब देश का प्रथम राज्य बनने जा रहा है, जहाँ प्रत्येक घर में शौचालय होगा। मैं महात्मा गाँधी का अनुयायी हूँ, इसलिए अपने भाषण से पूर्व प्रार्थना करता हूँ’।
डॉ. पाठक प्रार्थना आरम्भ कर पाते इससे पूर्व माननीय मुख्यमन्त्री ने बीच में हस्तक्षेप करते हुए लोगों को बताया कि डॉ. पाठक वास्तव में बहुत बड़े समाज सुधारक हैं। इसके बाद डॉ. पाठक द्वारा प्रार्थना गाई गई- आओ मिलजुल के बनाएँ, सुलभ सुखद संसार।
प्रार्थना के पश्चात सुलभ के कार्यकर्ताओं और कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए, जिनका सभी ने आनन्द लिया। कार्यक्रम का आरम्भ राजस्थानी गीत के साथ हुआ और उसके पश्चात् भाँगड़े ने सबका मन मोह लिया। इस भाँगड़े में नाटकीय ढंग से दिखाया गया कि खुले में शौचादि जाने वाली महिलाओं को किस प्रकार की तकलीफों से गुजरना पड़ता है। भाँगड़े नृत्य के गीत के बोल थे- भाजी हट के, भाजी बच के।
एक महिला कलाकार, जिन्होंने नृत्य द्वारा प्रदर्शित किया कि दिन के समय में वह शौचादि के लिए खुले में नहीं जा सकती, क्योंकि उसे उन आसामाजिक तत्वों का डर है, जो उसे अकेली पाकर उसपर टूट पड़ेंगे। उस महिला कलाकार को दर्शकों से बहुत सराहना मिली।
एक दृश्य में दिखाया गया कि एक अन्य महिला को, जो शौच से निवृत्त होने के लिए खुले में जा रही थी, कुछ लोगों ने घेर लिया उसके साथ बदतमीजी की।
एक और महिला कलाकार ने अपने नाटक में शौच के समय बनते हुए अपने चेहरे को बेहद हास्यास्पद तरीके से दिखाया। एक नाटक में यह दिखाया गया कि एक महिला की बगल में शौच के लिए महिला वेश में एक पुरुष बैठा है। मुख्यमन्त्री सभी कलाकारों के अभिनय से अत्यन्त प्रभावित हुए। सभी कलाकारों के साथ फोटो भी खिंचवाई। उसी समय परदा गिरता है, जिसपर लिखा था-‘जो बोले सो निहाल, सत् श्री अकाल।’
मुख्यमन्त्री एवं सुलभ के मध्य हुए इस करार की महत्ता इस बात से भी समझी जा सकती है कि इस खबर को मीडिया जगत द्वारा पर्याप्त स्थान मिला।
साभार : सुलभ इण्डिया जून 2012
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